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Benefits of Ashtadhatu: राहु यदि खराब हो तो उसकी शांति के उपाय जल्द से जल्द कर लेना चाहिए. वरना खराब राहु से हुए नुकसान में व्यक्ति को लंबा समय लग जाता है. इतना ही नहीं कई बार तो राहु इतना नुकसान पहुंचाता है कि व्यक्ति जीवन भर उससे उबर नहीं पाता है. ज्योतिष शास्त्र में राहु की शांति के कई उपाय हैं. इनमें से एक बेहद प्रभावी तरीका है अष्टधातु धारण करना. हिंदू धर्म के साथ-साथ जैन धर्म में भी अष्टधातु को बेहद शुभ माना गया है. इसलिए भगवान की मूर्ति बनाने में अष्टधातु का उपयोग बड़े पैमाने पर होता है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि कुंडली में राहु की दशा खराब है तो अष्टधातु पहनना चाहिए. इसके लिए जातक अष्टधातु की अंगूठी या कड़ा धारण कर सकता है. चूंकि अष्टधातु 8 धातुओं - सोना, चांदी, तांबा, सीसा, जस्ता, टिन, लोहा और पारा से मिलकर बनी होती है इसलिए यह सभी ग्रहों को संतुलित करने का काम भी करती है. रत्नों की तरह धातुएं भी ग्रहों पर असर डालती हैं. ऐसे में विधि-विधान से धारण की गई अष्टधातु की अंगूठी या कड़ा बहुत लाभ पहुंचाता है. खासतौर पर राहु संबंधी दोषों को दूर करने में तो यह बेहद प्रभावी है. लेकिन याद रखें कि रत्न की तरह अष्टधातु भी विशेषज्ञ की सलाह लेकर ही धारण करें.
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- जिन लोगों को नौकरी-व्यापार में तरक्की और आय बढ़ाने की इच्छा हो, वे लोग अष्टधातु धारण कर सकते हैं. उन्हें अष्टधातु की अंगूठी, लॉकेट या कड़ा खूब लाभ देगा.
- जिन लोगों की कुंडली में राहु अशुभ हो, उन्हें दाएं हाथ में अष्टधातु का कड़ा पहनना चाहिए. इससे राहु के बुरे असर से राहत मिलेगी.
- ऐसे लोग जो तनाव में रहते हैं, निर्णय लेने में परेशानी महसूस करते हैं. उन्हें अष्टधातु धारण करने से दिमाग को एकाग्र रखने में और शांत रखने में मदद मिलेगी.
- यदि कई ग्रह अशुभ फल दे रहे हों तो भी अष्टधातु से बनी अंगूठी या कड़ा पहन सकते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)