पहले तोड़ा अहंकार फिर बनाया पाताल का राजा, पढ़ें श्रीहरि के वामन अवतार की रोचक कथा
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पहले तोड़ा अहंकार फिर बनाया पाताल का राजा, पढ़ें श्रीहरि के वामन अवतार की रोचक कथा

Vamana Avatar full Story: भगवान विष्‍णु का वामन अवतार भाद्रपद महीने के शुक्‍ल पक्ष की द्वादशी तिथि को हुआ था. इसी दिन वामन जयंती मनाई जाती है. जानिए भगवान विष्‍णु के वामन अवतार की पूरी कहानी.  

पहले तोड़ा अहंकार फिर बनाया पाताल का राजा, पढ़ें श्रीहरि के वामन अवतार की रोचक कथा
Vamana Jayanti 2024 : वामन अवतार भगवान विष्‍णु का पांचवा अवतार है. श्रीहरि का वामन अवतार त्रेतायुग में हुआ था. इसलिए हर साल भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को वामन जयंती मनाई जाती है. जब-जब सृष्टि पर विपत्ति या संकट आता है, तब-तब श्रीहरि अवतार लेकर इसे दूर करते. इस साल 15 सितंबर 2024 को वामन जयंती मनाई जाएगी. इस मौके पर जानिए भगवान विष्‍णु का वामन अवतार क्‍यों हुआ था? 
 
वामन अवतार की कहानी 
 
पौराणिक कथाओं के अनुसार त्रेतायुग में दैत्यराज बलि ने एक समय में बहुत आतंक मचा दिया था. उसने अपने बाहुबल से तीनों लोकों पर कब्जा कर लिया. स्‍वर्ग के राजा इंद्र भी परेशान हो गए, उनका राजपाट छिन गया था. क्रूर और अहंकारी राजा बलि भगवान विष्‍णु का परम भक्‍त था. साथ ही वह महादानी भी था. तब देवताओं ने कश्‍यप ऋषि और उनकी पत्‍नी देवी अदिति की शरण ली. पति कश्‍यप ऋषि के कहने पर देवी माता अदिति ने एक व्रत किया, जिसके शुभ फल से भगवान विष्णु ने वामन देव के रूप में जन्म लिया. 
 
 
वामन देव बेहद छोटे थे, तभी उन्‍होंने दैत्यराज बलि को पराजित करके उसका अहंकार तोड़ दिया. इसके लिए भगवान विष्‍णु के वामन अवतारी देव राजा बलि के पास पहुंचे और दान में 3 पग भूमि मांगी. राजा बलि का तो पूरी धरती पर अधिकार था, लिहाजा उसे एक बालक की यह मांग बेहद छोटी लगी. लेकिन शुक्राचार्य भगवान की लीला समझ गये. उन्‍होंने बलि को यह दान देने से मना किया और समझाया कि यह स्‍वयं भगवान विष्‍णु हैं और ऐसा दान मांगकर उसका पूरा राजपाट छीन लेंगे.
 
राजा बलि नहीं माना और कहा कि यदि ये स्‍वयं भगवान विष्‍णु हैं और मरे द्वार पर दान मांगने आए हैं तब तो मैं इन्हें इंकार कर ही नहीं सकता हूं. इसके बाद बलि ने हाथ में जल लेकर वामन देव को तीन पग भूमि दान करने का संकल्प ले लिया. 
 
इसके बाद वामन देव ने अपना आकार बड़ा किया और एक पग में पृथ्वी और दूसरे पग में स्वर्ग नाप लिया. इसके बाद उन्होंने राजा बलि से कहा कि अब मैं तीसरा पग कहां रखूं? तब ये सुनकर राजा बलि का अहंकार टूट गया और उसने कहा कि तीसरा पग आप मेरे सिर पर रख सकते हैं. बलि की दान वीरता से वामन देव प्रसन्न हुए और उसे पाताल लोक का राजा बना दिया. साथ ही वरदान दिया कि वे हर साल 4 महीने के लिए विश्राम करने पाताल लोक में आएंगे. तब से हर साल चार्तुमास के 4 महीने भगवान विष्‍णु पाताल लोक में बिताते हैं. 
 
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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