Vishwakarma Puja 2020: कारोबार और घर में बरकत के लिए की जाती है विश्वकर्मा पूजा, भूलकर भी न करें ये काम
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Vishwakarma Puja 2020: कारोबार और घर में बरकत के लिए की जाती है विश्वकर्मा पूजा, भूलकर भी न करें ये काम

हिंदू धर्म में सभी त्योहारों को विशेष तिथि के मुताबिक मनाए जाने की परंपरा है. 17 सितंबर को ऋषि विश्वकर्मा की पूजा करने से व्यापार में तरक्की और शुभ फल की प्राप्ति होती है.

विश्वकर्मा पूजन विधि

नई दिल्ली: हिंदू धर्म में सभी त्योहारों को विशेष तिथि के मुताबिक मनाए जाने की परंपरा है. हिंदू पंचांग को ध्यान में रखते हुए सभी त्योहार मनाए जाते हैं. हालांकि, विश्वकर्मा जयंती (Vishwakarma Jayanti) उन चंद पर्वों में से एक है, जिसे एक निश्चित तारीख को ही मनाया जाता है. विश्वकर्मा पूजन (Vishwakarma Pooja) हमेशा से ही 17 सितंबर को किया जाता रहा है.

  1. हिंदू धर्म में सभी त्योहारों को विशेष तिथि के मुताबिक मनाए जाने की परंपरा है
  2. हर वर्ष 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा की जाती है
  3. विश्वकर्मा पूजा के दिन औजारों और मशानों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए

क्यों की जाती है विश्वकर्मा पूजा
17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा करने से व्यापारियों को विशेष फल की प्राप्ति होती है. विश्वकर्मा जी को दुनिया का पहला इंजीनियर (Engineer) माना जाता है. कहा जाता है कि विश्वकर्मा जी शिल्पकला और वास्तुकला में निपुण थे. शिल्प और वास्तु कला से जुड़े लोग उन्हें अपने गुरु के रूप में पूजते हैं. इस दिन ऋषि विश्वकर्मा की पूजा करने से व्यापार में तरक्की और शुभ फल की प्राप्ति होती है. हालांकि 2020 में विश्वकर्मा पूजा 16 सितंबर और 17 सितंबर, दोनों दिनों पर पड़ रही है.

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देवताओं के महलों के निर्माण के लिए प्रसिद्ध
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, प्राचीन काल में देवताओं के महल और अस्त्र-शस्त्र विश्वकर्मा भगवान ने ही बनाए थे. इन्हें निर्माण का देवता कहा जाता है. सर्वविदित है कि भगवान कृष्ण की द्वारिका नगरी, शिव जी का त्रिशूल, पांडवों की इंद्रप्रस्थ नगरी, पुष्पक विमान, इंद्र का व्रज और सोने की लंका को भी विश्वकर्मा भगवान ने बनाया था.

17 सितंबर का विशेष महत्व
इस जयंती को लेकर कई मान्यताएं प्रसिद्ध हैं. मान्यता है कि आश्विन कृष्णपक्ष की प्रतिपदा तिथि को भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था. लेकिन कुछ लोगों का यह भी मानना है कि भाद्रपद की अंतिम तिथि को विश्वकर्मा पूजा करना बेहद शुभ होता है. ऐसे में सूर्य के पारगमन के मुताबिक ही विश्वकर्मा पूजा का मुहूर्त तय किया जाता है. यही कारण है कि विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर को मनाई जाती है.

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विश्वकर्मा पूजा 2020 पर रखें इन बातों का ध्यान
हर विशेष पूजन की तरह आज के दिन भी कुछ बातों का खास ख्याल रखा जाना चाहिए.

1. विश्वकर्मा पूजा करने वाले सभी लोगों को इस दिन अपने कारखाने, फैक्ट्री बंद रखनी चाहिए.
2. विश्वकर्मा पूजा के दिन अपनी मशीनों, उपकरणों और औजारों की पूजा करने से घर में बरकत होती है.
3. विश्वकर्मा पूजा के दिन औजारों और मशानों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
4. विश्वकर्मा पूजा के दिन तामसिक भोजन (मांस-मदिरा) का सेवन नहीं करना चाहिए.
5. अपने रोजगार में वृद्धि के लिए गरीबों और असहाय लोगों को दान-दक्षिणा जरूर दें.
6. अपने बिजली उपकरणों और गाड़ी की सफाई भी करें.

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विश्वकर्मा पूजा का मुहूर्त

पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त- दोपहर में 12.35 बजे से 3.38 बजे तक का समय बेहद शुभ रहेगा. इस बीच 1.30 बजे से 3 बजे तक राहुकाल भी रहेगा.

