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नई दिल्ली: भारत के त्योहारों में खानपान (Food in Festivals) का सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व व इतिहास बेहद रोचक रहा है. खासकर जब बात होली की हो तो व्यंजनों की बौछार हो जाती है. लेकिन इस बार कोरोना वायरस (Coronavirus) के प्रकोप के चलते कई जगहों पर सार्वजनिक तौर पर सजने वाली दुकानें लगभग न के बराबर होंगी. बहरहाल भांग (Scientific And Religious Benefits Of Cannabis) न सिर्फ होली के महोत्सव के लिए खास है बल्कि विज्ञान भी भांग के औषधीय गुणों का कायल है. जानिए विज्ञान और धर्म के एंगल से भांग की खासियत.
होली के त्योहार पर खानपान की बात की जाए तो दो व्यंजन सबसे पहले आते हैं, एक गुजिया (Gujhiya) और दूसरी ठंडाई. ठंडाई (Thandai) एक पेय है, जो सर्दियों के जाने और गर्मियों के आने के बीच के समय का स्वादिष्ट और पौष्टिक आहार माना जाता है. लेकिन होली परंपरा (Holi Traditions) में इसका सीधा संबंध भांग के साथ रहा है.
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होली के अद्भुत रंग हैं. होलिका दहन से इस त्योहार की शुरुआत होती है और रंग खेलने वाली होली मनाई जाती है. लेकिन जरा रुकिए, होली यहीं खत्म नहीं होती है बल्कि इसके तीन दिन बाद रंगपंचमी तक होली का त्योहार मनाया जाता है. इस बार Covid-19 के चलते कई तरह के प्रतिबंधों के कारण कुछ राज्यों में होली सीमित ढंग से मनाई जा रही है.
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) और महाराष्ट्र (Maharashtra) जैसे बड़े राज्यों में होली के दौरान सार्वजनिक उत्सवों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं. ऐसे में मप्र में भांग के शासकीय मान्यता प्राप्त ठेकों के भी बंद रहने की खबरें हैं. आपको बता दें कि भांग के साथ होली का संबंध पारंपरिक तौर पर रहा है. भांग का सीधा संबंध भगवान शिव के साथ है, लेकिन होली के साथ भांग की परंपरा के पीछे भगवन शिव सीधे तौर पर नहीं जुड़े हैं. ऐसे में जानते हैं क्या है भांग और होली की कहानी.
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विज्ञान के मुताबिक, तनावमुक्ति के लिए भांग (Scientific Benefits Of Cannabis) का सेवन देश भर में कई तरह से किया जाता है. खासकर होली के समय मिठाइयों, पकवानों और पान जैसी चीजों में भांग मिलाकर खाई खिलाई जाती है. इतना ही नहीं कई दवाइयों में भी भांग का इस्तेमाल किया जाता है. शोध पत्रों के अनुसार कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों में भी भांग का इस्तेमाल किया जाता है.
एक पौराणिक कहानी के अनुसार, शिव वैराग्य में थे और अपने ध्यान में लीन थे. माता पार्वती चाहती थीं कि वो यह तपस्या छोड़ें और दांपत्य जीवन का सुख भोगें. तब कामदेव ने फूल बांधकर एक तीर भगवान शिव पर छोड़ा था ताकि उनका तप भंग हो सके. इस कहानी के मुताबिक वैराग्य से शिव के गृहस्थ जीवन में लौटने के उत्सव को मनाने के लिए भांग का प्रचलन शुरू हुआ. हालांकि इससे जुडी और भी कहानियां प्रचलित हैं.
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वहीं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन में जो अमृत निकला था उसकी एक बूंद मंदार पर्वत पर गिर गई थी. इसी बूंद से एक पौधा उतपन्न हुआ, जिसे औषधीय गुणों वाला भांग का पौधा माना जाता है. दूध में बादाम, पिस्ता और काली मिर्च के साथ थोड़ी सी भांग (Religious Benefits Of Cannabis) मिलाकर बनाई जाने वाली ठंडाई लोकप्रिय पेय रहा है.
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