Baby Star Sneeze: हमारी तरह तारों को भी 'छींक' आती है, बेबी स्टार की मदद से खुला ब्रह्मांड के बचपन का राज
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Baby Star Sneeze: हमारी तरह तारों को भी 'छींक' आती है, बेबी स्टार की मदद से खुला ब्रह्मांड के बचपन का राज

Baby Stars Sneeze: इंसान की तरह कभी-कभी तारों को भी छींक आती है! चौंकिए मत. वैज्ञानिकों ने एक नई स्टडी में अंतरिक्ष में होने वाली अनोखी घटना के बारे में बताया है.

Baby Star Sneeze: हमारी तरह तारों को भी 'छींक' आती है, बेबी स्टार की मदद से खुला ब्रह्मांड के बचपन का राज

Baby Star Sneeze Discovery: इंसान का शरीर गजब मशीन है. यह कभी-कभी छींक के रूप में नाक में धूल को जबरदस्ती बाहर निकालता है. शायद कुछ ऐसा ही बचपन में तारों के साथ भी होता है. जी हां, जापानी रिसर्चर्स ने बेबी स्टार्स पर स्टडी के बाद बताया कि उन्हें भी 'छींक' आती है. बेबी स्टार किसी तारे की शुरुआती अवस्था को कहते हैं. हमारे सूरज की तरह सभी तारे गैस और धूल के गुबार से बने हैं. अंतरिक्ष में यह गुबार सिकुड़ते हुए एक कोर बनाता है, यह कोर ही आने वाले समय में तारा बन जाता है. शुरुआत में तारों के इर्द-गिर्द गैस और धूल मिलकर एक घेरा सा बना लेते हैं, जिसे प्रोटोस्टेलर डिस्क कहते हैं. जापानी वैज्ञानिकों ने चिली में मौजूद ALMA रेडियो टेलीस्कोप से इसी डिस्क पर नजर रखी. पता चला कि बेबी स्टार के चारों तरफ मौजूद प्रोटोस्टेलर डिस्क बीच-बीच में धूल, गैस और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एनर्जी का गुबार रिलीज करती है.

तारों के जन्म और बचपन के खुलेंगे

हम यह तो जानते हैं कि सभी तारों का जन्म 'स्टेलर नर्सरियों' में होता है. लेकिन तारा बनने की प्रक्रिया बेहद जटिल है जिसे वैज्ञानिक पूरी तरह समझ नहीं सके हैं. स्टेलर नर्सरियों में तारे बनाने के लिए जरूरी मटेरियल - गैस, धूल और एनर्जी - भरा पड़ा रहता है. धूल और गैस से भरी स्टेलर नर्सरियां धीरे-धीरे संघनित हो जाती हैं, जिससे एक स्टेलर कोर या बेबी स्टार बनता है. समय के साथ, स्टेलर कोर और मटेरियल जुटाते हुए द्रव्यमान बढ़ाता जाता है. जैसे-जैसे यह होता है, धूल और गैस नए तारे के चारों ओर एक रिंग सा बनाती है. इस रिंग को खगोलशास्त्री प्रोटोस्टेलर डिस्क कहते हैं.

धरती से कितना दूर है यह बेबी स्टार?

इस स्टडी के लिए, जापानी रिसर्चर्स ने MC 27 नाम की स्टेलर नर्सरी पर नजर रखी. यह पृथ्‍वी से करीब 450 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है. वैज्ञानिकों ने चिली में मौजूद ALMA एरे का यूज किया. ALMA 66 बेहद सटीक रेडियो टेलीस्कोप्स का कलेक्शन है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, जब उन्होंने डेटा एनालाइज किया तो कुछ ऐसी चीज मिली जिसकी उन्हें उम्मीद नहीं थी. तोकुदा ने कहा, 'प्रोटोस्टेलर डिस्क से 'कांटे जैसे' स्ट्रक्चर बाहर निकल रहे थे. हमने और पड़ताल की तो पाया कि ये चुंबकीय प्रवाह, गैस और धूल के कांटे थे.' वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस परिघटना को इंटरचेंज इनस्टेबिलिटी कहते हैं. रिसर्चर्स ने इसे बेबी स्टार की 'छींक' करार दिया.

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नई खोज से हमें क्या पता चला

रिसर्चर्स के अनुसार, ये 'छींकें' प्रोटोस्टेलर डिस्क के भीतर चुंबकीय प्रवाह छोड़ती हैं. वैज्ञानिकों को लगता है कि वे तारा बनने की प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकती हैं. जापान के क्यूशू यूनिवर्सिटी में चली रिसर्च के नतीजे द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में छपे हैं. रिसर्चर्स का कहना है कि तारे के विकास के दौरान कोई तो ऐसा तंत्र है जो चुंबकीय प्रवाह को हटा देता है. अभी तक यह माना जाता था कि समय के साथ चुंबकीय क्षेत्र धीरे-धीरे कमजोर हो जाता है क्योंकि गैस-धूल का गुबार स्टेलर कोर में खिंच जाता है.

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