बाहरी सौर प्रणाली में रहस्यमय कक्षाओं ने ‘प्लैनेट नाइन’ से नहीं लिया है आकार: रिसर्च
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बाहरी सौर प्रणाली में रहस्यमय कक्षाओं ने ‘प्लैनेट नाइन’ से नहीं लिया है आकार: रिसर्च

ब्रिटेन के कैंब्रिज विश्वविद्यालय और उनके साथी शोधकर्ताओं द्वारा तथाकथित ‘प्लैनेट नाइन’ की अवधारणा की वैकल्पिक व्याख्या पेश की है.  

.(प्रतीकात्मक तस्वीर)

लंदन: वैज्ञानिकों का कहना है कि हमारी सौर प्रणाली के सबसे बाहरी हिस्से में कुछ वस्तुओं की अनोखी कक्षाओं ने काल्पनिक ‘प्लैनेट नाइन’ से आकार नहीं लिया है, बल्कि उन्हें नेपच्यून के परे सूर्य की परिक्रमा कर रहे कुछ लघु पिंडों के गुरुत्व बल से समझा जा सकता है. ब्रिटेन के कैंब्रिज विश्वविद्यालय और उनके साथी शोधकर्ताओं द्वारा तथाकथित ‘प्लैनेट नाइन’ की अवधारणा की वैकल्पिक व्याख्या पेश की है.  उसमें छोटे बर्फीले पिंड के बने नक्षत्र मंडल का प्रस्ताव दिया गया है जिसका संयुक्त द्रव्यमान पृथ्वी से दस गुना अधिक है.

एस्ट्रोनॉमिकल जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार जब सौर प्रणाली के सरलीकृत मॉडल से जोड़ा जाता है तो काल्पनिक नक्षत्र मंडल की गुरुत्व शक्ति सौर प्रणाली के बाहरी हिस्से में कुछ वस्तुओं द्वारा प्रदर्शित की जाने वाली असामान्य कक्षीय बनावट को स्पष्ट कर सकती है. नया सिद्धांत इस बात का प्रस्ताव करने वाला पहला नहीं है कि छोटे पिंडों से बने विशाल नक्षत्र मंडल की गुरुत्वाकर्षण शक्तियां नवें ग्रह की आवश्यकता को टाल सकती हैं.

हालांकि, इस तरह का यह पहला सिद्धांत है जो हमारी सौर प्रणाली में आठ अन्य ग्रहों के द्रव्यमान और गुरुत्वाकर्षण को स्पष्ट करते वक्त दिखने वाली कक्षाओं की महत्वपूर्ण विशेषताओं को बयां करने में सक्षम है. नेपच्यून की कक्षा के बाहर कुइपर बेल्ट है, जो सौर प्रणाली के निर्माण से छूटे लघु पिंडों का बना है.

नेपच्यून और अन्य बड़े ग्रह कुइपर बेल्ट और उसके बाहर पिंडों को गुरुत्वीय रूप से प्रभावित करते हैं.  इन्हें सामूहिक रूप से ट्रांस नेपच्यूनियन ऑबजेक्ट्स (टीएनओ) के नाम से जाना जाता है जो लगभग सभी दिशाओं से तकरीबन वृत्तीय पथ पर सूर्य को घेरते हैं. 

 

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