Bennu Asteroid Sample: धरती के लिए खतरा बहुत बड़ा है और उसकी काट के लिए वैज्ञानिक कोशिश कर रहे हैं. इन सबके बीच बेन्नू एस्टेरॉयड के सैंपल की जांच में जो जानकारी मिली उसके बाद नासा के वैज्ञानिक हैरान रह गए.
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Bennu Asteroid Connection with earth: बेन्नू एस्टेरॉयड के 250 ग्राम सैंपल का राज खुल चुका है. इस सैंपल को नासा के ओसारिस रेक्स मिशन की मदद से धरती पर लाया गया. यह सैंपल कितना कीमती है उसे जानने और समझने से पहले यह जानना जरूरी है कि करीब 159 साल बाद यह धरती से टकरा सकता है हालांकि टकराने की संभावना .037 फीसद है. अब इसका सैंपल कितना कीमती है. इस सैंपल को समझने के बाद क्या वैज्ञानिक टकराने से होने वाले नुकसान को कम कर पाने का उपाय खोज सकेंगे यह भविष्य के गर्भ में है लेकिन सैंपल में क्या कुछ मिला उस पर खास नजर.
ओसायरिस रेक्स ने लाया था सैंपल
नासा के ओसायरिस रेक्स मिशन ने करीब 1650 फीट चौड़े इस ऐस्टेरॉयड से सैंपल को निकाला था. नासा के वैज्ञानिकों के मुताबिक इसमें कार्बन और पानी की मात्रा बहुत अधिक है तो इसका मतलब यह है कि यह पृथ्वी जैसे किसी ग्रह का हिस्सा रहा होगा. इसके साथ ही यह भी पता चल सकता है कि धरती पर पानी क्या किसी उल्कापिंड की टक्कर से आया. वैज्ञानिकों के लिए यह हैरानी की बात है कि आखिर इतनी मात्रा में पानी और कार्बन का स्रोत क्या है.
250 ग्राम सैंपल की तहकीकात
बता दें कि नासा के ओसायरिस रेक्स मिशन के करीब 45 किलोग्राम वाले कैप्सूल में 250 ग्राम सैंपल लाया गया था. नासा के मुताबिक सात साल पहले इस अभियान को शुरू किया गया और मकसद बेहद साफ था कि अगर इसकी टक्कर धरती से होती है तो तबाही का स्तर कितना बड़ा होगा.इसके साथ ही क्या इस एस्टेरॉयड की टक्कर से धरती को बचाया जा सकेगा या टक्कर की सूरत में इसे किस तरह नष्ट किया जा सकता है.
159 साल बाद टक्कर की आशंका
अभी बेन्नू से होने वाली टक्कर से होने वाले नुकसान के बारे में अनुमान ही लगाया जा सकता है. उदाहरण के लिए अगर बेन्नू धरती के किसी हिस्से से टकराता है तो करीब 10 किमी गहरा गड्ढा बन जाएगा. टक्कर वाली जगह से करीब एक हजार किमी के दायरे में कुछ भी नहीं बचेगा. अगर यह समंदर में गिरता है तो सुनामी बर्बादी की बड़ी वजह होगी. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह सब आशंका है.ऐसा नहीं है कि बेन्नू धरती के करीब से नहीं गुजर रहा हो. करीब हर 6 वर्ष में यह एस्टेरॉयड धरती के करीब से गुजरता है हालांकि दूरी 6 लाख किमी से अधिक होती है. सैंपल के अध्ययन के दायरे को और बढ़ाया जाएगा ताकि इससे संबंधित औज जो भी रहस्य हैं उनके बारे में जानकारी मिल सके.