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नई दिल्ली : हाल ही में सोशल मीडिया पर हाथी एक वीडियो वायरल हो रहा है. इस वीडियो में हाथी अपने मुंह से धुएं को बाहर निकालता दिख रहा है. चलिए जानें, क्या है पूरा मामला. हमेशा हैरत में डाल देने वाले वीडियो और फोटो पोस्ट करने वाले IFS अधिकारी सुशांत नंदा ने हाथी का ये वीडियो ट्विटर पर पोस्ट किया. उन्होंने लिखा-
सेल्फ मेडिकेशन - Zoopharmacognosy एक ऐसा व्यवहार है जिसमें जानवर पौधों और मिट्टी जैसी चीजों को चुनकर खाते हैं और खुद अपना इलाज करते हैं. उन्होंने लिखा, माना जा रहा है कि क्लिप में दिख रहा हाथी अपने पेट की समस्याओं को दूर करने के लिए चारकोल खा रहा था. हालांकि इस वीडियो के बाद सोशल मीडिया पर लोगों के खूब कमेंट्स आ रहे हैं. यहां तक की एक्सपर्ट्स ने भी इस पर अपनी राय दी है.
Self medication
Zoopharmacognosy is a behaviour in which animals apparently self-medicate by selecting and ingesting plants, soils etc.
It is believed that the elephant in the clip was eating charcoal to help in stomach problems.
:In the clip pic.twitter.com/956PRBwlhX— Susanta Nanda IFS (@susantananda3) November 2, 2021
वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन सोसाइटी (WCS)) इंडिया प्रोग्राम साइंटिस्ट और elephant biologist वरुण गोस्वामी का इस बारे में कहना है कि मेरा मानना है कि हाथी लकड़ी का कोयला निगलने की कोशिश कर रहा होगा. वह जंगल के फर्श से wood charcoal के टुकड़े उठा रहा था और उसके साथ आने वाली राख को उड़ा रही था और बाकी को खा रहा था.
इस हाथी का वीडियो नागरहोल नेशनल पार्क का है जहां हिडन कैमरे लगे हुए हैं, जिन्हें कैमरा ट्रैप भी कहते हैं. एलीफेंट बायोलॉजिस्ट गोस्वामी और उनकी टीम ने हाथी द्वारा इस काम को करने को ‘smoke-breathing’ का नाम दिया है.
फोरेस्ट ट्रैक के दौरान, उन्होंने हाथी को जंगल के ‘जले हुए पैचों’ में खड़ा देखा. डब्ल्यूसीएस-इंडिया के सहायक निदेशक विनय कुमार ने लाइव साइंस को बताया कि भारत में, वन विभाग आग बुझाने के लिए फायर लाइंस जलाता है जो कि फायर ब्रेक्स क्रिएट करती हैं और इससे जंगल में फैली हुई आग पर नियंत्रण पाया जाता है. इस प्रक्रिया में जंगल के तल पर लकड़ी के चारकोल इकट्ठे हो जाते हैं.
चारकोल जो ज्यादातर कार्बन से बना होता है और कम ऑक्सीजन की स्थिति में लकड़ी को गर्म करने से बनता है. गोस्वामी ने कहा कि चारकोल में toxin-binding गुण होते हैं जो औषधीय मूल्य प्रदान कर सकते हैं. यह कहते हुए कि यह एक घुट्टी के रूप में भी काम कर सकता है.