आत्मा का आलाप
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आत्मा का आलाप

यहां रचने की छटपटाहट और आनंद है, तो द्वंद्व और सवाल भी हैं. इन्हीं सबको मथते हुए विचार की कुछ चिंगारियाँ फूटती हैं. कुछ निष्कर्ष हाथ आते हैं. पहेली-सा जीवन कुछ सार समेटे नई भाषा और भंगिमा में संबोधित होने लगता है.

आत्मा का आलाप

कला अगर जीवन का घुंघरू है, तो उसकी ध्वनियों के आरोह-अवरोह में निश्चय ही अनुभूतियों की आहटों को सुना जा सकता है. ये आवाज़ें स्वप्न और यथार्थ की जुगलबंदी हैं. अपने समय में लयबद्ध होती और एक आज उड़ान भरती भीतर और बाहर के फासले को मिटाती हुई. दरअसल, यह अन्तर्लय की पुकार है, जो कला में सांस भरते किसी भी सर्जक की रूह में उसके अभीष्ट को पा लेने की बेचैनी ही है. सोचने, रचने और किसी सिरे पर अपनी सर्जना को विराम दे देने के बीच विचार और अनुभूतियों की टकराहट एक ऐसी रहस्यमयी दुनिया के द्वार खोलती है, जहां लौकिक और अलौकिक के बीच के भेद को जानने-समझने की आकुलता ओर-छोर फैली है. यहां रचने की छटपटाहट और आनंद है, तो द्वंद्व और सवाल भी हैं. इन्हीं सबको मथते हुए विचार की कुछ चिंगारियाँ फूटती हैं. कुछ निष्कर्ष हाथ आते हैं. पहेली-सा जीवन कुछ सार समेटे नई भाषा और भंगिमा में संबोधित होने लगता है.


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