सचिन ने इंटरनेशनल मेंस वीक के मौके पर पुरुषों से कहा, 'भावुक हों तो बहने दें आंसू'
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सचिन ने इंटरनेशनल मेंस वीक के मौके पर पुरुषों से कहा, 'भावुक हों तो बहने दें आंसू'

International Men's week: सचिन ने इंटरनेशनल मेंस वीक पर पुरुषों को दिए खास संदेश में कहा है कि रोने में शर्म जैसी कोई बात नहीं होती 

सचिन का कहना है कि यह धारणा गलत है कि रोने से पुरुष कमजोर होते हैं. (फोटो: PTI)

नई दिल्ली: दिग्गज क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने 'इंटरनेशनल मेंस वीक' (International Men's week) के अवसर पर सभी लड़कों और पुरुषों के नाम एक खत लिखा है. इस खत में सचिन ने पुरुषों को लेकर कुछ गलत धारणाओं पर ध्यान दिलाया है. उनका मानना है पुरुषों को अपनी भावनाओं को खुल कर कहने में संकोच नहीं करना चाहिए. यहां तक कि अगर वे भावुक हों तो आंसुओं को बहने देने में कोई बुराई नहीं है. 

नहीं छिपाएं अपनी भावनाएं
इसमें उन्होंने पुरुषों से मजबूत बनने के लिए भावनाओं का खुलकर इजहार करने का अनुरोध किया और कहा कि पुरुषों को अगर रोना आए तो रोना चाहिए. पुरुषों के लिए ऐसा करना सही है. सचिन ने अपने करियर में पहली बार पुरुषों और युवा लड़कों के लिए एक खुला पत्र लिखा है. उन्होंने अपने इस पत्र में कहा कि पुरुषों को अपनी भावनाओं को छिपाना नहीं चाहिए और मुश्किल पलों में यदि वे भावुक हो जाएं तो अपने आंसुओं को बहने दें.

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ऐसे समय भी आएंगे जीवन में
सचिन ने पत्र में लिखा, "आप जल्द ही पति, पिता, भाई, दोस्त, मेंटर और अध्यापक बनेंगे. आपको उदाहरण तय करने होंगे. आपको मजबूत और साहसी बनना होगा." उन्होंने कहा, "आपके जीवन में ऐसे पल आएंगे, जब आपको डर, संदेह और परेशानियों का अनुभव होगा. वह समय भी आएगा जब आप विफल होंगे और आपको रोने का मन करेगा."

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गलत है 'पुरुष कभी रोते नहीं' वाली धारणा
दिग्गज बल्लेबाज ने आगे लिखा, "यकीनन ऐसे समय में आप अपने आंसुओं को रोक लेंगे और मजबूत दिखाने का प्रयास करेंगे, क्येंकि पुरुष ऐसा ही करते हैं. पुरुषों को इसी तरह बड़ा किया जाता है कि पुरुष कभी रोते नहीं. रोने से पुरुष कमजोर होते हैं. मैं भी यही सोचते हुए बड़ा हुआ था. लेकिन, मैं गलत था."

16 नवंबर 2013 का दिन किया याद
सचिन ने कहा, "मैं अपने जीवन में कभी भी 16 नवंबर 2013 की तारीख को भूल नहीं सकता. मेरे लिए उस दिन आखिरी बार पवेलियन लौटना बहुत मुश्किल था और दिमाग में बहुत कुछ चल रहा था. मेरा गला रुंध गया था लेकिन फिर अचानक मेरे आंसू दुनिया के सामने बह निकले और हैरानी की बात है कि उसके बाद मैंने शांति महसूस की. अपने आंसुओं को दिखाना कोई शर्म की बात नहीं है. अपने व्यक्तित्व के एक हिस्से को क्यों छिपाना जो वास्तव में आपको मजबूत बनाता है."
(इनपुट आईएएनएस)

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