कोरोना: केवल गले और फेफड़े को ही प्रभावित नहीं करता, ब्रेन पर इस तरह डालता है असर
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कोरोना: केवल गले और फेफड़े को ही प्रभावित नहीं करता, ब्रेन पर इस तरह डालता है असर

कोविड-19 को खासतौर पर फेफड़ों पर असर करने वाले वायरस के तौर पर जाना जाता है, लेकिन यह मस्तिष्क पर भी प्रभाव डालता है. कोरोना से संक्रमित हुए लोगों में ऐसे सात तरह के लक्षण हैं, जिससे मस्तिष्क प्रभावित हो सकता है.

फाइल फोटो

लंदन:  कोविड-19 को एक ऐसी बीमारी के तौर पर जाना जाता है, जो अधिकतर फेफड़ों को प्रभावित करती है, लेकिन इससे मस्तिष्क पर पड़ने वाले, उन प्रभावों के बारे में कम ही लोग जानते हैं, जो दिमाग के न्यूरोलॉजिकल सिस्टम को प्रभावित कर सकता है और यह लंबे समय तक रहता है. 

पांच में से एक संक्रमित हो सकता है मस्तिष्क संबंधी बीमारी से पीड़ित

अगर कोविड-19 से मस्तिष्क पर पड़ने वाले प्रभाव की बात करें, तो पांच में से एक संक्रमित रोगी मस्तिष्क संबंधी बीमारी से पीड़ित हो सकता है. ऐसे सात तरह के लक्षण हैं, जो मस्तिस्क की संरचनाओं को प्रभावित कर सकती है. इनमें सिर दर्द, बौद्धिक क्षमता कम होना, बेहोशी, स्ट्रोक्स, खून के थक्के बनना, गंध लेने में दिक्कत होना और भ्रम होना शामिल है. ब्रिटेन की एक स्‍टडी के मुताबिक ऐसा इसलिए है क्योंकि संक्रमण इंसान के प्रतिरक्षा प्रणाली को तेज गति से प्रभावित करता है. जिन लोगों को अधिक मात्रा में संक्रमण होता है, तो शारीरिक संरचना अनियंत्रित हो जाती है. इस दौरान वायरस बड़ी मात्रा में इनफेल्मेट्री मोलेक्यूलेस को छोड़ता है, इसे साइटोकाइन स्टॉर्म के तौर पर भी जाना जाता है. इससे मुख्य रूप से फेफड़े प्रभावित होते हैं और सांस लेने में तकलीफ होती है और मौत तक होने का खतरा बने रहता है. 

वायरस से लड़ने के दौरान पड़ता है मस्तिष्क पर असर
अधिक मात्रा में संक्रमण होने से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली भी प्रभावित होती है, जिससे ऑक्सीजन की कमी, खून के थक्के बनना और सूजन होने से हृदय, लीवर और गुर्दे जैसे अन्य अंग भी खराब हो सकते हैं. वहीं, शरीर के वायरस से लड़ने के प्रयास में मस्तिष्क पर भी प्रभाव पड़ता है. इस स्‍टडी से जुड़े प्रो. जेम्‍स गुडविन के मुताबिक, चिकित्सकों का मानना है कि कोविड-19 का संक्रमण बंद रक्त वाहिकाओं के माध्यम से मस्तिष्क में प्रवेश करता है. वायरस के स्पाइक रिसेप्टर्स को पकड़ लेते हैं और फिर मस्तिष्क में चले जाते हैं.

शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली होती है प्रभावित
वहीं, जब संक्रमण की स्थिति काफी खराब हो जाती है, तब शरीर रक्त वाहिकाओं को तोड़कर वायरस को हराने की कोशिश करती है. इस दौरान शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली प्रभावित होती है और खराब तक हो जाती है. कोविड-19 से ठीक होने के बाद भी कुछ लोग मस्तिष्क में छोड़े गए (अक्सर अस्थायी) घाव के कारण गंभीर न्यूरोलॉजिकल या मानसिक विकारों का अनुभव करते हैं. वहीं, मस्तिष्क भी खुद को दोबारा से ठीक करने कोशिश करता है, जिससे भ्रम की स्थिति और विभिन्न प्रकार की आवाज सुनाई देनी जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है. ऐसे में बौद्धिक क्षमता कम होना और हल्के न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें होती हैं. 

बौद्धिक क्षमता पर भी पड़ता है असर
वैसे बौद्धिक क्षमता कम होना कोविड-19 और हल्के ओमिक्रॉन से संक्रमित हुए लोगों में रिकवर होने के दौरान सामान्य बात है. क्योंकि जब वायरस शरीर को संक्रमित करता है, तो मस्तिष्क बचाव की कोशिश करता है और कोशिकाओं को क्षति पहुंचती है. हालांकि, इससे अधिक घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि शोध से पता चला है कि कोशिकाएं जल्द और कुशलता से खुद को ठीक करती है. वहीं, संक्रमण के गंभीर मामलों में कोशिकाओं के ठीक होने में  कुछ दिन, सप्ताह या महीने भी लग सकते हैं. ऐसे में आपके परिवार का कोई सदस्य कोविड-19 से ठीक होने के बाद असामान्य व्यवहार करे या उसमें भ्रम स्थिति पैदा हो, तो तुरंत चिकित्सकों से संपर्क करें. 

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