Indian Cricket: टीम इंडिया के एक घातक तेज गेंदबाज ने यजुवेंद्र चहल को पीछे छोड़ टी20 इंटरनेशनल में भारत के लिए सबसे ज्यादा विकेट लेने का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है.
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Indian Cricket Team: सचिन तेंदुलकर को प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पहली बार शून्य पर आउट करने वाले, क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में अपने पहले शिकार को क्लीन बोल्ड करने वाले और तीनों फॉर्मेट में पांच-पांच विकेट लेने का कारनामा करने वाले भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार ने हाल ही में एशिया कप में अफगानिस्तान के खिलाफ मैच में केवल चार ओवर में पांच विकेट लेकर टी20 क्रिकेट में सबसे अधिक विकेट लेने का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया.
यजुवेंद्र चहल के रिकॉर्ड को तोड़ा
अफगानिस्तान के खिलाफ इस शानदार प्रदर्शन के बाद टी20 इंटरनेशनल में भुवनेश्वर कुमार के 84 विकेट हो गए हैं. वह यजुवेंद्र चहल को पीछे छोड़कर टी20 इंटरनेशनल में भारत के लिए सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज बन गए हैं और एक से ज्यादा बार पांच विकेट झटकने वाले भी वह पहले भारतीय गेंदबाज बन गए हैं. 22 साल की उम्र में भारत की टी20 टीम में चुने जाने पर उत्तर प्रदेश के इस ऑलराउंडर ने टीम इंडिया में पहुंचने की अपनी उपलब्धि के लिए अपने माता-पिता के साथ-साथ अपनी बहन को भी धन्यवाद दिया था.
बहन की मेहनत ने बनाया क्रिकेटर
शादी के बाद दिल्ली में बस गईं भुवनेश्वर की बहन रेखा अघाना ने उन दिनों को याद करते हुए कहा, 'क्रिकेट के प्रति उसकी दीवानगी को देखकर मैंने उसे आगे बढ़ाने का फैसला किया और उसे कोचिंग के लिए स्टेडियम ले जाने लगी. मैं उसके कोच के साथ उसकी गेंदबाजी पर लगातार बात करती थी. हमारे पिता की नौकरी तबादले वाली थी और मैं हमेशा इस कोशिश में रहती थी कि हम चाहे जहां भी रहें, भुवनेश्वर को क्रिकेट से जुड़ी तमाम सुविधाएं मिलती रहें.'
उन्होंने हाल ही में एक टेलीविजन कार्यक्रम के दौरान कहा था, 'अंडर 15 टीम में चयन के बाद परिवार वालों को लगा कि 'लड़का' कुछ कर जाएगा, लेकिन साथ ही यह डर भी था कि अगर सफल नहीं हुआ तो क्या करेगा. क्रिकेट के चक्कर में पढ़ाई तो ज्यादा की नहीं और अगर क्रिकेट में भी ज्यादा कुछ नहीं कर पाया तो क्या होगा.'
चोट के चलते कई बार टीम से हुए बाहर
गेंद को विकेट के दोनों तरफ स्विंग करने वाले दुनिया के चंद गिने-चुने गेंदबाजों में शुमार भुवनेश्वर कुमार को कई बार चोट लगने के कारण टीम से बाहर होना पड़ा. इस बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि शुरू में उनकी गेंदें स्विंग तो होती थीं, लेकिन उनमें बहुत ज्यादा तेजी नहीं होती थी. उनके अनुसार, ऐसे में बल्लेबाज कुछ समय बाद उनकी गेंदों को भांप जाते थे लिहाजा उन्होंने अपनी गेंदों की गति बढ़ाने का फैसला किया और इस पर बहुत मेहनत की. इस वजह से तथा कुछ और कारणों से कई बार चोट लगी और टीम से बाहर होना पड़ा.'
क्रिकेटर नहीं होते तो सेना में होते
यह पूछे जाने पर कि अगर क्रिकेट में नहीं होते तो किस पेशे से जुड़े होते, भुवनेश्वर ने कहा कि वह सेना में होते. उनके अनुसार, उनके पिता पुलिस में रहे और परिवार के कई लोग सेना में भी हैं, लिहाजा जब वह बहुत छोटे थे तो सेना में जाने के बारे में सोचा करते थे, लेकिन जब क्रिकेट की तरफ रुझान बढ़ा तो बस फिर उसी के होकर रह गए.' क्रिकेट में उनका गॉडफादर कौन है, जिसने आगे बढ़कर उनका हौसला बढ़ाया, इस सवाल के जवाब में वह कहते हैं कि क्रिकेट से जुड़े हर शख्स ने उनके बुरे समय में उनका हौसला बढ़ाया और जितने लोग भी उन्हें जानते समझते हैं, सबने यही कहा कि बुरा वक्त है निकल जाएगा, हिम्मत बनाए रखो.
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