मुक्केबाज अखिल कुमार ने बुधवार को कहा कि वह ऐसे गुरू हैं, जिसे उभरते हुए मुक्केबाजों को प्रशिक्षण देते समय थोड़ी ‘तानाशाही’ पसंद है लेकिन सकारात्मक तरीके के साथ.
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नई दिल्ली: मुक्केबाज अखिल कुमार ने बुधवार को कहा कि वह ऐसे गुरू हैं, जिसे उभरते हुए मुक्केबाजों को प्रशिक्षण देते समय थोड़ी ‘तानाशाही’ पसंद है लेकिन सकारात्मक तरीके के साथ. भारतीय मुक्केबाजी के राष्ट्रीय पर्यवेक्षक एक बार फिर पेशेवर मुक्केबाजी के रिंग में दिखेंगे. होप एंड ग्लोरी मुक्केबाजी , डब्ल्यूबीसी और मुक्केबाजी प्रीमियर लीग के साथ मिलकर यहां 10 फरवरी को टूर्नामेंट का आयोजन कर रही है जिसमें बतौर मुक्केबाज अखिल भी शामिल होंगे.
'मैं तानाशाह की तरह होना चाहता हूं'
राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदक विजेता और ओलंपिक में क्वार्टरफाइनल का सफर तय करने वाले 36 साल के अखिल ने कोचिंग के बारे में कहा, 'मैं तानाशाह की तरह होना चाहता हूं, मुझे लगता है थोड़ी तानाशाही (प्रशिक्षण देते समय) की जरूरत है लेकिन सकारात्मक तरीके से. मैं जिन दो चीजों पर सबसे ज्यादा ध्यान देता हूं वह हैं मानसिकता और इच्छा शक्ति. अगर आपके पास ये दोनों है तो आपका ध्यान केन्द्रित रहेगा. मैं उन्हें आज्ञाकारी बनाना चाहता हूं.' अपनी बात को बेबाकी से रखने के लिये जाने जाने वाले इस मुक्केबाज ने कहा कि उन्हें अक्सर आक्रमक मुक्केबाज कहा जाता है जो कि गलत है.
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'मुझे प्रतिभा की परख है'
अखिल ने कहा, 'मैं आक्रामक मुक्केबाज नहीं हूं, जैसी छवि आप सब ने बनायी हैं. मैं बहुत तकनीकी मुक्केबाज हूं. अगर आप मेरे फुटवर्क, ओपन गार्ड, रिंग में चपलता और कौशल को देखे तो मुझे आक्रामक मुक्केबाज नहीं कहा जाना चाहिये.' अखिल कुमार मुक्केबाजी क्लब का संचालन करने वाले अखिल भारतीय मुक्केबाजों के भविष्य के बारे में आशावादी दिखे. उन्होंने कहा, 'वे काफी अच्छा कर रहे है और अगर वे अच्छा कर रहे तो उनकी तारीफ की जानी चाहिये. महासंघ (मुक्केबाजी) चाह रहा कि मुक्केबाजी सही दिशा में जाये. मौजूदा समय में हम उम्मीद के साथ आगे देख सकते है.' अखिल ने कहा कि उन्हें प्रतिभा की परख है.
बीजिंग ओलंपिक के क्वार्टरफाइनल में पहुंच चुके हैं अखिल
उन्होंने कहा, 'शशि चोपड़ा ( जिनकी सिफारिश अखिल ने की थी ) को देखिये, उसने गुवाहाटी में हुये युवा विश्व चैम्पियनशिप में जीत दर्ज की और मैं वहां था.' उन्होंने वहां मौजूद ओलंपियन जितेन्द्र कुमार की तरफ इशारा करते हुये कहा कि एक उदाहरण यहां भी है.
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बीजिंग ओलंपिक के क्वार्टरफाइनल तक का सफर तय करने वाले इस खिलाड़ी ने अपने पेशेवर करियर का आगाज ‘बैटल ग्राउंड एशिया’ में ऑस्ट्रेलिया के ताई गिलक्रिस्ट को तकनीकी नाक आउट में शिकस्त देकर शानदार तरीके से किया था लेकिन वह इसके बाद प्रमोटरों से अनुबंध विवाद के कारण उन्हें इससे हटना पड़ा.
'मुक्केबाजी पर होना चाहिये ना कि मुक्केबाजों पर'
होप एंड ग्लोरी के बारे में उन्हें ने कहा, 'ध्यान मुक्केबाजी पर होना चाहिये ना कि मुक्केबाजों पर. एक मुक्केबाज के तौर पर मुझे पता है युवा खिलाड़ी अपने सपनों को पूरा करने के लिये किन चुनौतियों से गुजर रहे हैं. प्रतिभावान खिलाड़ियों को एमेच्योर से आगे जाने के लिये जरूरी सुविधाओं की जरूरत हैं. 'तालकटोरा स्टेडियम में होने वाले इस टूर्नामेंट में अखिल के साथ जितेन्द्र कुमार, ब्रजेश कुमार मीणा (डब्ल्यूबीसी एशियाई मुक्केबाजी चैम्पियन) के अलावा फिलीपीन्स, जार्जिया, तंजानिया और फ्रांस के मुक्केबाज भाग लेंगे.