थॉमस मिडगली जूनियर: दुनिया का सबसे खतरनाक इंजीनियर, अपने ही आविष्कार ने गला घोंटकर मार डाला
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थॉमस मिडगली जूनियर: दुनिया का सबसे खतरनाक इंजीनियर, अपने ही आविष्कार ने गला घोंटकर मार डाला

Thomas Midgley Jr Story: थॉमस मिडगली जूनियर की गिनती दुनिया के सबसे खतरनाक आविष्कारकों में होती है. हम आज पर्यावरण से जुड़ी जो भी समस्याएं झेल रहे हैं, उनमें से अधिकांश थॉमस मिडगली जूनियर की देन हैं.

थॉमस मिडगली जूनियर: दुनिया का सबसे खतरनाक इंजीनियर, अपने ही आविष्कार ने गला घोंटकर मार डाला

Thomas Midgley Jr. Story: इतिहास का सबसे खतरनाक व्यक्ति कौन है? चंगेज खान की गिनती इतिहास के सबसे खूंखार हत्यारों में होती है. हिटलर और स्टालिन जैसे तानाशाहों की सनक का अंजाम भी दुनिया ने देखा. लेकिन ये सब थॉमस मिडगली जूनियर के आगे शायद बौने पड़ जाएं. थॉमस मिडगली जूनियर को दुनिया का सबसे खतरनाक आविष्कारक माना जाता है.

थॉमस मिडगली जूनियर के आविष्कारों ने दुनिया को तबाही के कगार पर ला छोड़ा. जिन पर्यावरणीय समस्याओं का सामना हम आज कर रहे हैं, वे थॉमस मिडगली की वजह से ही हैं. उनकी मृत्यु के कम से कम सौ साल बाद भी दुनिया को इन समस्याओं का सामना करना पड़ेगा.

थॉमस मिडगली जूनियर की कहानी

थॉमस मिडगली जूनियर का जन्म 18 मई, 1889 को अमेरिका के पेंसिल्वेनिया में हुआ था. थॉमस का परिवार आविष्कारकों का परिवार था. पिता से लेकर नाना तक ने कुछ न कुछ आविष्कार किए थे. कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर निकले थॉमस ने 1916 में जनरल मोटर्स में काम करना शुरू किया. 

थॉमस को जहरीले रसायनों से जुड़े प्रयोग करने का शौक था. थॉमस को इससे फर्क नहीं पड़ता था कि उन प्रयोगों के नतीजे दुनिया के लिए, उसमें बसने वाले इंसानों के लिए या फिर पर्यावरण के लिए कितने खतरनाक होंगे.

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लेड जहर है, जानने के बावजूद दुनिया को खतरे में डाला

जनरल मोटर्स में, थॉमस मिडगली और उनके साथी गैसोलीन के लिए एडिटिव्स पर रिसर्च करते थे. 1920s की शुरुआत में, थॉमस ने सोचा कि इंजन की खट-खट दूर करने के लिए, गैसोलीन में टेट्राएथिल लेड मिलाया जाए. जबकि लेड एक जहरीला पदार्थ है, यह सब जानते थे. 

लेड यानी सीसा बेहद जहरीला होता है, यह बात प्राचीन रोम के लोगों को भी पता था. प्राचीन रोम में, यह आम बात थी कि सीसा पागलपन और यहां तककि मौत का कारण बन सकता है. थॉमस मिडगली ने लालच और सुविधा के आगे ज्ञान और जिम्मेदारी की बलि चढ़ा दी और लाखों को मौत के मुंह में धकेल दिया.

सीसा सुरक्षित है, यह साबित करने के लिए 1923 में थॉमस मिडगली ने सीसा युक्त गैस में 60 सेकेंड तक सांस ली. जब वह लेड पॉइजनिंग से उबर रहे थे, तब चार्ल्स केटरिंग के साथ फोन पर बातचीत के दौरान कहा था, 'क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि हम इससे कितना पैसा कमाएंगे? हम 200 मिलियन डॉलर कमाएंगे, शायद इससे भी ज्यादा.'

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पूरी दुनिया में फैलाया जहर

थॉमस मिडगली जूनियर के सबसे बड़े और सबसे घातक आविष्कारों में रासायनिक एंटीनॉक एजेंट शामिल हैं. इनमें से टेट्राएथिल लेड उनके लेडेड गैसोलीन में इस्तेमाल किया जाने वाला मुख्य एजेंट है. थॉमस ने समुद्री जल से ब्रोमीन का निष्कर्षण, और रेफ्रिजरेटिंग यौगिकों का उत्पादन करने के लिए फ्लोरीन का उपयोग किया.

इन आविष्कारों की वजह से, थॉमस मिडगली जूनियर ने अगली तीन पीढ़ियों को जहर देने में योगदान दिया. उन्होंने यूवी किरणों के संपर्क में आने से त्वचा कैंसर और अन्य त्वचा संबंधी समस्याओं के जोखिम को बढ़ाया, और ग्लोबल वार्मिंग में बहुत योगदान दिया.

