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नई दिल्ली: NASA के हबल स्पेस टेलिस्कोप (Hubble Space Telescope) ने बृहस्पति के आकार के गर्म ग्रह पर मौसम प्रणाली के संकेत देखे हैं. यहां तापमान 2,195 F है. SRON नीदरलैंड्स इंस्टिट्यूट ऑफ स्पेस रिसर्च और यूनिवर्सिटी (Netherlands Institute Of Space Research And University) ऑफ ग्रोनिनगन ने WASP-31b की तस्वीरें स्टडी कीं. इसका एक हिस्सा हमेशा सूरज के बराबर अपने सितारे की ओर रहता है और जहां यह दूसरे हिस्से से मिलता है, वहां तापमान 2192 डिग्री होता है.
एक्सपर्ट्स को इस ट्वाइलाइट (Twilight) जोन में क्रोमियम हाइड्राइड (Chromium Hydride) मिला है. यहां तापमान और दबाव की वजह से यह तरल और गैस अवस्था में रहता है. यहां रात के हिस्से में बारिश की तरह रहता है और दिन के हिस्से में गैस की तरह. वैज्ञानिक का कहना है कि किसी भी ग्रह की मौसम प्रणाली को समझना बेहद जरूरी होता है क्योंकि उससे पता चलता है कि वहां जीवन संभव है या नहीं है.
WASP-31b बृहस्पति से 1.5 गुना बड़ा है लेकिन इसका द्रव्यमान उसका आधा है. यह अपने सितारे का एक चक्कर 3.4 दिनों में लगाता है. प्रोग्राम के लीडर माइकील मिन (Michael Min)के मुताबिक गर्म बृहस्पति, जैसे WASP-31b ग्रह का एक हिस्सा हमेशा अपने सितारे की ओर होता है. किसी सितारे का चक्कर काटने वाले ग्रह (Exoplanet) धरती से बेहद दूर हैं और वहां तक जाकर रिसर्च करने की टेक्नॉलजी अभी विकसित नहीं की जा सकी है. हालांकि, टेलिस्कोप और धरती पर मौजूद दूसरे उपकरणों की मदद से उन्हें दूर से स्टडी किया जा सकता है.
WASP-107b धरती से 212 लाइट इयर दूर वर्गो (Virgo) तारामंडल में स्थित है. आकलन के मुताबिक धरती सूरज से जितनी दूर है, यह ग्रह अपने सितारे WASP107 से उसका 16 गुना ज्यादा करीब है. यूनिवर्सिटी ऑफ मॉन्ट्रियाल के रिसर्चर्स ने ग्रह के आकार और घनत्व का पता लगाया है. इसका कम घना होना इस बात का संकेत है कि इसकी कोर धरती के द्रव्यमान से चार गुना से ज्यादा नहीं होगी और इसका 85% मास (Mass) गैस की मोटी परत के रूप में मौजूद है.
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वैज्ञानिकों के सामने यह सवाल है कि आखिर इसकी गैस अभी तक खत्म क्यों नहीं हुई है? डेली मेल ऑनलाइन ने ऐसे ग्रहों की विशेषज्ञ प्रोफेसर ईव ली (Professor Eve Lee) के हवाले से कई थ्योरी बताई हैं. ईव के मुताबिक, 'WASP-107b को लेकर सबसे बड़ी संभावना रही होगी कि यह ग्रह अपने सितारे से काफी दूर बना होगा जहां जब डिस्क में गैस इतनी ठंडी होती है कि बहुत तेजी से बढ़ जाती है. बाद में यह ग्रह अपनी मौजूदा लोकेशन पर आया होगा.'
ऑब्जर्वेशन में यह भी पता चला है कि इस सितारे का चक्कर काट रहा यह अकेला ग्रह नहीं है. WASP-107c नाम का ग्रह भी इसके साथ है. इसका द्रव्यमान बृहस्पति का एक-तिहाई है और यह WASP-107 से काफी दूर है और इसे तारे का एक चक्कर लगाने में तीन साल लगते हैं. इसकी कक्षा गोलाकार से ज्यादा अंडाकार है. अपने सौर मंडल के बाहर ऐसे ग्रह मिलने से बृह्मांड में ग्रहों के बनने की प्रक्रिया को समझा जा सकेगा. साथ ही, अलग-अलग तरह के ग्रहों के बारे में जानकारी भी मिलेगी.
गौरतलब है कि इससे पहले ऐस्ट्रोनॉमर्स ने ऐसा ग्रह खोजा है जो बृहस्पति के बराबर है लेकिन उससे 10 गुना हल्का है। इसका नाम WASP-107b है और माना जा रहा है कि अब तक खोजे गए एग्जोप्लैनेट्स में से सबसे कम घना है. इसकी वजह से इसे सुपर-पफ और कॉटन कैंडी प्लैनेट भी कहा जा रहा है. रिसर्चर्स का कगना है कि इससे ग्रहों के बनने और बढ़ने की प्रक्रिया को समझा जा सकता है.
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