New Exoplanet Discovered 2024: वैज्ञानिकों ने पृथ्वी से लगभग 1,100 प्रकाश वर्ष दूर स्थित एक्सोप्लैनेट की खोज की है. इसका द्रव्यमान बृहस्पति से पांच गुना ज्यादा है. इस एक्सोप्लैनेट की कक्षा किसी 'खीरे' जैसी है.
Trending Photos
New Exoplanet Discovery: एस्ट्रोनॉमर्स ने एक भीमकाय एक्सोप्लैनेट का पता लगाया है. इस ग्रह की कक्षा 'बेहद अजीब' है जो पहले खोजी गई किसी भी कक्षा से अधिक अण्डाकार है. यह विचित्र ग्रह पीछे की ओर भी परिक्रमा करता है. मतलब यह अपने तारे की परिक्रमा की विपरीत दिशा में परिक्रमा करता है. वैज्ञानिकों के अनुसार, यह इस रहस्य को सुलझाने में मदद कर सकता है कि 'गर्म बृहस्पति' कैसे बनते हैं. इस एक्सोप्लैनेट का नाम TIC 241249530b है और यह पृथ्वी से करीब 1,100 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है.
वैज्ञानिकों ने इसे 'गर्म बृहस्पति' नाम दिया है. यह बृहस्पति की तुलना में पांच गुना अधिक द्रव्यमान वाला ग्रह है. रिसर्चर्स की इंटरनेशनल टीम की खोज के नतीजे 'नेचर' पत्रिका में छपे हैं. रिसर्च टीम ने ट्रांज़िटिंग एक्सोप्लेनेट सर्वे सैटेलाइट (TESS) से मिले डेटा में इसकी मौजूदगी देखी.
खोज पर वैज्ञानिकों को भी नहीं हो रहा यकीन!
स्टडी के सह-लेखक और अमेरिका के पेनसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी (PSU) के खगोलशास्त्री प्रोफेसर सुव्रत महादेवन कहते हैं, 'हमने इस विशाल ग्रह को अपने तारे के निकट से गुजरते समय एक तीव्र, हेयरपिन मोड़ लेते हुए देखा. ऐसे अत्यधिक विलक्षण पारगमन ग्रह अविश्वसनीय रूप से दुर्लभ हैं - और यह वास्तव में आश्चर्यजनक है कि हम सबसे विलक्षण ग्रह की खोज करने में सक्षम हुए.'
यह भी पढ़ें: सूर्य नहीं किसी और चीज के चक्कर लगा रही पृथ्वी, सौरमंडल का 'सच' नहीं जानते होंगे आप!
क्या होते हैं 'गर्म बृहस्पति'?
गर्म बृहस्पति गैस से भरे उन विशालकाय एक्सोप्लैनेट्स को कहते हैं जो अपने तारे की बेहद करीब रहकर परिक्रमा करते हैं. एस्ट्रोनॉमर्स का मानना है कि यह संभव नहीं है कि ये ग्रह अपने तारों के ठीक बगल में बने हों, बल्कि शायद ये दूर बने हों और अंदर की ओर चले आए हों. अपनी लंबी कक्षा के कारण यह एक्सोप्लैनेट भी गर्म बृहस्पति बनने की ओर अग्रसर हो सकता है.
ब्रह्मांड में सुपरमैसिव ब्लैक होल के बढ़ने की रफ्तार क्यों पड़ी धीमी? मिल गया जवाब
ठंडा ग्रह कैसे बनेगा 'गर्म बृहस्पति'?
जब यह अपने सूर्य के सबसे करीब होता है, तो यह ग्रह (TIC 241249530b) हमारे सूर्य से बुध की तुलना में दस गुना करीब होता है. अपनी सबसे अधिक दूरी पर, यह पृथ्वी-सूर्य की दूरी से थोड़ा अधिक दूर होता है. अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) की एस्ट्रोनॉमर डॉ. सारा मिलहोलैंड कहती हैं, 'हमारा मानना है कि जब इस ग्रह का निर्माण हुआ होगा, तब यह एक ठंडा ग्रह रहा होगा. और नाटकीय कक्षीय गतिशीलता के कारण, यह लगभग एक अरब वर्षों में एक गर्म बृहस्पति बन जाएगा, जिसका तापमान कई हजार केल्विन होगा.