Varuthini Ekadashi 2021: कल है वरुथिनी एकादशी का व्रत, इस दिन न खाएं चावल और भूलकर भी न करें ये काम
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Varuthini Ekadashi 2021: कल है वरुथिनी एकादशी का व्रत, इस दिन न खाएं चावल और भूलकर भी न करें ये काम

Varuthini Ekadashi Vrat: मई महीने का पहला एकादशी व्रत कल 7 मई शुक्रवार को है. एकादशी व्रत के दिन कई नियमों का पालन करना जरूरी होता है और इन्हीं में से एक है इस दिन चावल न खाना. क्या है इसका कारण इस बारे में यहां पढ़ें.

एकादशी के दिन क्यों नहीं खाते चावल?

नई दिल्ली: हर महीने में दो बार एक बार कृष्ण पक्ष में और एक बार शुक्ल पक्ष में एकादशी का व्रत (Ekadashi vrat) आता है और हर एकादशी का अपना अलग महत्व होता है. मई महीने का पहला एकादशी का व्रत 7 मई शुक्रवार को है. चूंकि यह वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी है इसलिए वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi) के नाम से जाना जाता है. आपको बता दें कि हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत का विशेष स्थान और इसे सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है. 

  1. एकादशी के दिन चावल खाने की मनाही क्यों होती है
  2. भगवान विष्णु को समर्पित है एकादशी का खास दिन
  3. इस दिन भूलकर भी न करें ये काम, नहीं मिलेगा व्रत का फल

ऐसी मान्यता है कि श्रीहरि भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को समर्पित एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सभी पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. हालांकि एकादशी व्रत से जुड़े कुछ नियम हैं (Ekadashi vrat rules) जिनका अगर पालन न किया जाए तो व्रत का फल नहीं मिलता. इन्हीं में से एक नियम है एकादशी के दिन चावल न खाना.

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एकादशी के दिन चावल न खाने से जुड़ी पौराणिक कथा

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए (Avoid rice on ekadashi) वरना मनुष्य अगले जन्म में रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म लेता है, इसलिए इस दिन भूलकर भी चावल न खाएं. इसके अलावा ये भी मान्यता है कि चावल खाने से शरीर में जल की मात्रा बढ़ती है जिससे मन चंचल होता है और व्रत के नियमों का पालन करने में बाधा आती है. इसलिए एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए. साथ ही इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा (Mythological story) भी है. 

इसके अनुसार, माता शक्ति के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने अपने शरीर का त्याग कर दिया जिससे उनके शरीर का अंश धरती माता के अंदर समा गया. मान्यता है कि जिस दिन महर्षि का शरीर धरती में समाया उस दिन एकादशी का दिन था. कहा जाता है कि महर्षि मेधा ने चावल और जौ के रूप में धरती पर जन्म लिया. यही वजह कि चावल और जौ को जीव मानते हैं और एकादशी के दिन चावल नहीं खाया जाता. ऐसी मान्यता है कि एकादशी के दिन चावल का सेवन करना मतलब महर्षि मेधा के मांस और रक्त का सेवन करने के समान है. 

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एकादशी के दिन ये काम भी न करें

-एकादशी के दिन सिर्फ चावल ही नहीं बल्कि लहसुन, प्याज जैसे तामसिक भोजन और मांस मदिरा आदि का भी सेवन नहीं करना चाहिए.
-एकादशी के दिन क्रोध न करें, जहां तक संभव हो अपने मन को शांत रखें और साथ ही में इस दिन किसी से झूठ न बोलें.
-इस दिन किसी से लड़ाई झगड़ा न करें, किसी को कटु शब्द न कहें.
-इस दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए और दिन में या शाम के वक्त सोना नहीं चाहिए.
-एकादशी के दिन दान करने का भी काफी महत्व है. इसलिए इस दिन केला, हल्दी या केसर का दान करना चाहिए.

(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)

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