बीसीसीआई सूत्रों ने बताया है कि आईपीएल की इस सीजन की पुरस्कार राशि में कटौती के पीछे सीओए की वित्तीय नाकामियां हैं.
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नई दिल्ली: दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने सभी को चौंकाते हुए इंडियन प्रीमियर लीग (IPL 2020) में प्राइज मनी में भारी कटौती का फैसला किया है. अब इस टूर्नामेंट में विजेता और उपविजेता को मिलने वाली राशि आधी हो कर दी गई है. अब बीसीसीआई सूत्रों से ही पता लगा है कि इसका कारण क्या है.
आईपीएल को बीसीसीआई का सफेद हाथी माना जाता है. यह दुनिया की सबसे बड़ी लीग मानी जाती है. 2008 में अपने आगाज से ही यह लीग अपने बोर्ड के लिए सबसे ज्यादा कमाई करने वाली लीग है. अब बताया जा रहा है कि इसका कारण टैक्स मामले हैं जो हाल ही लागू नए संविधान की वजह से बदलाव के कारण बीसीसीआई झले रही है.
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बीसीसीआई के एल सूत्र ने कहा कि प्रशासकों की समिति ने चो बोर्ड की वित्तिय ढांचे में बदलाव किया है, उसी वजह से बोर्ड को इस तरह के कड़े फैसले लेने पड़े हैं. उन्होंने कहा, "यह सब सीएओ के बीसीसीआई में दखल का नतीजा है जहां बीसीसीआई का पैसा बिना किसी प्रक्रिया की परवाह किए खर्च किया गया. वह भी केवल जनता में कुछ लोगों की निगाह में अच्छा लगने के लिए."
सूत्र ने कहा, " सीएफओ कर विभाग के हितों को ध्यान में रखते हुए काम करता दिखा, न कि बीसीसीआई के हितों के. ऐसा लग रहा था कि संस्था उसी के लिए काम कर रही है. उन्हें माननीय हाई कोर्ट से सुरक्षा आदेश लेने की जरूरत क्यों पड़ी. यही वजह है कि हालिया फैसले को दोष नहीं दिया जा सकता."
माना जा रहा है कि बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली और उनकी टीम के घरेलू खिलाड़ियों की फीस बढ़ाने के प्रयासों पर भी सीएओ की 'वित्तीय नाकामियों' का असर हुआ है.
वहीं बीसीसीआई के नए निर्देशों के अनुसार अब विजेता को अब 20 की जगह 10 करोड़ मिलेंगे जबकि उपविजेता को 12.5 की जगह 6.25 करोड़ मिलेंगे और क्वालिफायर की बाकी दोनों टीमों 4.375 करोड़ रुपये मिलेंगे.
जब एक आईपीएल जीत चुकी टीम की फ्रेंचाइजी से संपर्क किया गया तो उसके अधिकारी ने कहा कि इसका फ्रेंचाइजी पर असर नहीं होगा क्योंकि जीती हुई प्राइज मनी खिलाड़ियों और सपोर्ट स्टाफ में बांट दी जाती है, लेकिन फ्रेंचाइजी को बोर्ड से इसकी पुष्टि करने का जरूर अधिकार है. उम्मीद है आईपीएल में गवर्निंग काउंसिल की अगली मीटिंग में यह मुद्दा उठ सकता है.
(इनपुट IANS)