नवरात्र के 9 दिनों में शक्ति की साधना को सफल बनाने के लिए साधक को तमाम तरह के नियम और संयम का पालन करना पड़ता है।
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शक्ति की साधना का महापर्व नवरात्र 17 अक्टूबर से प्रारंभ हो चुका है और यह 25 अक्टूबर 2020 तक मनाया जाएगा. जीवन से जुड़े तमाम दु:खों को दूर करने और मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए नवरात्र के 9 दिनों में साधक देवी दुर्गा के नौ रूपों का विशेष रूप से पूजा-आराधना करते हैं. शक्ति की साधना बहुत ही पवित्रता के साथ की जाती है, जिसके अपने विशेष नियम भी हैं. आइए जानते हैं कि आखिर नवरात्र के नौ दिनों में की जाने वाली इस विशेष साधना की सफलता के लिए आखिर किन बातों का विशेष ख्याल रखना जरूरी होता है —
1. यदि आप शक्ति की उपासना करते हैं तो आपको नवरात्र में व्रत अवश्य रखना चाहिए. यदि आपने अपने घर में अखंड ज्योति जला रखी है तो कभी भी घर में ताला लगाकर यानी घर को खाली छोड़कर बाहर न जाएं.
2. शक्ति की उपासना के लिए जपे जाने वाले मंत्रों के लिए चंदन की माला अत्यंत शुभ और शीघ्र ही फल दिलाने वाली होती है. मां लक्ष्मी की साधना स्फटिक या कमलगट्टे की माला से करना श्रेष्ठ रहता है. देवी के मंत्रों का जाप करते समय अपने शरीर के किसी भी अंग को न हिलाएं. यह एक प्रकार का दोष होता है.
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3. मां भगवती को प्रसन्न करने के लिए जपे जाने वाले मंत्र को एक निश्चित समय पर एक निश्चित संख्या में ही जपें. कभी कम या कभी ज्यादा मंत्र न जपें. नवरात्र के 9 दिनों में क्रोध या विवाद न करें.
4. नवरात्र के 9 दिनों में दाढ़ी-मूंछ और बाल नहीं कटवाना चाहिए और न ही चमड़े से बनी वस्तुओं को धारण करना चाहिए.
5. देवी की पूजा अपने आसन पर ही बैठकर करें. देवी की पूजा के लिए लाल रंग के उनी आसन या किसी कंबल पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर ही करें. काली माता की आराधना काले रंग के कंबल पर बैठकर करें.
6. देवी दुर्गा की साधना-आराधना करते समय साधना करने वाले व्यक्ति का मुंह हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए. छोटी कन्याओं का दिल किसी भी प्रकार से न दुखाएं.
7. घर में शक्ति की तीन मूर्तियां वर्जित हैं. ऐसे में अपने पूजा घर में शक्ति की तीन मूर्तियां भूलकर भी न स्थापित करें.
8. शक्ति की 9 दिनों की साधना के दौरान साज-श्रृंगार, मौज-मस्ती, शौक और कामुकता आदि के विचारों से दूर रहें. पूजा के दौरान गंदे या बगैर धुले हुए वस्त्र न पहनें.
9. नवरात्र में तामसिक चीजों का सेवन न करें. सिर्फ सात्विक भोजन ही करें. किसी भी खाद्य पदार्थ या फल आदि का सेवन करने से पहले देवी को जरूर अर्पण करें.