कौन था जयद्रथ, जिसका वध करने की अर्जुन ने ली थी प्रतिज्ञा? करना पड़ा था ऐसा छल
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कौन था जयद्रथ, जिसका वध करने की अर्जुन ने ली थी प्रतिज्ञा? करना पड़ा था ऐसा छल

Jayadrath Vadh: महाभारत में कई ऐसे किरदार रहे हैं और घटनाएं हुई हैं, जिनके बारे में लोग कम ही जानते हैं. जयद्रथ भी ऐसा ही एक किरदार है जिसे मारने की अर्जुन ने प्रतिज्ञा ली थी और फिर जयद्रथ का वध भी किया. 

कौन था जयद्रथ, जिसका वध करने की अर्जुन ने ली थी प्रतिज्ञा? करना पड़ा था ऐसा छल

Mahabharat Katha: महाभारत के रहस्‍यमयी और रोचक किरदारों में जयद्रथ भी शामिल है. जयद्रथ महाभारत का वो पात्र है जिसका वध करने के लिए अर्जुन ने प्रतिज्ञा ली थी. इतना ही नहीं अर्जुन को अधर्मी जयद्रथ का वध करने के लिए छल का सहारा लेना पड़ा था और भगवान श्रीकृष्‍ण ने भी इसमें उनका साथ दिया था. 

कौन था जयद्रथ?

जयद्रथ सिंधु देश का राजा था और उसका विवाह दुर्योधन की बहन दुशाला से हुआ था. इस तरह जयद्रथ रिश्‍ते में कौरव और पांडवों का जीजा था. पांडवों से जयद्रथ की दुश्‍मनी पांडवों के वनवास के दौरान हुई थी. 

किया था द्रौपदी का हरण 

महाभारत कथा के अनुसार, जब पांडव चौसर के खेल में दुर्योधन से हार गए थे तब उन्हें 12 वर्ष के वनवास और 1 साल का अज्ञातवास भुगतना पड़ा था. वनवास के दौरान जब जनकदुलारी द्रौपदी अपने पांचों पतियों पांडवों के साथ भटक रहे थे. तभी एक दिन जयद्रथ की नजर द्रौपदी पर पड़ी और उसने द्रौपदी का हरण कर लिया. इसके बाद पांडवों ने उससे युद्ध किया और उसे युद्ध में पराजित कर दिया. इतना ही नहीं भीम तो बेहद नाराज थे और जयद्रथ का वध करने पर उतारू थे. तब अर्जुन ने भीम को याद दिलाया कि जयद्रथ दुशाला का पति है और बहन के पति का वध नहीं किया जा सकता है. तब भीम ने गुस्से में जयद्रथ का मुंडन कर उसके सिर पर 5 चोटी छोड़ दीं. इसी घटना से पांडवों और जयद्रथ के बीच दुश्‍मनी पैदा हो गई थी. 

फिर अर्जुन ने ली प्रतिज्ञा 

इसके बाद एक बार फिर जयद्रथ ने पाडंवों का भारी नुकसान किया. जब महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन पुत्र अभिमन्यु ने आचार्य द्रोण के बनाए हुए चक्रव्यूह में प्रवेश किया तब पांडव भी उसके पीछे-पीछे प्रवेश करने के लिए दौड़े. क्‍योंकि अभिमन्यु को चक्रव्यूह में प्रवेश करना तो आता था लेकिन उसे भेदना नहीं. ऐसे में जब अर्जुन ने अपने पुत्र के साथ चक्रव्यूह में प्रवेश करने का प्रयास किया तब जयद्रथ ने अर्जुन का रास्ता रोक दिया और युद्ध करते हुए अलग रास्‍ते पर ले गया. इसी बीच अन्‍य कौरवों ने अभिमन्‍यु का वध किया था. अर्जुन ने जयद्रथ को ही अभिमन्‍यु वध का कारण माना और उसका वध करने की प्रतिज्ञा ली. 

अर्जुन ने प्रतिज्ञा ली थी कि वे उस दिन सूर्यास्‍त से पहले अर्जुन का वध कर देंगे या फिर वो अग्नि में प्रवेश कर आत्मदाह करेंगे. वहीं जयद्रथ को वरदान मिला था कि जो भी उसका सिर धड़ से अलग करेगा, तो उसका सिर जमीन पर गिरते ही वध करने वाले की भी मृत्‍यु हो जाएगी. 

तब श्रीकृष्‍ण ने बताया रास्‍ता 

तब श्रीकृष्‍ण ने अर्जुन को सलाह दी कि अर्जुन जयद्रथ का शीश काटकर उसके पिता की गोद में फेंक दें. इस तरह जयद्रथ का वध भी हो जाएगा और अर्जुन का बाल भी बांका नहीं हुआ. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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