मुस्कान, परिवार नहीं ये धड़कने सिर्फ वतन के लिए
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मुस्कान, परिवार नहीं ये धड़कने सिर्फ वतन के लिए

कहं छुपाकर रखते हैं वो इतना साहस कि हमें हमारी ही जिन्दगी बेमानी सी लगने लगती है. हम अपनी रोजमर्रा की जिन्दगी में असंख्य ऐसी बातों का सामना करते हैं जो निर्रथक होती है. जिनके बिना भी जिया जा सकता है. 

मुस्कान, परिवार नहीं ये धड़कने सिर्फ वतन के लिए

कहां से आता है इतना धैर्य,इतनी हिम्मत,इतना साहस,सामने अपने प्रिय का बेजान शरीर है. शहादत हुई है फिर भी देश पर मर-मिटने की चाह है. मुस्कराकर अपने प्रिय को विदा करने की हिम्मत है. देश पर कुर्बान हुए अपने रिश्ते से बिछड़े जाने का गम भी जिन्हें कमजोर नहीं कर पाता. वो देश की वीरांगनाएं,वास्तव में सैल्यूट की अधिकारिणी हैं. हर घर में जहां आज एक खामोशी है,चुप्पी है,दर्द है,शहीदों को खोने का अहसास है. वहीं, शहीदों के परिवार वालों का धैर्य,उनकी वाणी से निकले शब्द हम भारतवासियों की झोली में कितना कुछ दे जाते हैं. इनकी दृढ़ता के आगे  हम अपने आप को खोखला पाते हैं.

कहं छुपाकर रखते हैं वो इतना साहस कि हमें हमारी ही जिन्दगी बेमानी सी लगने लगती है. हम अपनी रोजमर्रा की जिन्दगी में असंख्य ऐसी बातों का सामना करते हैं जो निर्रथक होती है. जिनके बिना भी जिया जा सकता है. हम व्यर्थ की उलझनों में उलझे रहते है.

आरक्षण का सहारा न लें, स्वावलंबी बनें

जिन्दगी का एक-एक दिन निजी स्वार्थों में ही काट देते हैं. सच्चा जीवन इन देशभक्तों का है. इनके परिवार वालों का है. इनके घर के सदस्यों का है जो इन्हें खोकर भी जीने की आशा रखते हैं और हमें भी जीना सीखा जाते हैं. कई दिनों प्रकृति भी उदास रही वर्षा की बूंदे, आंसू के रुप में गिर रही थी. रुदन कर रही हो मानो अपने वीरों की शहादत पर. ये आतंकवाद हमें कहां ले जा रहा है मानव के द्वारा की गई प्रगति उसी के विनाश का कारण बनती जा रही है, फूल खिलने से पहले ही नष्ट हो रहे हैं. क्या हल है इस तरह जिन्दगी के समाप्त हो जाने का? कब तक ये देशभक्त यूं ही शहीद होते रहेगें? असमय ही काल के गाल में समाते इन लालों की मां,बहनें, पत्नी कब तक आंसू बहाती रहेंगी? बिना पढ़े लिखे लोगों को सत्ता में आने पर विशेष सुविधाएं मिल जाती हैं पर देश की रक्षा करने वाले इन वीरों को सुविधाओं से वंचित क्यों रखा जाता है? अपने कीमती रिश्तों को खोने के बाद भी इनके परिवार वाले पुनः दुगुनी हिम्मत और साहस से भरे दिखाई देते है. एक प्रिय को खोने के बाद भी देश पर अपने दूसरे लाल को भेजने की हिम्मत रखते हैं.

