तो क्या बल्ले के डिजाइन से लगते हैं क्रिकेट में छक्के, ब्रिटिश भारतीय सर्जन ने किया शोध
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तो क्या बल्ले के डिजाइन से लगते हैं क्रिकेट में छक्के, ब्रिटिश भारतीय सर्जन ने किया शोध

तो क्या बल्ले के डिजाइन से लगते हैं क्रिकेट में छक्के, ब्रिटिश भारतीय सर्जन ने किया शोध (फोटोः ट्विटर)

लंदनः ब्रिटेन में बसे एक भारतीय सर्जन ने क्रिकेट के बल्ले की डिजाइन पर शोध किया जिसका लक्ष्य गेंद और बल्ले के बीच संतुलन बनाना था और अब इस साल एक अक्तूबर से यह इस्तेमाल में लिया जायेगा. इंपीरियल कॉलेज लंदन के डिपार्टमेंट ऑफ सर्जरी एंड कैंसर में सीनियर लेक्चर्र डॉ. चिन्मय गुप्ते ने लंदन के इम्पीरिल कालेज की टीम की अगुवाई की जो क्रिकेट के बल्लों पर शोध कर रही थी. एमसीसी यानि मेरिलबोन क्रिकेट क्लब इस शोध के नतीजे को लागू करने जा रहा है. 

 

 

गुप्ते ने कहा ,‘‘ पिछले 30 साल में क्रिकेट में छक्कों की संख्या बढ गई है. बल्लों के डिजाइन ही इस तरह के हैं कि गेंद की बजाय बल्ले का दबदबा है. यह नया डिजाइन संतुलन लायेगा.’’ नये नियम के तहत बल्ले के किनारे की मोटाई 40 मिलीमीटर से कम होगी और उसकी कुल गहराई 67 मिमी से ज्यादा नहीं हो सकती.

पुणे में जन्मे गुप्ते महाराष्ट्र के क्रिकेटर मधुकर शंकर के बेटे हैं और पेशेवर क्रिकेटर हैं जो मिडिलसेक्स और ग्लूसेस्टर के लिये खेल चुके हैं .

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