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नई दिल्ली: 20 जुलाई 1969 अंतरिक्ष इतिहास में और विज्ञान की दुनिया में बहुत खास दिन माना जाता है. इसी दिन इंसान ने चंद्रमा पर पहला कदम रखा था. अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) के अपोलो 11 (Apollo11) अभियान के दो सदस्य नील आर्मस्ट्रॉन्ग (Neil Armstrong) और बज एल्ड्रिन (Buzz Aldrin) ने चंद्रमा पर 21 घंटे 36 मिनट बिताए थे. इसके बाद जब ये दोनों इस मिशन को पूरा कर अपने साथी माइकल कोलिन्स (Michael Collins) के साथ लौटे तो पूरे क्रू को कुछ दिन के लिए क्वारंटाइन रहना पड़ा था. इस क्वारंटाइन पीरियड के दौरान कई ऐसी अनोखी बातें हुईं जो शायद आप नहीं जानते हैं.
अपोलो 11 अभियान के पृथ्वी पर आते ही इसे क्वारंटाइन कर दिया गया. यह 21 दिन का क्वारेंटीन था. आपको बता दें कि इसका समय तभी शुरू हो गया था जब आर्मस्ट्रॉन्ग और उनके साथियो ने चंद्रमा से लौटते समय ईगल लूनारलैंडर में प्रवेश किया. इसके तीन दिन बाद आर्मस्ट्रॉन्ग और एल्डिन, कोलिन्स के साथ कोलंबिया मॉड्यूल में चंद्रमा का चक्कर लगाने के तुरंत बाद तीन की धरती की यात्रा पर निकले थे.
इस वजह से ऐसा लगा कि 5 अगस्त 1969 को नील आर्मस्ट्रॉन्ग अपनों के साथ अपना जन्मदिन नहीं मना सकेंगे. लेकिन अपने रियल हीरो आर्मस्ट्रॉन्ग का 39वां जन्मदिन मानने की नासा ने पहले ही प्लानिंग कर रखी थी. क्वारंटाइन रहने के बावजूद आर्मस्ट्रॉन्ग का जन्मदिन मनाया गया. उनसे बड़े अनोखे अंदाज में केक कटवाया गया.
स्पेस हीरो आर्मस्ट्रॉन्ग के लिए यह सरप्राइज पार्टी वाकई खास थी. इसमें एक कांच का पार्टीशन रखा गया. पार्टीशन के एक तरफ उन्होंने तो दूसरे तरफ उनके परिवार वालों और उनके साथियों के परिवार वालों ने केक काटकर जश्न मनाया. यहां तक कि आर्मस्ट्रॉन्ग ने केक काटकर कांच से दूसरी तरफ अपने परिवार को केक देने की संकेत भी किया. जन्मदिन मनाने का ये अनोखा अंदाज वाकई आर्मस्ट्रॉन्ग को इमोशनल कर दिया.
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20 जुलाई 1969 को नील आर्मस्ट्रॉन्ग दुनिया के हीरो बन चुके थे. वे अपने साथियों के साथ चंद्रमा से मिट्टी के नमूने लाए थे. वैज्ञानिकों को संदेह था कि हो सकता है कि अपोलो11 अभियान के दौरान उनका संपर्क किसी नुकसानदायक बैक्टीरीया खतरनाक पदार्थ से हुआ हो. यह पृथ्वी के बाहर के किसी पिंड से पहली मानवीय अंतरक्रिया थी. उस समय तमाम डॉक्टरों की पैनी नजर उन पर थी.
चूंकि इसके पहले तक चंद्रमा से कभी कोई पदार्थ पृथ्वी तक नहीं आया था. इसलिए इस संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता था कि क्रू अपने और नमूनों के साथ किसी भी तरह का जीवन का रूप अपने साथ लाया हो. ऐसे में इस नमूने को भी सुरक्षित रखना जरूरी था. हालांकि इसकी संभावना बहुत ही कम थी. लेकिन फिर भी इसके लिए क्रू को क्वारंटाइन करने के साथ नमूनों के लिए भी जरूरी एहतियात बरती गई.
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गौरतलब है कि यह क्वारंटाइन नासा के किसी भी अभियान के बाद वापस लौटे अंतरिक्ष या चंद्रमा यात्रियों के लिए सबसे लंबा क्वारंटाइन था. इसके बाद के अपोलो अभियानों के लिए क्वारंटाइन इतना लंबा नहीं था. अपोलो 11 अभियान में इस बात का खास तौर पर पूरे समय ख्याल रखा गया था कि हो सकता है कि यात्री अपने साथ किसी तरह का संक्रमण साथ ले आएं. कुल मिलकर ये दुनिया का पहला क्वारंटाइन सीन था.
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