अंतरिक्ष में फिर जगी जीवन होने की उम्मीद, प्लूटो पर मिले बर्फीले ज्वालामुखी
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अंतरिक्ष में फिर जगी जीवन होने की उम्मीद, प्लूटो पर मिले बर्फीले ज्वालामुखी

वैज्ञानिक अंतरिक्ष में जीवन की संभावनाओं को तलाशते रहते हैं. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि प्लूटो (Pluto) पर जीवन हो सकता है. इसको लेकर अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने Pluto की कुछ तस्वीरें जारी की हैं, जिनमें बर्फीले ज्वालामुखी (Ice Volcanoes) दिखाई दे रहे हैं.

अंतरिक्ष में फिर जगी जीवन होने की उम्मीद, प्लूटो पर मिले बर्फीले ज्वालामुखी

नई दिल्लीः प्लूटो (Pluto) ग्रह पर वैज्ञानिकों को बर्फीले ज्वालामुखी मिले हैं. इससे यह उम्मीद जगी है कि Pluto पर जीवन हो सकता है. Pluto भी हमारे सौर मंडल का एक Backbencher Planet है, क्योंकि सबसे आखिर में मौजूद है. इसे बौना ग्रह (Dwarf Planet) भी कहते हैं. Dwarf Planet का मतलब होता है, बौना ग्रह. यानी ये एक ग्रह के जैसा तो है, लेकिन इसका आकार एक ग्रह के बराबर नहीं है. हालांकि अब यहां जीवन होने की सम्भावनाएं मिली हैं.

  1. अंतरिक्ष में एक बार फिर जगी जीवन होने की उम्मीद
  2. प्लूटो पर मिले बर्फीले ज्वालामुखी
  3. नासा ने जारी की तस्वीरें
  4.  

7 साल तक की गई रिसर्च

अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी, नासा (NASA) द्वारा Pluto की कुछ तस्वीरें जारी की गई हैं, जिनमें बर्फीले ज्वालामुखी (Ice Volcanoes) दिखाई दे रहे हैं. ये तस्वीरें वर्ष 2015 में NASA के Horizon Mission के तहत ली गई थीं, जिनका 7 वर्षों तक अध्ययन किया गया और अब वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि इन तस्वीरों में Ice Volcanoes दिखाई दे रहे हैं. उनका मानना है कि हमारे सौर मंडल में जो 8 ग्रह हैं, उन पर इस तरह की बर्फीले ज्वालामुखी आज तक नहीं मिले हैं. एक और बात, ये पृथ्वी पर मौजूद ज्वालामुखी से अलग हैं. यानी ये गैस और पिघले हुए पत्थरों का लावा नहीं उगलते, बल्कि इन ज्वालामुखी से भारी मात्रा में बर्फ निकलती है.

10 बर्फीले ज्वालामुखी की हुई पहचान!

ये ज्वालामुखी अमोनिया और पानी से बने हो सकते हैं, जिसके लिए वैज्ञानिक Frozen Liquid शब्द का भी इस्तेमाल करते हैं. NASA ने Pluto पर ऐसे 10 Ice Volcanoes की पहचान की है, जिनकी ऊंचाई एक किलोमीटर से सात किलोमीटर तक हो सकती है.

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जीवन होने की बढ़ी संभावना

अब NASA और दूसरी अंतरिक्ष एजेंसियों के वैज्ञानिक इस सवाल का जवाब ढूंढ रहे हैं कि अगर ये सारे ज्वालामुखी, Frozen Liquid से बने हैं तो क्या कभी प्लूटो पर महासागर भी हुआ करता था? क्या ये संभव है कि अब भी प्लूटो की सतह के नीचे महासागर मौजूद हो, जिसकी वजह से वहां Ice Volcanoes बने हुए हैं. अगर ये साबित हो जाता है तो इससे प्लूटो पर जीवन होने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी, क्योंकि विज्ञान कहता है कि जहां पानी है, वहां जीवन की संभावना है. यानी जिस प्लूटो से वर्ष 2005 में ग्रह होने का भी दर्जा छीन लिया गया था. आज उसी प्लूटो पर जीवन की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं. हो सकता है कि वैज्ञानिक इस बार प्लूटो से खुश होकर उसे ग्रह होने का दर्जा वापस लौटा दें.

पृथ्वी और प्लूटो में क्या है अंतर?

हालांकि, प्लूटो और पृथ्वी में एक बड़ा अंतर है. पृथ्वी को सूर्य का एक चक्कर लगाने में 365 दिन, पांच घंटे, 59 मिनट और 16 सेकेंड लगते हैं. जबकि प्लूटो की सूर्य से दूरी 587 करोड़ 40 लाख किलोमीटर है. प्लूटो को सूर्य के चारों तरफ एक चक्कर पूरा करने में 248 वर्ष लगते हैं. हालांकि, एक दिलचस्प जानकारी ये है कि पृथ्वी आज से 450 करोड़ साल पहली बनी थी और प्लूटो भी इतने समय पहले ही अस्तित्व में आया था.

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