Ranji Trophy: मध्य प्रदेश ने रणजी ट्रॉफी के फाइनल में मुंबई के खिलाफ शुक्रवार को तीसरे दिन के खेल के बाद अपने पहले खिताब की ओर मजबूत कदम बढाए. मुंबई की टीम इस मैच में काफी पीछे रह गई है.
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Ranji Trophy: युवा बल्लेबाज यश दुबे और शुभम शर्मा की शतकीय पारियों और दोनों के बीच दूसरे विकेट के लिए 222 रन की साझेदारी के दम पर मध्य प्रदेश ने रणजी ट्रॉफी के फाइनल में मुंबई के खिलाफ शुक्रवार को तीसरे दिन के खेल के बाद अपने पहले खिताब की ओर मजबूत कदम बढाए.
मुंबई की पहली पारी में 374 रन का स्कोर बड़ा लग रहा था लेकिन दुबे ने 236 गेंद में 14 चौकों की मदद से 113 और शुभम ने 215 गेंद में 15 चौके और एक छक्का जड़ 116 रन की पारी खेलकर टीम को बेहद मजबूत स्थिति में पहुंचा दिया. मध्यप्रदेश ने तीसरे दिन का खेल खत्म होने तक तीन विकेट पर 368 रन बना लिये है और पहली पारी के आधार पर मुंबई से सिर्फ 6 रन पीछे है.
मध्य प्रदेश को पहली पारी में निर्णायक बढ़त लेने के लिए केवल 7 रन की जरूरत है और अगर टीम की बल्लेबाजी चौथी पारी में बुरी तरह से लड़खड़ाती नहीं है तो खिताब उनकी झोली में होगा. मध्य प्रदेश की टीम पिछली बार 1998-99 में रणजी फाइनल में पहुंची थी लेकिन तब उसे कर्नाटक से हार का सामना करना पड़ा था. दिन की शुरुआत एक विकेट पर 123 से करने के बाद मध्य प्रदेश के बल्लेबाजों ने तीसरे दिन धैर्य से खेलते हुए 245 रन बनाये लेकिन इस दौरान मुंबई के गेंदबाजों को विकेट के लिए तरसा दिया.
स्टंप्स के समय इंडियन प्रीमियर लीग में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर के लिए शानदार प्रदर्शन करने वाले रजत पाटीदार 106 गेंद में 13 चौकों की मदद से 67 और कप्तान आदित्य श्रीवास्तव 33 गेंद में 11 रन बनाकर खेल रहे थे. टीम की कोशिश अब अपनी बढ़त को इतना बढ़ाने पर होगी जहां से मुंबई को वापसी का मौका नहीं मिल सके. चिन्नास्वामी स्टेडियम की पिच से गेंदबाजों को मदद मिलने का संकेत नहीं मिल रहा था. दिन में निकली तेज धूप ने बल्लेबाजों का काम और आसान कर दिया.
सबसे बड़ी निराशा मुंबई के बाएं हाथ के स्पिनर शम्स मुलानी (40 ओवर में एक विकेट पर 117) को हुई, जिन्होंने बहुत अधिक ढीली गेंदें फेंकी. अनुभवी धवल कुलकर्णी (21 ओवर में बिना सफलता के 51 रन) और तुषार देशपांडे (24 ओवर में 73 रन पर एक विकेट) ने भी औसत गेंदबाजी की. मुंबई के गेंदबाजों ने शुरुआती ओवरों में विकेट लेने की जगह मेडन ओवर डालने पर जोर दिया जिससे आधे घंटे के खेल के बाद दुबे और शुभम ने लय हासिल कर ली और आसानी से कवर ड्राइव लगाए.
इस टीम में रणजी चैम्पियन बनने के इकलौते अनुभवी खिलाड़ी कुलकर्णी ने लगातार ऑफ के काफी बाहर गेंद फेंकी. जिन्हें बल्लेबाजों ने विकेटकीपर के लिए छोड़ दिया. मुलानी के क्रीज पर आते ही शुभम ने लांग ऑफ पर छक्का जड़ा, जिसके बाद कप्तान पृथ्वी साव के चेहरे पर निराशा देखी जा सकती थी. दुबे ने इस सत्र में 613 जबकि शुभम ने 578 रन बनाए है. दोनों ने गेंद को बाउंड्री लगाने के साथ बीच-बीच में एक-एक रन चुराना जारी रखा. अपनी 222 रन की साझेदारी में दोनों ने 76 बार एक-एक रन लिए.