Team India: कोई गेंदबाज किसी टेस्ट मैच में 10 विकेट लेने जैसा जबरदस्त प्रदर्शन करे और उसके बाद उसका करियर खत्म हो जाए, तो आपको उस पर यकीन नहीं होगा. तत्कालीन कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) की गुडबुक में शामिल रवींद्र जडेजा (Ravindra Jadeja) टीम इंडिया में अपनी जगह पक्की कर चुके थे.
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Team India: कोई गेंदबाज किसी टेस्ट मैच में 10 विकेट लेने जैसा जबरदस्त प्रदर्शन करे और उसके बाद उसका करियर खत्म हो जाए, तो आपको उस पर यकीन नहीं होगा. ऐसा एक उदाहरण बाएं हाथ के स्पिनर प्रज्ञान ओझा (Pragyan Ojha) हैं, जिन्हें टेस्ट मैच में 10 विकेट लेने के बावजूद टीम से ऐसा बाहर किया गया कि वो फिर कभी लौटकर ही नहीं आए. ये गेंदबाज कभी टीम इंडिया (Team India) का सबसे बड़ा हथियार था और रविचंद्रन अश्विन के साथ उनकी जोड़ी हिट मानी जाती थी.
जडेजा ने एक झटके में खत्म कर दिया इस खिलाड़ी का करियर!
बाएं हाथ के स्पिनर प्रज्ञान ओझा (Pragyan Ojha) को 33 साल की उम्र में ही संन्यास की घोषणा करनी पड़ी थी और इसकी सबसे बड़ी वजह रवींद्र जडेजा बने. प्रज्ञान ओझा ने 14 नवंबर 2013 को अपना आखिरी टेस्ट मैच वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला था, जो सचिन तेंदुलकर का इंटरनेशनल क्रिकेट से विदाई मैच भी था. मुंबई में खेले गए इस टेस्ट मैच में प्रज्ञान ने दोनों पारियों में 40 रन पर 5 विकेट और 49 रन पर 5 विकेट चटकाते हुए 89 रन देकर 10 विकेट लेने का कारनामा किया था. इसके बाद ओझा के एक्शन पर सवाल उठा दिए गए. इसी कारण उन्हें मजबूरन टीम इंडिया से बाहर बैठना पड़ा. इसके बाद उन्होंने एक्शन में सुधार के लिए जमकर मेहनत की और आईसीसी से क्लीन चिट भी हासिल कर ली, लेकिन तब तक तत्कालीन कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) की गुडबुक में शामिल रवींद्र जडेजा (Ravindra Jadeja) टीम इंडिया में अपनी जगह पक्की कर चुके थे. इस कारण दोबारा ओझा की टीम में कभी वापसी नहीं हो पाई.
टीम इंडिया का था सबसे बड़ा हथियार
ओडिशा में 5 सितंबर, 1986 को जन्मे ओझा का आखिरी टेस्ट बहुत ही ऐतिहासिक था. न केवल ओझा ने इस टेस्ट में 10 विकेट लेने का कारनामा किया था बल्कि यह महान भारतीय बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर के करियर का भी अंतिम टेस्ट था. मुंबई में 14 नवंबर 2013 को शुरू हुए इस टेस्ट में प्रज्ञान की गेंदबाजी का कहर कैरेबियाई बल्लेबाजों पर इस कदर बरपा था कि 3 दिन में ही रिजल्ट आ गया था. लेकिन सचिन तेंदुलकर की विदाई के खुमार के बीच प्रज्ञान की यह जोरदार उपलब्धि दबकर रह गई. हालांकि वह इस टेस्ट मैच में 'मैन ऑफ द मैच' भी चुने गए थे.
इतिहास में दर्ज हुए थे वो 10 विकेट
मुंबई टेस्ट में तब प्रज्ञान ने दोनों पारियों में 40 रन पर 5 विकेट और 49 रन पर 5 विकेट चटकाते हुए 89 रन देकर 10 विकेट लेने का कारनामा किया, जो भारत-वेस्टइंडीज के बीच खेले गए 90 टेस्ट मैचों में छठा बेस्ट गेंदबाजी प्रदर्शन था. इतना ही नहीं भारत की तरफ से वेस्टइंडीज के खिलाफ एक टेस्ट मैच में यह तीसरे नंबर का सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी प्रदर्शन था.
टी20 इंटरनेशनल में 4 विकेट लेकर किया था डेब्यू
प्रज्ञान ओझा ने अपना टी-20 इंटरनेशनल करियर 2009 टी20 वर्ल्ड कप में बांग्लादेश के खिलाफ मैच में किया था. इस मैच में ओझा ने 21 रन देकर 4 विकेट लिए थे और उन्हें 'मैन ऑफ द मैच' चुना गया था. इसके बावजूद उनका टी20 इंटरनेशनल करियर 6 मैच में 10 विकेट तक ही सिमटकर रह गया. कप्तान महेंद्र सिंह धोनी कभी भी उनकी बॉलिंग में पूरा विश्वास नहीं दिखा पाए. इसके अलावा ओझा ने 2009 में ही श्रीलंका के खिलाफ कानपुर टेस्ट में अपना इंटरनेशनल टेस्ट करियर शुरू किया था.
उस टेस्ट में भारतीय जीत में उन्होंने 4 विकेट लिए थे. उन्होंने अपने 24 टेस्ट मैच के करियर में 30.26 के औसत से कुल 113 विकेट लिए. उन्होंने टेस्ट मैचों में 7 बार पारी में 5 विकेट और 1 बार मैच में 10 विकेट लेने का कारनामा किया था. वेस्टइंडीज के खिलाफ ओझा का प्रदर्शन ज्यादा शानदार रहा. उन्होंने कैरेबियाई टीम के खिलाफ 5 टेस्ट मैच में ही 31 विकेट अपने खाते में दर्ज किए थे. इसके अलावा ओझा ने टीम इंडिया के लिए 18 वनडे मैच में भी 21 विकेट अपने नाम किए थे.
आईपीएल में भी दिखाया शानदार खेल
प्रज्ञान ओझा ने इंडियन प्रीमियर लीग में डेक्कन चार्जर्स के लिए पहले सीजन में ही जगह बना ली थी. डेक्कन के 2009 में दक्षिण अफ्रीका की धरती पर आईपीएल खिताब जीतने में भी ओझा का बेहतरीन योगदान रहा था और इसी कारण उन्हें उसी साल टीम इंडिया के लिए टेस्ट, वनडे और टी-20 यानी तीनों फॉर्मेट में इंटरनेशनल करियर चालू करने का मौका मिल गया था. डेक्कन के साथ ही आईपीएल में ओझा का भी आखिरी सीजन 2011 रहा. चार सीजन खेलने के दौरान 56 मैच में उन्होंने 62 विकेट लिए, जिसके लिए उनका औसत 23.59 और इकॉनमी रेट 7.91 का रहा था.