Science News: वैज्ञानिकों ने जीवन के क्रमिक विकास यानी Evolution से जुड़ी बेहद दुर्लभ घटना को सामने घटते देखा है. पृथ्वी पर जीवन शुरू होने के बाद से, ऐसा अब तक केवल दो बार ही हुआ था.
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Two Lifeforms Merge Into One: वैज्ञानिकों ने अरबों साल में एक बार होने वाले इवॉल्यूशन प्रोसेस की झलक देखी है. पहली बार दो अलग-अलग लाइफ फॉर्म्स का विलय रिकॉर्ड किया गया. दोनों ने मिलकर एक नए जीव का निर्माण किया. यह बेहद दुर्लभ घटना एक प्रयोगशाला के भीतर, एक प्रकार के प्रचुर समुद्री शैवाल और एक जीवाणु के बीच घटी. पिछली बार जब ऐसा हुआ था तो धरती को पौधे मिले थे. वैज्ञानिकों ने इस प्रक्रिया के नतीजे Cell और Science जर्नल में छापे हैं. जीवन के विकास की इस प्रक्रिया को प्राइमरी एंडोसिम्बायोसिस कहते हैं. ऐसा तब होता है जब एक सूक्ष्म जीव दूसरे को निगल लेता है. फिर उसे आंतरिक अंग की तरह इस्तेमाल करना शुरू कर देता है. बदले में, मेजबान कोशिका उसे पोषक तत्व, ऊर्जा, सुरक्षा और अन्य फायदे देती है. इंसान पर जीवन बमुश्किल चार बिलियन साल पुराना है. इतने बड़े समय काल के दौरान, प्राइमरी एंडोसिम्बायोसिस की प्रक्रिया दो बार ही हुई है. जब-जब भी ऐसा हुआ, उसे इवॉल्यूशन यानी क्रमिक विकास की बड़ी सफलता माना गया.
पृथ्वी पर जीवन के इतिहास में प्राइमरी एंडोसिम्बायोसिस के सिर्फ दो बार होने के प्रमाण मिले हैं. पहली बार ऐसा 2.2 बिलियन साल पहले हुआ था जब एक आर्किया ने एक जीवाणु को निगल लिया था जो माइटोकॉन्ड्रिया बन गया. ऊर्जा का उत्पादन करने वाले इस अंग ने मूल रूप से जीवन के सभी जटिल रूपों को विकसित होने की अनुमति दी. माइटोकॉन्ड्रिया को आज भी 'कोशिका का पावरहाउस' कहते हैं.
दूसरी बार प्राइमरी एंडोसिम्बायोसिस 1.6 बिलियन साल पहले हुआ. जब इनमें से कुछ और एडवांस्ड कोशिकाओं ने साइनोबैक्टीरिया को अब्जॉर्ब किया था. साइनोबैक्टीरिया सूर्य के प्रकाश से ऊर्जा हासिल कर सकता था. इस मिलन से क्लोरोप्लास्ट नामक ऑर्गेनेल बने जिनकी वजह से ही पौधे सूर्य की रोशनी से ऊर्जा पाते हैं. पौधों की पत्तियों का हरा रंग भी इवॉल्यूशन की इसी अहम घटना का नतीजा है.
अब वैज्ञानिकों ने पाया है कि प्राइमरी एंडोसिम्बायोसिस तीसरी बार हो रहा है. इस बार Braarudosphaera bigelowii नाम के शैवाल ने UCYN-A नाम के साइनोबैक्टीरीयम को निगला है. इस मिलन से जो अंगक बना, उसे नाइट्रोप्लास्ट कहा जा रहा है. संभव है कि जो काम शैवाल और पौधे नहीं कर पाते, उसे नाइट्रोप्लास्ट कर पाए. वैज्ञानिकों को लगता है कि नाइट्रोप्लास्ट सीधे हवा से नाइट्रोजन लेकर उसे दूसरे तत्वों से जोड़कर उपयोगी यौगिक बनाता है.