वैज्ञानिकों ने खोजा ब्रह्मांड का 'सबसे भयानक' तारा, सतह पर उबल रहे सूर्य से 75 गुना बड़े बुलबुले
Advertisement
trendingNow12427708

वैज्ञानिकों ने खोजा ब्रह्मांड का 'सबसे भयानक' तारा, सतह पर उबल रहे सूर्य से 75 गुना बड़े बुलबुले

Red Giant Star: एस्ट्रोनॉमर्स ने पृथ्‍वी से 180 प्रकाश वर्ष स्थित दूर एक लाल दानव तारे का पता लगाया है. इसकी सतह पर सूर्य से 75 गुना बड़े बुलबुले उठ रहे हैं.

वैज्ञानिकों ने खोजा ब्रह्मांड का 'सबसे भयानक' तारा, सतह पर उबल रहे सूर्य से 75 गुना बड़े बुलबुले

Science News: वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में एक ऐसे तारे की खोज की है जो भीतर से उबल रहा है. यह तारा हमारे सूर्य से कम से कम 350 गुना बड़ा है और जीवन के आखिरी चरण में है. ऐसे तारों को लाल दानव तारा कहा जाता है. R Doradus नामक यह तारा पृथ्‍वी से लगभग 180 प्रकाश वर्ष दूर है और इसकी सतह पर विशालकाय बुलबुले उबल रहे हैं. एक नई रिसर्च के मुताबिक, गर्म गैस के इन बुलबुलों का आकार हमारे सूर्य से 75 गुना बड़ा है. ये बुलबुले सतह पर उठते हैं फिर डूब जाते हैं. यह पहली बार है जब खगोलविद सूर्य के अलावा किसी अन्य तारे में इस प्रक्रिया की तस्वीरें लेने में सफल हुए हैं.

अगर हम सूर्य के अलावा अन्य तारों की सतह में होने वाले बदलावों को समझना चाहते हैं तो R Doradus उसके लिए आदर्श है. स्वीडन की चाल्मर्स यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के खगोलशास्त्री वाउटर वेलेमिंग्स ने कहा, 'यह पहली बार है जब किसी वास्तविक तारे की बुदबुदाती सतह को इस तरह दिखाया जा सका है.' उन्होंने कहा कि हमने इतने हाई क्वालिटी डेटा की उम्मीद नहीं की थी.

लाल दानव तारा कैसे बनता है?

हमारा सूर्य अपने जीवनकाल के मध्य में है. लाल दानव उन तारों को कहते हैं जिनके केंद्र में हाइड्रोजन खत्म हो गया है. वे शेल बर्निंग से चलते हैं जो कोर के चारों ओर एक शेल में हाइड्रोजन का संलयन है. यह प्रक्रिया तारे को उसके मूल आकार से कई गुना बड़ा कर देती है. खगोलविदों का अनुमान है कि जब सूर्य इस स्टेज में पहुंचेगा तब उसका विस्तार मंगल की कक्षा तक होगा.

VIDEO: 1.8 अरब साल पहले पृथ्वी कैसी दिखती थी? देखिए, तब से अभी तक का पूरा सफर

क्यों उबल रहा है यह लाल दानव तारा?

R Doradus पर जो हो रहा है, उसे संवहन या Convection कहते हैं. तारों में संवहन प्रक्रियाएं होती हैं क्योंकि कोर में उत्पन्न ऊष्मा सतह की ओर बाहर की ओर निकलती है. सूर्य पर, हम इसे संवहन कणों में देखते हैं जो लगभग 1,000 किलोमीटर (620 मील) के व्यास के होते हैं. वे केंद्र से उबलकर किनारों के आसपास गिर जाते हैं और लगभग 20 मिनट तक बने रहते हैं और फिर बिखर जाते हैं.

मेसोग्रेन्यूल्स ऐसे बुलबुले होते हैं जिनका आकार लगभग 5,000 से 10,000 किलोमीटर के बीच होते हैं और जीवनकाल लगभग तीन घंटे होता है. सुपरग्रेन्यूल्स लगभग 32,000 किलोमीटर के व्यास के होते हैं, और लगभग 20 घंटे तक लटके रहते हैं. चिली के अटाकामा लार्ज मिलीमीटर/सबमिलीमीटर ऐरे टेलीस्कोप का इस्तेमाल करते हुए, वेलेमिंग्स और उनके साथियों ने किसी अन्य तारे में इस प्रक्रिया के बारे में और समझने की कोशिश की. नतीजे हैरान करने वाले थे.

पृथ्‍वी के सबसे नजदीक मौजूद ब्लैक होल का जोड़ा मिला, दोनों एक-दूजे के इतने करीब कि देखकर दंग हैं वैज्ञानिक

R Doradus के संवहन बुलबुले बहुत बड़े हैं और रिसर्चर्स पूरी तरह से निश्चित नहीं कि ऐसा क्यों है. R Doradus पर ऐसे बुलबुले शायद लाल दानव तारों पर मेसोग्रेन्यूल्स या सुपरग्रेन्यूल्स के बराबर हो सकते हैं. R Doradus पर दिखे बुलबुले करीब एक महीने तक रहते हैं.

विज्ञान के क्षेत्र की नवीनतम अपडेट्स के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें! यहां पढ़ें Latest Science News In Hindi और पाएं Breaking News in Hindi देश-दुनिया की हर ख़बर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार. जुड़े रहें हमारे साथ और बने रहें अपडेटेड!

Trending news