Scientific Reason Behind Lip Kiss: किसिंग के पीछे का ये विज्ञान आपको कर देगा हैरान! एक 'Kiss' से इतनी मांसपेशियां होती हैं सक्रिय
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Scientific Reason Behind Lip Kiss: किसिंग के पीछे का ये विज्ञान आपको कर देगा हैरान! एक 'Kiss' से इतनी मांसपेशियां होती हैं सक्रिय

Scientific Reason Behind Lip Kiss: चुंबन के पीछे एक पूरा विज्ञान है. इसके बाद कई केमिकल्स और तत्वों का आदान-प्रदान होता है. एक 'Kiss' केवल एक किस ही नहीं होता बल्कि इसके पीछे शरीर की 30 से ज्यादा मांसपेशियों को सक्रिय होना पड़ता है. तो आइए जानते हैं 'किस' का वैज्ञानिक ऐंगल.

Scientific Reason Behind Lip Kiss

नई दिल्ली: चुंबन (Kiss) पीछे एक पूरा विज्ञान होता है. आप ये जान कर दंग रह जाएंगे कि वैज्ञानिकों (Scientific Reason Behind Lip Kiss) के अनुसार 10 सेकेंड की 'Kiss' में 8 करोड़ बैक्टेरिया (Bacteria) एक दूसरे से शेयर होते हैं. विज्ञान कहता है कि इसके कई फायदे भी हैं और नुकसान भी.

  1. चुंबन के पीछे एक पूरा विज्ञान है
  2. इसके साथ ब्रेन से लेकर शरीर की कई मांसपेशियां भी सक्रिय हो जाती हैं
  3. कुछ केमिकल्स और बैक्टेरिया का होता है आदान प्रदान 

चुंबन पर वैज्ञानिक एंगल 

चुंबन (Kiss Scientific Reason) से इतने बैक्टेरिया के आदान प्रदान के बावजूद हाथ मिलाने से बीमार होने की संभावना ज्यादा है. किसिंग के पीछे का विज्ञान कहता है कि भले ही इस काम में बैक्टेरिया का लेना-देना हो जाए लेकिन ये दोनों के लिए फायदेमंद भी हैं.

बचपन से बुढ़ापे तक

प्यार का जुड़ाव होठों से ही शुरू होती है. बचपन में मां का दूध या बोतल से दूध पीते हुए बच्चा अपने होंठ का जिस तरह इस्तेमाल करता है, वो किसिंग (Kiss Scientific Benifits) से काफी मिलता जुलता है. ये बच्चे के दिमाग में न्यूरल/नसों से जुड़ा रास्ता तैयार करती है, जो किसिंग को लेकर मन में सकारात्मक भाव पैदा करती हैं.

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किस के दौरान होता है सुखद एहसास 

गौरतलब है कि होंठ शरीर का सबसे एक्सपोज़्ड हिस्सा है जो इंसान के भीतर कामुकता जगाता है. इंसानों के होंठ, बाकी जानवरों से अलग बाहर की ओर निकले हुए हैं. आप शायद ही जानते हों कि होठों में संवेदनशील नसों की भरमार है तभी उसका जरा सा छुआ जाना भी हमारे दिमाग तक सिग्नल पहुंचाता है और हम अच्छा महसूस करते हैं.

दिमाग की नसें हो जाती हैं एक्टिव 

चुंबन (Kiss Scientific Facts) हमारे दिमाग के एक बड़े हिस्से को सक्रिय कर देता है. इससे अचानक ही हमारा दिमाग एक्टिव होकर काम पर लग जाता है. यह सोचने लगता है कि आगे क्या हो सकता है. किस का असर कुछ इस तरह होता है कि हमारे शरीर के हार्मोन्स और न्यूरोट्रांसमिटर्स घिरनी की तरह घूमने लगते हैं. हमारी सोच और इमोशन पर असर पड़ना शुरू हो जाता है.

किस के दौरान होता है ये आदान प्रदान 

जब दो होठ मिलते हैं तो औसत 9 मिलीग्राम पानी, .7 मिलीग्राम प्रोटीन, .18 मिलीग्राम ऑर्गैनिक कम्पाउंड्स, .71 मिलीग्राम अलग अलग तरह के फैट्स और .45 मिलीग्राम सोडियम क्लोराइड का आदान प्रदान होता है. किसिंग कैलरी को बर्न करने का काम भी करती है. किस करने वाला जोड़ा 2 से 26 कैलोरीज प्रति मिनट खर्च करता है और इस इस सुख को महसूस करने के दौरान करीब 30 अलग तरह की मांसपेशियों का इस्तेमाल होता है.

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क्या कहती है संस्कृति 

अलग अलग संस्कृति में चुंबन की महत्ता अलग-अलग है. कई बार किसिंग को थूक का आदान प्रदान भी कहा जाता है. लेकिन आपका ये जानना जरूरी है कि चुंबन की शुरुआत कब हुई. अध्ययन के अनुसार पश्चिम में यह काम 2000 साल पहले शुरू हो चुका था. वहीं 2015 की एक स्टडी के अनुसार 168 संस्कृतियों में से आधी से भी कम है जो होंठ मिलन यानी Kiss को स्वीकार करती हैं. कई संस्कृतियों में इसे ‘पाप’ मानते हैं.

किस के फायदे (Scientific Benifits Of Kiss) 

रिश्ता बने मजबूत- किस(चुंबन) करने को सुखदायी एक्टिविटी माना जाता है. ये शारीरिक संबंधों के लिए भी आवश्यक है. प्यार और साथ को बनाए रखने में मददगार है.
तनाव कम - किस करने से दिमाग से ऐसे केमिकल निकलते हैं, जो दिमाग को शांत करते हैं. इससे तनाव कम होता है और दिमाग भी फ्रेश हो जाता है.
मेटाबॉलिज्म- किस करने से कैलोरी बर्न होती है, जिससे मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा मिलता है.
मुंह रहे सेहतमंद- हमारे मुंह की लार में बैक्टेरिया, वायरस आदि से लड़ने वाले पदार्थ होते हैं. इसलिए किस करने से हमारा मुंह, दांत और मसूड़े सेहतमंद बने रहते हैं.
बढ़ती है इम्युनिटी- अपने साथी के मुंह में रहने वाले कीटाणुओं के संपर्क में आने से हमारी इम्युनिटी भी मजबूत होती है.

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किस करने के ये हैं नुकसान

किस करने का सबसे बड़ा नुकसान है कि इससे कुछ बीमारियां आसानी से फैल सकती हैं
गले और नाक से निकले ड्रॉपलेट से
कुछ इन्फेक्टेड ड्रॉपलेट हवा में भी होते हैं. जब संक्रमित ड्रॉपलेट को आप सांस के माध्यम से अंदर ले जाते हैं तो आप बीमार हो सकते हैं. 
नाक और गले से कुछ संक्रमित कण अपने छोटे आकार के कारण लंबे समय तक हवा में रह सकते हैं. उन्हें ड्रॉपलेट नुक्लेइ कहा जाता है जो सीधे फेफड़ों में प्रवेश कर बीमारी का कारण बन सकते हैं.
इससे कई तरह के इंफेक्शन भी होते हैं. 

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