Doomsday Clock: कयामत की घड़ी में 10 सेकंड हुए कम, तबाही से बस इतनी दूर है दुनिया!
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Doomsday Clock: कयामत की घड़ी में 10 सेकंड हुए कम, तबाही से बस इतनी दूर है दुनिया!

Doomsday Clock Time: डूम्सडे क्लॉक (Doomsday Clock) को लेकर वैज्ञानिकों ने बड़ी घोषणा की है. दुनियाभर में जंग की स्थिति के मद्देनजर टॉप परमाणु वैज्ञानिकों ने डूम्सडे क्लॉक में 10 सेंकड कम कर दिए हैं. ऐसा उन्होंने 3 साल में पहली बार किया है.

डूम्सडे क्लॉक का समय बदला

Doomsday Clock Countdown: डूम्सडे क्लॉक (Doomsday Clock) को लेकर वैज्ञानिकों ने बड़ी घोषणा की है. दुनियाभर में जंग की स्थिति के मद्देनजर टॉप परमाणु वैज्ञानिकों ने डूम्सडे क्लॉक में 10 सेंकड कम कर दिए हैं. ऐसा उन्होंने 3 साल में पहली बार किया है. परमाणु वैज्ञानिकों के मुताबिक, दुनिया अब तबाह होने से महज 90 सेकेंड दूर है. दरअसल इस कयामत की घड़ी में रात 12 बजे यानी आधी रात का वक्त होने में जितना कम वक्त होगा, दुनिया में न्यूक्लिर वॉर का खतरा उतना ही पास होगा. बता दें कि यह घड़ी सन् 1947 से काम कर रही है. डूम्सडे क्लॉक बताती है कि महाविनाश से दुनिया कितनी दूर है. डूम्सडे क्लॉक का ऐलान करते हुए अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी में वैज्ञानिकों ने कहा कि दुनिया तबाही के कगार पर है.

डूम्सडे क्लॉक पर बड़ा ऐलान

डूम्सडे क्लॉक की घोषणा करते वक्त बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स (BAS) ने कहा कि रूस-यूक्रेन का जारी युद्ध, कोरोना महामारी, जैविक खतरे और क्लामेट चेंज प्रॉब्लम सबसे बड़े संकट दुनिया के सामने बने हुए हैं. चौंकाने वाली बात है कि कोल्ड वॉर के चरम के वक्त भी डूम्सडे क्लॉक तबाही के इतने ज्यादा करीब नहीं पहुंची थी. बीते 3 साल से इस कयामत की घड़ी की सुई आधी रात से 100 सेकेंड दूर रुकी हुई थी. लेकिन अब इसको 10 सेकंड और कम कर दिया गया है. तबाही का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है.

90 सेकंड का काउंटडाउन!

बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स के सीईओ राहेल ब्रॉनसन के मुताबिक, अभूतपूर्व खतरे के वक्त में हम रह रहे हैं. डूम्सडे क्लॉक का समय उस वास्तविकता को दिखाता है. आधी रात से 90 सेकंड तक की दूरी को एक्सपर्ट हल्के में नहीं ले रहे हैं. अमेरिका, नाटो के सदस्यों और यूक्रेन के पास वार्ता के कई चैनल हैं. हम नेताओं से अपील करते हैं कि वे कयामत की घड़ी को पीछे करने की पूरी ताकत लगाएं.

डूम्सडे क्लॉक कैसे करती है काम?

डूम्सडे क्लॉक की मदद से खतरे का लेवल कई पैमानों पर देखा जाता है. इसका आंकलन जलवायु परिवर्तन, युद्ध, हथियारों, विध्वंसकारी तकनीक, अंतरिक्ष में हथियारों की तैनाती और प्रॉपगैंडा वाले वीडियो जैसी वैश्विक हलचल से किया जाता है. कोल्ड वॉर युद्ध के खत्म होने पर सन् 1991 में डूम्सडे क्लॉक आधी रात यानी तबाही से सबसे ज्यादा 17 मिनट की दूरी पर थी.

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