क्या धरती पर मचने वाली है तबाही? पृथ्वी की धीमी होती रफ्तार से टेंशन में आए वैज्ञानिक
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क्या धरती पर मचने वाली है तबाही? पृथ्वी की धीमी होती रफ्तार से टेंशन में आए वैज्ञानिक

Slow Earth Rotation: हाल ही में हुई रिसर्च में कुछ ऐसे खुलासे हुए हैं जिसने वैज्ञानिकों को उलझन में डाल दिया है. ये रिसर्चस धरती के घूमने की गति से जुड़ी है जिसमें वैज्ञानिकों को बड़े बदलाव की आशंका है. 

Earth rotation is slowing down

Slow Earth Rotation: ताजा अध्ययन के अनुसार, पिछले करोड़ों वर्षों में पृथ्वी ने दो बार धीमी गति से घूमना शुरु किया, जिसमें एक समय ऐसा था जब मास एक्सटिंक्शन हुआ. चीनी वैज्ञानिकों ने खुलासा किया कि जब दूसरी बार इसकी गति धीमी हुई थी तब धरती पर तेजी से जीवन का विस्तार हुआ था, जिसे कैम्ब्रियन विस्फोट कहा जाता है. ऐसा लगता है की पृथ्वी स्थिर गति से घूम रही है पर इसका समय बदल सकता है और यह फिर 24 घंटे नहीं रहता. 

क्यों धीमी हुई पृथ्वी की रफ्तार?

ग्रैविटी में बदलाव होने पर धरती और चंद्रमा की दूरी में अंतर आता है जिससे समुद्री ज्वार भाटा या हाई टाइड्स शुरू हो जाती हैं. पृथ्वी की सतह और ज्वार भाटे के बीच घर्षण के कारण भी पृथ्वी की गति धीमी हो जाती है. इसी समय पृथ्वी द्वारा संवेग को चंद्रमा में स्थानांतरित किया जाता है जिसके कारण यह धीरे-धीरे बाहर को तरफ बढ़ता है. रिपोर्ट्स की माने तो बीते समय में इसी घटना के वजह से धरती के घूमने की गति में कमी आई थी. 

दो महीने तक चले अध्ययन के बाद चेंग्दू प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अवसादी भूविज्ञान संस्थान के मा चाओ के नेतृत्व वाली टीम ने ये निष्कर्ष निकाला की 700 मिलियन से 200 मिलियन वर्ष पहले पृथ्वी और चंद्रमा के बीच 20,000 कि.मी की बढ़ोतरी हुई थी. इसी कारण से दिन की लंबाई का समय लगभग 2.2 घंटे बढ़ गया. 

टीम ने एक रिसर्च पेपर में लिखा, जिसे नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज की कार्यवाही में प्रकाशित किया गया. "विशेष रूप से, पृथ्वी के धीमे होने में दो अंतराल हैं, 650 और 500 मिलियन वर्ष पूर्व के बीच, और 350 और 280 एमवाईए के बीच, जो 500 से 350 एमवाईए तक की रुकी हुई गति के समय से अलग है. 
 
कैम्ब्रियन विस्फोट

पहला बदलाव कैम्ब्रियन विस्फोट के दौरान हुआ था, जब जटिल जीवन रूपों में तेजी से बदलाव आया था. दूसरा अवरोध लगभग 250 मिलियन वर्ष पहले हुआ था और यह “ग्रेट डाइंग” के साथ हुआ था, जिसे पर्मियन-ट्राइसिक विलुप्ति घटना भी कहा जाता है. जिसके दौरान पृथ्वी पर 90 प्रतिशत जीवन समाप्त हो गया था. शोध के अनुसार ज्वालामुखीय गतिविधि के साथ-साथ जलवायु, समुद्र के स्तर और नमक के स्तर में परिवर्तन के कारण यह विलुप्ति की घटना हुई थी. 

मा चाओ ने कहा कि समुद्री परिस्थितियों में परिवर्तन पृथ्वी के गति में बदलाव से जुड़े थे. साइंस एंड डेली से बात करते हुए उन्होंने कहा, घूमने की गति में दो प्रमुख घटनाओं ने समुद्री इकोसिस्टम के शुरुआती विकास के लिए आवश्यक परिस्तिथियां दी होंगी. 

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