जन्मदिन विशेष: कपिल देव नहीं, यह थे भारत के पहले ऑलराउंडर खिलाड़ी
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जन्मदिन विशेष: कपिल देव नहीं, यह थे भारत के पहले ऑलराउंडर खिलाड़ी

भारतीय क्रिकेट लिए यह सबसे दुखद था कि अमर सिंह केवल 29 वर्ष और 169 दिनों का जीवन पाने के बाद मृत्यु की गोद में समा गए. 

अमर सिंह एक बेहतरीन तेज गेंदबाज थे (PIC : Cricket country)

नई दिल्ली: लाढाभाई नकुम अमर सिंह का नज्म 4 दिसंबर 1910 को हुआ था. वह भारत से सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडर्स में से एक थे. वाली हेमंड और लेन हटन जैसे दिग्गज बल्लेबाजों ने अमर सिंह को बेहतरीन गेंदबाज बताया था. मोहम्मद निसार के साथ अमर सिंह नई गेंद को शेयर करते थे. उनके जन्मदिन पर  आइए उनसे जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्य: 

  1. अमर सिंह की मौत 29 साल की उम्र में हो गई थी
  2. अमर सिंह भारत के पहले टेस्ट कैप प्लेयर थे
  3. मोहम्मद निसार के साथ अमर सिंह नई गेंद को शेयर करते थे

1. भारत का पहला टेस्ट कैप प्लेयर: अमर सिंह को इतिहास में भारत के पहले टेस्ट क्रिकेटर के रूप में जाना जाता है. 

2. महान साझेदारी: अमर सिंह और मोहम्मद निसार को क्रिकेट इतिहास में नई गेंद से गेंदबाजी करने वाली सबसे खतरनाक जोड़ी के रूप में देखा जाता है. लगभग उसी अंदाज में जिस तरह कपिल देव और मनोज प्रभाकर और जवागल श्रीनाथ और वेंकटेशप्रसाद गेंदबाजी किया करते थे. हालांकि, कहा जाता है कि अमर सिंह और निसार को खेलना बल्लेबाजों के लिए बेहद कठिन होता था. 

3. भारत की तरफ से पहला अर्धशतक: हालांकि अमर सिंह को एक गेंदबाज ही माना जाता था, लेकिन वह निचले क्रम के उपयोगी बल्लेबाज भी थे. उनमें बड़ी हिट लगाने की क्षमता थी. उन्होंने भारत के पहले टेस्ट में ही अपनी क्षमता दिखाते हुए दूसरी पारी में शानदार 51 रन बनाए थे. यह मैच में बनाया गया इकलौता अर्धशतक था. 

4. तूफानी गेंदबाज: वाली हेमंड ने अमर सिंह के बारे में कहा था कि सबसे तेज खतरनाक गेंदबाज हैं. वह मैदान पर इस तरह दौड़कर गेंदबाजी करने आते थे मानो कोई तूफान आ रहा हो. एक बार लेन हटन ने रहस्य खोलते हुए कहा था, दुनिया में अमर सिंह से बढ़िया कोई गेंदबाज नहीं है. 

5. उन्हें कोचिंग की जरूरत नहीं थीः हालांकि, केएस रणजीत सिंह भारत में कभी नहीं खेले, न ही उनके भतीजे केएस दिलीप सिंह भारत में खेले, लेकिन उन्होंने 1932 के दौरे के लिए अमर सिंह का चयन लगभग कर लिया था. दिलीप सिंह ने भी चयन प्रक्रिया में अमर सिंह की वकालत की थी. लेकिन अमर सिंह के लिए रणजी हमेशा अहम रही. उन्हें फ्रैंक टैरेंट से कोचिंग मिली, लेकिन वास्तव में उन्हें कोचिंग की जरूरत ही नहीं थी. 

6. पहले 100 विकेट: अमर सिंह पहले ऐसे क्रिकेटर है, जिन्होंने रणजी ट्रॉफी में 100 विकेट लिए. लंकाशायर लीग में खेलने वाले भी वह पहले भारतीय खिलाड़ी थे. उस समय की लीग में वह मुख्य स्टार खिलाड़ी हुआ करते थे. उन्होंने कोलने की तरफ से कुल 89 मैच खेले और 30.41 की औसत से 2464 रन बनाए. उन्होंने 14.18 की औसत से 310 विकेट भी लिए. बर्नली के लिए भी अमर सिंह ने 20 मैच खेले और 39.77 की औसत से 716 रन बनाए. बर्नली के लिए खेलते हुए अमर सिंह ने 11.16 की औसत से 90 विकेट लिए. 

7. परिवार में था क्रिकेट: अमर सिंह के बड़े भाई लाढाभाई नकुम रामजी, जिन्हें लाढा रामजी के नाम से भी जाना जाता है, ने भारत के लिए सिर्फ एक टेस्ट मैच खेला. लेकिन उनका फर्स्ट क्लास करियर बेहद शानदार रहा. वह अपनी तेज गेंदबाजी के लिए मशहूर हुए. 27 फर्स्ट क्लास मैचों में उन्होंने 17.37 की औसत से 125 विकेट लिए. विपक्षी बल्लेबाज उनकी गेंदबाजी के सामने कांपते दिखाई पड़ते थे. अमर सिंह और रामजी के भतीजे वाजेश सिंह लक्षमण नकुम भी फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेले लेकिन उन्हें अपने चाचाओं की तरह सफलता नहीं मिली. 

8. बदलती भूमिकाः रामजी और अमर सिंह दोनों अल्फ्रेड हाई स्कूल में पढ़े. वेलजी मास्टर की नजर इन दोनों पर पड़ी. इस स्तर पर अमर सिंह एक बल्लेबाज के रूप में और रामजी एक विकेटकीपर के रूप में, लेकिन बाद में अमर सिंह और रामजी दोनों गेंदबाज के रूप में ज्यादा जाने गए. 

9. 18 साल बेस्ट रहे: 1934 में अमर सिंह ने मद्रास में इंग्लैंड के खिलाफ 86 रन देकर 7 विकेट लिए थे. यह टेस्ट क्रिकेट में किसी भी भारतीय गेंदबाज का श्रेष्ठ प्रदर्शन था. इस रिकॉर्ड को 18 साल बाद वीनू मांकड़ ने तोड़ा. संयोग से उन्होंने भी इंग्लैंड के ही खिलाफ, मद्रास में ही 55 रन देकर 8 विकेट लिए. वीनू मांकड के 46 साल बाद कपिल देव ने मद्रास में ही पाकिस्तान के खिलाफ 46 रन देकर 7 विकेट लिए.

10. दुखद अंत: भारतीय क्रिकेट लिए यह सबसे दुखद था कि अमर सिंह केवल 29 वर्ष और 169 दिनों का जीवन पाने के बाद मृत्यु की गोद में समा गए. टायफाइड की वजह भारत ने एक महान क्रिकेटर को खो दिया. राम जी उस घर में दोबारा कभी नहीं गए, जहां उनके भाई की मृत्यु हुई थी. बाद में राम जी ने उस घर को 50 हजार रुपए में बेच दिया था. भाइयों के बीच ऐसा प्रेम कहीं नहीं मिलेगा.

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