शहीदों की शहादत को शत-शत नमन

इन जैसा साहस हम सामान्य लोगों में कहां से आ जाता है. वीरों की शहादत के बाद लिया गया बदला सकून देने वाला है हमारे वीरों की आत्मा को शान्ति और उनके परिवार वालो को धैर्य देने वाला है. कहीं कुछ तो शान्ति मिली. हर आंसू का बदला लेने की बारी है समूल नष्ट कर देना है, आतंकवाद और आतंकवादियों को. शहीदों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाने देना है. देश का हर व्यक्ति देश के साथ खड़ा है माना हर व्यक्ति बन्दूक नहीं उठा सकता शत्रु से लड़ नही सकता पर सच्ची भावनाओं से अपने वीरों के साथ खड़ा रह सकता है.

जो भी बातें,कार्य, चीजें देश हित में नहीं हैं वो हमें स्वीकार नहीं करनी हैं उन्हें प्रयोग में नहीं लाना है. हमारे वीरों का ऐसा अन्जाम करने वालों को हमें क्षमा नहीं करना है. जब-जब वीर जाते है यही कहते हैं कर चले हम फिदा जान तन साथियों अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों और आज उसी सब की जरुरत है. जरुरत है निजी स्वार्थों के त्याग की,मेरा-मेरा छोड़कर देश के साथ खड़े होने की. आज सारा देश एक स्वर में हूंकार भरे यही सही मायने में हमारे वीरों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

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बीते सालों में हमने बहुत खोया है जरुरत है तिनका-तिनका बीन ले. जो कुछ बिखर गया है उसे समेट लें. पद का, धन का,गद्दी की मोह त्याग दें अपनी तिजोरियों का मुंह खोल दें. हमारे देश को खुली बाहों की इंतजार है अपने आगोश में अपने देश को समेट लें इस पर ओछी राजनीति करने से भी बाज आयें. अपने फौजियों से, अपने सैनिकों के जीवन से नसीहतें लें जो अपने बारे में सोचते ही नहीं. अपने लिए जीते ही नहीं अपने लिए खिलखिलाते ही नहीं.

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देश के लिए ही सोचते हैं और देश के लिए ही शहीद हो जाते हैं. हम और आप जैसे लोग हर रोज मरते हैं जो जिन्दगी के सही मकसद को पहचान ही नहीं पाते निजी स्वार्थों मे मै-मैं करते हुए ही जिन्दगी व्यतीत कर देते हैं अमूल्य मानव जीवन सही अर्थों में इन शहीदों का है जो जब तक जिन्दा रहते हैं. हमें पाठ पढ़ाते हैं और शहीद हो जाने के बाद भी जिन्दगी जीना सिखा जाते हैं. इनके परिवार वाले हमारे आदर्श होने चाहिए. कैसे मुस्कराकर, कलेजे पर पत्थर रखकर भी अपने प्रिय की शहादत को स्वीकार कर लेते हैं. धन्य हैं वह वीर,वह मां, वह बहन, वह पत्नी जो आंख में आंसू और दिल में रुदन लेकर अपने को स्वयम ही थपकी दे-देकर सुला लेती हैं. सलाम है उस हिम्मत को जो इनके अन्दर पनपती है. अपने हिस्से के दुखों को ना जाने कहां छुपा लेते हैं. इनके सिसकते स्वर,कांपते अधर हमसे बहुत कुछ कह जाते हैं. शहीदों के परिवार हमें बहुत सन्देश दे जाते हैं. धरती मां के लाडले ये वीर,इनके वंशज ही सही अर्थां में हमारे रक्षक, हमारे पालक, हमारे पथ प्रदर्शक हैं. हमें सदैव इनके सम्मान में नत मस्तक रहकर पारस्परिक मतभेदों को समाप्त कर देना होगा हमारे देश की बागडोर संभाले ये वीर जाते-जाते भी हमें ये बताते हैं कि देश से अमूल्य कुछ भी नहीं. देश है तो हम हैं अन्यथा हमारा अस्तित्व कुछ भी नहीं. जय हिन्द जय हिन्द की सेना.

(रेखा गर्ग सामाजिक विषयों पर टिप्पणीकार हैं)

(डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं)

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