IIT Indore: एक सेकंड में खींच सकता है 7 लाख फोटो, भारत ने बनाई बेहद बारीक हलचलों को क्लिक करने की नई तकनीक
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IIT Indore: एक सेकंड में खींच सकता है 7 लाख फोटो, भारत ने बनाई बेहद बारीक हलचलों को क्लिक करने की नई तकनीक

IIT Indore Latest News: किसी भी धमाके के बाद उसके कणों की तस्वीर खींचना हमेशा से एक मुश्किल काम रहा है. लेकिन अब यह दिक्कत दूर होने वाली है. आईआईटी इंदौर ने ऐसी तकनीक ईजाद की है.

IIT Indore: एक सेकंड में खींच सकता है 7 लाख फोटो, भारत ने बनाई बेहद बारीक हलचलों को क्लिक करने की नई तकनीक

IIT Indore New Camera Innovation: इंदौर के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) ने धमाकों की बेहद बारीक हलचलों को सटीक ब्योरे के साथ कैमरे से क्लिक करने की नई तकनीक ईजाद की है. आईआईटी के अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के सहयोग से विकसित तकनीक की मदद से रक्षा और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों के प्रयोगों में बड़े बदलाव हो सकते हैं. अधिकारियों ने बताया कि इस तकनीक को आईआईटी इंदौर के प्रोफेसर देवेंद्र देशमुख के नेतृत्व में विकसित किया गया है. 

धमाके के कणों की तस्वीरें लेना चुनौती भरा

अधिकारियों ने बताया,‘धमाकों के दौरान तेज रफ्तार से सफर करने वाले कणों की तस्वीरें लेना वैज्ञानिकों के लिए हमेशा से चुनौती भरा रहा है. शैडोग्राफी, श्लिरेन और एक्स-रे इमेजिंग जैसी पारंपरिक तकनीकें छवियों को कैमरे में उतारने के लिए केवल एक माइक्रोसेकंड का न्यूनतम एक्सपोजर समय प्रदान करती हैं. इससे धमाकों की तस्वीरें अक्सर धुंधली हो जाती हैं, इनका ब्योरा नष्ट हो जाता है तथा अनुसंधानकर्ताओं को तेज रफ्तार से होने वाली की घटनाओं के बारे में अधूरी जानकारी मिल पाती है.’

विकसित हुए फोटो खींचने की नई तकनीक

उन्होंने बताया कि इस चुनौती से निपटने के लिए "डिजिटल इनलाइन होलोग्राफी" के सिद्धांतों के इस्तेमाल से तस्वीरें खींचने की नई तकनीक ईजाद की गई है, जिससे विस्फोट के दौरान होने वाली गतिविधियों को बेहद बारीकी से कैमरे में दर्ज किया जा सकता है. 

खींचे जा सकते हैं एक सेकंड में 7 लाख फोटो

आईआईटी इंदौर के निदेशक प्रोफेसर सुहास जोशी ने कहा, 'पारंपरिक तरीकों से केवल एक माइक्रोसेकंड के ‘एक्सपोजर’ समय तक धमाकों की तस्वीरें ली जा सकती थीं, जबकि नयी तकनीक 50 नैनो सेकंड से भी कम ‘एक्सपोजर’ समय के साथ छवियों को कैमरे से क्लिक कर सकती है. इस प्रणाली से हर सेकंड किसी दृश्य की सात लाख फ्रेम तक रिकॉर्ड की जा सकती हैं.’

उन्होंने बताया कि नयी तकनीक की मदद से अनुसंधानकर्ताओं को धमाकों के दौरान कणों के व्यवहार का वास्तविक समय पता चलता है. जोशी ने कहा कि इस तकनीक से धमाकों के दौरान उड़ने वाली धूल और धुएं से भरे वातावरण में भी तस्वीरों का बेहद बारीक ब्योरा कैमरे से क्लिक किया जा सकता है. 

(एजेंसी भाषा) 

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