पृथ्वी जितने बड़े चुंबकीय बवंडर... दिखते हैं, फिर गायब हो जाते हैं! जुपिटर पर क्या चल रहा?
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पृथ्वी जितने बड़े चुंबकीय बवंडर... दिखते हैं, फिर गायब हो जाते हैं! जुपिटर पर क्या चल रहा?

Magnetic Tornadoes On Jupiter: 'सौरमंडल का दादा' कहे जाने वाले बृहस्पति के ध्रुवों पर पृथ्वी के आकार के चुंबकीय बवंडर ने एस्ट्रोनॉमर्स को सिर खुजाने पर मजबूर कर दिया है.

पृथ्वी जितने बड़े चुंबकीय बवंडर... दिखते हैं, फिर गायब हो जाते हैं! जुपिटर पर क्या चल रहा?

Science News in Hindi: बृहस्पति (Jupiter) पर उठते चुंबकीय बवंडरों ने वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया है. पृथ्‍वी के आकार के ये चुंबकीय बवंडर दिखते हैं, फिर गायब हो जाते हैं. इन गहरे अंडाकार धब्बों को पहली बार हबल स्पेस टेलीस्कोप ने 1990 के दशक में देखा था. 2015 और 2022 में ली गई बृहस्पति की तस्वीरों में भी तूफान दिखाई दे रहे हैं. कैसिनी स्पेसक्राफ्ट ने भी 2000 में अपनी उड़ान के दौरान इन गहरे अंडाकार धब्बों को देखा था. अब Nature Astronomy में छपे एक पेपर में, रिसर्चर्स ने इशारा किया है कि ये बवंडर बृहस्पति के चुंबकीय क्षेत्र में हो रहीं अजीब प्रक्रियाओं से जुड़े हो सकते हैं. ये अंडाकार आकृतियां एक महीने में बनती हैं और कुछ सप्ताह में विलुप्त हो जाती हैं.

ये अंडाकार धब्बे लगभग बृहस्पति के मशहूर 'ग्रेट रेड स्पॉट' जितने बड़े हैं. यह स्पॉट सदियों से बृहस्पति पर नजर आता रहा है. नई रिसर्च के मुताबिक, चुंबकीय बवंडर केवल अल्ट्रावायलेट वेवलेंथ्स में दिखते हैं. चूंकि वे आसपास के इलाकों से ज्यादा UV रोशनी अवशोषित करते हैँ, इसलिए काले धब्बे जैसे नजर आते हैं.

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उत्तरी ध्रुव पर दुर्लभ, दक्षिण में आम हैं ऐसे तूफान

ये धब्बे बृहस्पति के ध्रुवों पर छाई धुंध में, पृथ्वी पर ऑरोरा के जैसे चमकीले क्षेत्रों के ठीक नीचे मौजूद हैं. नई स्टडी बताती है कि ये धब्बे बृहस्पति के दक्षिणी ध्रुव पर आम हैं, लेकिन उत्तरी ध्रुव पर दुर्लभ हैं. 1994 से 2022 के बीच, हबल टेलीस्कोप की तस्वीरों में 8 दक्षिणी UV काले धब्बे (SUDO) दिखाई दिए. हालांकि, उत्तरी ध्रुव की 25 तस्वीरों में केवल दो उत्तरी UV काले धब्बे (NUDO) नजर आए.

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रिसर्च के अनुसार, ये डार्क ओवल शायद ऊपर से पैदा भंवरों के कारण होते हैं. ये भंवर तब बनते हैं, जब ग्रह की चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं बृहस्पति के आयनमंडल में घर्षण का अनुभव करती हैं. आयनमंडल ऊपरी वायुमंडल का एक हिस्सा है, जहां सौर विकिरण ने परमाणुओं और अणुओं को आयनित करके इलेक्ट्रॉनों की एक परत बनाई है. रिसर्चर्स का अनुमान है कि जैसे-जैसे यह गहरी परतों में पहुंचता है, भंवर कमजोर होता जाता है.

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