विजय मर्चेंट का इंटरनेशनल करियर वैसे तो करीब 18 साल का रहा. लेकिन इसके बीच में करीब 10 साल विश्व युद्ध की भेंट चढ़ गए.
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नई दिल्ली: क्रिकेट ‘जेंटलमैन गेम’ हैं. ऐसा गेम, जिसमें इंग्लैंड और इंग्लिश क्रिकेटर बरसों तक खुद को दूसरों से श्रेष्ठ समझते रहे. वैसे तो समय-समय पर दुनिया के कई क्रिकेटरों ने इंग्लैंड का गुरूर तोड़ा. ऐसे क्रिकेटरों की शुरुआती लिस्ट में ही एक भारतीय का नाम आता है. यह नाम विजय मर्चेंट (Vijay Merchant) है. विजय मर्चेंट वैसे तो अपने करियर में सिर्फ 10 टेस्ट खेल पाए, लेकिन क्रिकेट इतिहास में उनके यही मैच अमिट हैं.
विजय मर्चेंट का जन्म 12 अक्टूबर को मुंबई में हुआ. विजय ने 1933 में 22 साल की उम्र में भारत के लिए पहला मैच खेला. उन्होंने जिस मैच में डेब्यू किया, वह भारत का सिर्फ दूसरा टेस्ट मैच ही था. विजय मर्चेंट ने 1936 में इंग्लैंड के खिलाफ मैनचेस्टर में शतक बनाया था. विजय की पारी देख इंग्लैंड के तब के पूर्व क्रिकेटर सीबी फ्राई ने कहा था, ‘चलो हम उन्हें (विजय मर्चेंट) को रंग देते हैं और उन्हें ऑस्ट्रेलिया ले चलते हैं ताकि वे हमारी तरफ से ओपनिंग कर सकें.’
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विजय मर्चेंट का इंटरनेशनल करियर वैसे तो करीब 18 साल का रहा. लेकिन इसके बीच में करीब 10 साल दूसरे विश्व युद्ध की भेंट चढ़ गए. इस कारण विजय मर्चेंट अपने करियर में 10 टेस्ट मैच ही खेल पाए. 1951 में उनके कंधे में चोट लग गई. इस कारण उन्होंने संन्यास ले लिया. विजय ने 10 टेस्ट में 47.72 की औसत से 859 रन बनाए. इसमें तीन शतक और इतने ही अर्धशतक शामिल हैं. दुर्भाग्य से विजय मर्चेंट भारत की किसी भी जीत का हिस्सा नहीं बन पाए.
रणजी में 98.75 की औसत से बनाए रन
विजय मर्चेंट को भारत ही नहीं, दुनिया के श्रेष्ठ बल्लेबाजों में गिना जाता है. उन्होंने प्रथमश्रेणी क्रिकेट में 71.64 की औसत से रन बनाए हैं, जो डॉन ब्रैडमैन (Don Bradman) के बाद सबसे ज्यादा है. रणजी ट्रॉफी के मुकाबलों में उनका औसत बढ़कर 98.75 पहुंच जाता है. विजय मर्चेंट के इसी दमदार खेल की बदौलत उन्हें भारत का ब्रैडमैन भी कहा जाता है.