आज इनकी पूजा होती है शुभ

विश्‍वकर्मा पूजा के दिन घर और कारखाने में प्रयोग किए जाने वाले औजारों और हथियारों की पूजा की जाती है. सभी औजारों और अस्‍त्र-शस्‍त्र की सफाई की जाती है और उनमें तेल डालकर उनकी ग्रीसिंग की जाती है. विश्‍वकर्मा पूजा के बाद सभी में प्रसाद का वितरण किया जाता है और सभी लोग एक-दूसरे को विश्‍वकर्मा जयंती की बधाई देते हैं.

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विश्वकर्मा पूजन विधि
विश्वकर्मा पूजा दो तरह से की जाती है.

विश्वकर्मा पूजा विधि 1
आज सुबह उठकर स्नानादि कर पवित्र हो जाएं. फिर पूजन स्थल को साफ कर गंगाजल छिड़क कर उस स्थान को पवित्र करें. एक चौकी लेकर उस पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं. पीले कपड़े पर लाल रंग के कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं. भगवान गणेश का ध्यान करते हुए उन्हें प्रणाम करें. इसके बाद स्वास्तिक पर चावल और फूल अर्पित करें. फिर चौकी पर भगवान विष्णु और ऋषि विश्वकर्मा जी की प्रतिमा या फोटो लगाएं.
एक दीपक जलाकर चौकी पर रखें. भगवान विष्णु और ऋषि विश्वकर्मा जी के मस्तक पर तिलक लगाएं. विश्वकर्मा जी और विष्णु जी को प्रणाम करते हुए उनका स्मरण करें. साथ ही प्रार्थना करें कि वे आपके नौकरी-व्यापार में तरक्की करवाएं. विश्वकर्मा जी के मंत्र का 108 बार जप करें. फिर श्रद्धा से भगवान विष्णु की आरती करने के बाद विश्वकर्मा जी की आरती करें. आरती के बाद उन्हें फल-मिठाई का भोग लगाएं. इस भोग को सभी लोगों में बांटें.

विश्वकर्मा पूजा विधि 2
विश्वकर्मा भगवान की पूजा करने के लिए सुबह स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें और भगवान विश्वकर्मा की पूजा करें. पूजा के समय अक्षत, हल्दी, फूल, पान का पत्ता, लौंग, सुपारी, मिठाई, फल, धूप, दीप और रक्षासूत्र जरूर रखें. आप जिन चीजों की पूजा करना चाहते हैं, उन पर हल्दी और चावल लगाएं. साथ में धूप और अगरबत्ती भी जलाएं. इसके बाद आटे की रंगोली बनाएं. उस रंगोली पर 7 तरह का अनाज रखें. फिर एक लोटे में जल भरकर रंगोली पर रखें. फिर भगवान विष्णु और विश्वकर्मा जी की आरती करें. आरती के बाद विश्वकर्मा जी और विष्णु जी को भोग लगाकर सभी को प्रसाद बांटें. इसके बाद कलश पर हल्दी और चावल के साथ रक्षासूत्र चढ़ाएं. पूजा करते वक्त मंत्रों का उच्चारण करें. जब पूजा खत्म हो जाए तो सभी लोगों में प्रसाद का वितरण करें.

भगवान विश्वकर्मा की पूजा का मंत्र
ॐ आधार शक्तपे नम: और ॐ कूमयि नम:, ॐ अनन्तम नम:, ॐ पृथिव्यै नम:

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भगवान विश्वकर्मा जी की आरती
जानिए भगवान विश्वकर्मा की आरती.

हम सब उतारें आरती तुम्हारी हे विश्वकर्मा, हे विश्वकर्मा।
युग–युग से हम हैं तेरे पुजारी, हे विश्वकर्मा...।।
मूढ़ अज्ञानी नादान हम हैं, पूजा विधि से अनजान हम हैं।
भक्ति का चाहते वरदान हम हैं, हे विश्वकर्मा...।।
निर्बल हैं तुझसे बल मांगते, करुणा का प्यास से जल मांगते हैं।
श्रद्धा का प्रभु जी फल मांगते हैं, हे विश्वकर्मा...।।
चरणों से हमको लगाए ही रखना, छाया में अपने छुपाए ही रखना।
धर्म का योगी बनाए ही रखना, हे विश्वकर्मा...।।
सृष्टि में तेरा है राज बाबा, भक्तों की रखना तुम लाज बाबा।
धरना किसी का न मोहताज बाबा, हे विश्वकर्मा...।।
धन, वैभव, सुख-शांति देना, भय, जन-जंजाल से मुक्ति देना।
संकट से लड़ने की शक्ति देना, हे विश्वकर्मा...।।
तुम विश्वपालक, तुम विश्वकर्ता, तुम विश्वव्यापक, तुम कष्टहर्ता।
तुम ज्ञानदानी भण्डार भर्ता, हे विश्वकर्मा...।।

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