किस्सा-ए-कंज्यूमर : अगली बार कैरी बैग का पैसा मत देना!
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किस्सा-ए-कंज्यूमर : अगली बार कैरी बैग का पैसा मत देना!

कंज्यूमर फोरम में लाइफस्टाइल इंटरनेशनल ने कहा कि सरकार की तरफ से पॉलिथीन बैग पर रोक लग चुकी हैं, इसलिए उन्हें पेपर वाले बैग खरीदने पड़ रहे हैं.

किस्सा-ए-कंज्यूमर : अगली बार कैरी बैग का पैसा मत देना!

अगर आपके शहर में प्लास्टिक बैन है तो आपके साथ भी ऐसा जरूर हुआ होगा. आप किसी बड़े स्टोर में पहुंचे, शॉपिंग की और जब पेमेंट की बारी आई तो काउंटर पर खड़े शख्स ने पूछा- 'कैरी बैग लेंगे या नहीं?' आपने 'हां' कहा तो कैरी बैग के नाम पर आपसे 5 से लेकर 35 रुपए तक कुछ भी वसूल लिए गए. लेकिन अगली बार ऐसा हो तो आप स्टोर वाले को कैरी बैग के पैसे देने से इनकार कर सकते हैं. उसे बता सकते हैं कि कैरी बैग के लिए अलग से पैसा मांगना गैरकानूनी है. चंडीगढ़ कंज्यूर फोरम ने ऐसे ही एक मामले में 5 रुपए के बैग के बदले में रिटेलर पर 13,000 रुपए का जुर्माना ठोक चुका है.

ऐसे शुरू हुई कैरी बैग की किचकिच
मामला है चंडीगढ़ का. सेक्टर 28 के रहने वाले पंकज और उनकी पत्नी संगीता 'एलांते' नाम के मॉल में घूमने गए. उन्होंने मशहूर रिटेल चेन लाइफस्टाइल में शॉपिंग की. बिलिंग काउंटर पर पहुंचे तो कैशियर ने बिलिंग के बाद सामान उन्हें बिना कैरी बैग के दे दिया. उन्होंने कैरी बैग मांगा तो कैशियर ने बताया कि उसके लिए 5 रुपए अलग से देने होंगे. हालांकि पूरे स्टोर में कहीं नहीं लिखा था कि लाइफस्टाइल में कैरी बैग का पैसा अलग से चुकाना होगा. पंकज ने एतराज जताया तो बहस होने लगी. कोई रास्ता न देखकर पंकज ने 5 रुपए दे दिए और कैरी बैग ले लिया, लेकिन साथ ही उन्होने स्टेट कंज्यूमर फोरम में शिकायत भी दर्ज कर दी. 

स्टोर ने रोया प्लास्टिक बैन का रोना
कंज्यूमर फोरम में लाइफस्टाइल इंटरनेशनल ने कहा कि सरकार की तरफ से पॉलिथीन बैग पर रोक लग चुकी हैं, इसलिए उन्हें पेपर वाले बैग खरीदने पड़ रहे हैं. पेपर वाले कैरी बैग्स पॉली बैग के मुकाबले काफी महंगे होते हैं इसलिए वो फ्री बैग नहीं दे सकते. लाइफस्टाइल ने ये भी जोड़ दिया कि खरीदा हुए सामान ले जाने के लिए मुफ्त कैरी बैग देने के लिए वो कानूनी तौर पर बाध्य नहीं है. 

कोर्ट ने खारिज की स्टोर की दलील
पूरा मामला सुनने के बाद कंज्यूमर फोरम ने लाइफस्टाइल को जमकर झाड़ लगाई. फोरम नेकहा 'खरीदा हुआ सामान बिना कैरी बैग के हाथ में लेकर जाना शिकायतकर्ता के लिए बहुत मुश्किल होता. ऐसी हालत में उससे पेपर बैग के लिए अलग से पैसे वसूलना ओरचार्जिंग माना जाएगा'. कंज्यूमर फोरम ने ये भी साफ किया कि 'किसी प्रोडक्ट के बैन हो जाने का मतलब ये नहीं है कि सब्सटीट्यूट के लिए पैसा वसूला जाए, लाइफस्टाइल और इस जैसे तमाम स्टोर्स को चाहिए कि वो खरीदा हुआ सामान को ले जाने के लिए ग्राहक को फ्री बैग दें, ग्राहक अपना सामान हाथ में नहीं ले जा सकता.' फोरम ने ये भी कहा कि पूरे देश में लाइफस्टाइल के ढेरों स्टोर हैं और ग्राहक से पेपर बैग के नाम पर वसूली करके कंपनी ने मोटा पैसा बनाया है. इसे सेवा में कमी और 'अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस' माना जाएगा.

बैग से विज्ञापन भी तो होता है!
कंज्यूमर फोरम ने एक ऐसी चीज नोटिस की जिस पर आपने शायद ही कभी ध्यान दिया हो. फोरम ने कहा 'जो कैरी बैग ग्राहक अपने पैसे देकर खरीद रहा है वो दोनों तरफ प्रिंटेड है, उस पर लाइफस्टाइल के बड़े बड़े विज्ञापन छपे हैं, ग्राहक कैरी बैग लेकर जहां भी जा रहा है वो विज्ञापन भी साथ-साथ जा रहा है. इस तरह लाइफस्टाइल इंटरनेशनल भोले भाले ग्राहकों को अपने विज्ञापन के लिए बेवकूफ बना रहा है.'

कंज्यूमर को मिला पूरा मुआवजा
फोरम ने अपने आदेश में कहा कि लाइफस्टाइल इंटरनेशनल ने ग्राहक को शारीरिक और मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया है, बेवजह एक कानूनी विवाद खड़ा करके ग्राहक का कीमती वक्त और पैसा बर्बाद किया है. लिहाजा मुआवजे के तौर पर कंपनी न सिर्फ ग्राहक को 1500 रुपए दे बल्कि केस लड़ने के खर्च के लिए 1500 रुपए और चुकाए. 4 जनवरी 2019 को आए इस आदेश में कंपनी से 10,000 रुपए और जमा कराने को कहा गया जो चंडीगढ़ के कंज्यूमर लीगल एड अकाउंट में जाएगा. इतना ही नहीं, कंपनी को हुक्म दिया गया- वो 5 रुपए भी ग्राहक को वापस करो जो कैरी बैग के नाम पर वसूले थे.  

(लेखक गिरिजेश कुमार ज़ी बिज़नेस से जुड़े हैं.)

(डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं)

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