एथिल गैसोलीन के विज्ञापनों ने गैर-जिम्मेदाराना तरीके से लोगों को अपने टैंकों में जहरीले सीसा युक्त गैसोलीन भरने के लिए प्रोत्साहित किया. थॉमस मिडगली को पता था कि उनकी लेड गैसोलीन जहरीली है, लेकिन उन्होंने नजरअंदाज किया. 'लेड' शब्द से ध्‍यान हटाने के लिए लेड गैसोलीन को एक महिला का नाम दिया गया था. फिर इसे एथिल गैसोलीन के रूप में बेचा गया.

अगले छह दशक तक, सीसा दुनियाभर में फैलता गया. यह हमारे आईक्यू स्तर, तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचाता रहा. साथ ही लेड पॉइजनिंग से जुड़ी अन्य स्वास्थ्य समस्याएं देता रहा.

न्यूयॉर्क, वाशिंगटन और फिलाडेल्फिया में लेड की बिक्री पर रोक के बाद, नई टीवी विज्ञापन आए जिनमें लेड के घातक प्रभावों के बारे में बताया गया. 1978 में सीसा-आधारित पेंट पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. हालांकि, घर के रिनोवेशन से पुराना पेंट खराब हो जाता है और इससे नए मालिकों को लेड पॉइजनिंग का खतरा हो सकता है. अनुमान है कि 35% अमेरिकी घरों में अभी भी सीसा-आधारित पेंट के निशान मौजूद हैं.

U.S. क्लीन एयर एक्ट के जरिए, 1 जनवरी 1996 से सीसा युक्त गैसोलीन की बिक्री पर बैन लगा दिया गया. चरणबद्ध तरीके से इसे 1999 तक पूरी तरह समाप्त कर दिया गया. लेकिन नुकसान अभी और होना था.

जहरीली गैसों ने ओजोन लेयर को पहुंचाया नुकसान

1930 में थॉमस मिडगली ने पाया कि डाइक्लोरोडाइफ्लोरोमीथेन (CFC) का उपयोग रेफ्रिजरेटर और एयर कंडीशनर में रेफ्रिजरेंट गैस के रूप में किया जा सकता है. मिडगली की कंपनी Kinetic Chemicals ने Freon-12 नाम से इसका उत्पादन शुरू कर दिया. यह दिखाने के लिए कि CFC गैस सुरक्षित है, मिडगली ने मात्रा में गैस को अंदर लिया और मोमबत्ती की लौ बुझाकर दिखाया कि यह गैर-विषाक्त और गैर-ज्वलनशील है, इसलिए सुरक्षित है. 

सच तो यह है कि फ्रीऑन गैस को ओजोन क्षरण की प्रमुख वजहों में से एक माना जाता है. इसके उत्पादन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. एरोसोल और क्षतिग्रस्त फ्रिजों से निकलने वाले क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC) ने ओजोन परत को गंभीर और अपूरणीय क्षति पहुंचाई है. ऊपरी वायुमंडल का यह क्षेत्र धरती पर जीवन को यूवी और अन्य प्रकार के रेडिएशन से बचाता है.

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यह तस्वीर 31 जुलाई, 2018 को अंटार्कटिक ध्रुव पर कुल ओजोन का फॉल्स-कलर व्यू दिखाती है जिसे नासा के ओजोन होल वॉच द्वारा दर्ज किया गया. बैंगनी और नीला रंग जहां है, वहां सबसे कम ओजोन है. पीले और लाल रंग वाले क्षेत्र में ज्यादा ओजोन है. (Source: National Aeronautics and Space Administration/NASA)

अमेरिका में खूब मिला सम्मान

हम अभी भी थॉमस मिडगली के घातक आविष्कारों के परिणामों को भुगत रहे हैं. अमेरिकी पेटेंट और ट्रेडमार्क ऑफिस ने मिडगली को 117 पेटेंट दिए थे. बाद के सालों में, थॉमस मिडगली को कई पुरस्कार मिले. इनमें 1941 में अमेरिकन केमिकल सोसायटी द्वारा दिया गया प्रीस्टली मेडल और 1942 में विलार्ड गिब्स अवार्ड शामिल है. मिडगली को एक नहीं बल्कि दो मानद उपाधियों से सम्मानित किया गया और उन्हें यूनाइटेड स्टेट्स नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज के अध्यक्ष के रूप में भी चुना गया.

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अपने ही आविष्कार ने ली जान

1940 में, 51 साल की उम्र में थॉमस मिडगली को पोलियो हो गया. कई मामलों में, पोलियो के कारण सांस लेने वाली मांसपेशियां स्थिर हो जाती हैं, जिससे मृत्यु हो जाती है. आम तौर पर, पोलियो केवल पांच साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है. इस बीमारी ने मिडगली को विकलांग बना दिया और उसे लगातार मदद की जरूरत थी. 

थॉमस ने एक पुली सिस्टम का आविष्कार किया जिससे वह बिना किसी मदद के बिस्तर से बाहर निकल सकता था. हालांकि, उनके पिछले सभी घातक आविष्कारों की तरह, यह आविष्कार भी बहुत अच्छी तरह से काम नहीं कर पाया. 2 नवंबर, 1944 को, 55 साल की उम्र में थॉमस मिडगली की दम घुटने से मृत्यु हो गई. उनके अपने ही घातक आविष्कार ने गर्दन में उलझकर उनका गला घोंट दिया था.

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