29 अप्रैल 1979 को टीम इंडिया के पूर्व तेज गेंदबाज आशीष नेहरा का जन्म हरियाणा के जींद जिले में हुआ था, उन्होंने भारत के लिए 18 साल क्रिकेट खेला है.
Trending Photos
नई दिल्ली: साल 2003 के क्रिकेट वर्ल्ड कप का वो मुकाबला भला कौन भूल सकता है, जब लीग मैच में भारत का सामना इंग्लैंड से हो रहा था. सुपर सिक्स में पहुंचने के लिए भारत के लिए ये मैच जीतना बेहद जरूरी था, पहले खेलते हुए भारतीय टीम 250 रन का स्कोर बना सकी थी. इंग्लैंड के लिए ये लक्ष्य उतना मुश्किल नहीं लग रहा था.
यह भी पढ़ें- सचिन को आउट न कर पाने की वजह से आज भी सदमे में हैं ये पाकिस्तानी गेंदबाज, जानिए कौन हैं वो
ऐसे वक्त में डरबन की तेज़ पिच पर ऐसे संकटमोचन गेंदबाज़ की ज़रूरत थी जो इस लक्ष्य को बचा पाए. तब कप्तान सौरव गांगुली (Saurav Ganguly) ने आशीष नेहरा (Ashish Nehra) को ये बड़ी ज़िम्मेदारी सौंपी. उन्होंने इस मैच में वो कमाल कर दिखाया जो बेहद काबिल-ए-तारीफ था. 10 ओवर की गेंदबाजी में महज़ 23 रन दिए और 6 अंग्रेज बल्लेबाजों को आउट किया.
Best Bowling Figure by an Indian in a World Cup Game - 6 for 23 against England. #OnThisDay in 2003 - Ashish Nehra on FIREpic.twitter.com/oZDOSmR9Rj https://t.co/9D7XdrNEE0
— Cricketopia (@CricketopiaCom) February 26, 2020
यह वनडे क्रिकेट करियर में नेहरा की सबसे बेहतरीन गेंदबाज़ी थी. इस मैच में नेहरा को ज़्यादा थकान की वजह से मैदान में ही उल्टी आ गई थी. ऐसा लग रहा था कि वो अब इस मैच में अपना 10 ओवर का स्पेल नहीं कर पाएंगे, लेकिन वो मैदान में वापस लौटे और टीम इंडिया को जीत दिलवाकर ही दम लिया.
नेहरा ने अपने इंटरनेशनल क्रिकेट करियर की शुरुआत साल 1999 में श्रीलंका के ख़िलाफ़ टेस्ट सीरीज से की थी. इंटरनेशनल वनडे खेलने के लिए उन्हें करीब 2 साल का इंतज़ार करना पड़ा, उन्होंने अपना पहला वनडे मैच साल 2001 में जिम्बाब्वे के ख़िलाफ़ खेला था. इस मुकाबले में उन्होंने 2 विकेट हासिल किए थे. नेहरा ने अपने 120 वनडे मुकाबलों में 157 विकेट लिए हैं, इसके अलावा 26 इंटरनेशनल टी-20 मैचों में उनके नाम 34 विकेट दर्ज हैं. नेहरा सिर्फ़ 17 टेस्ट मैच ही खेल पाए जिसमें उन्होंने 44 विकेट लिए हैं.
नेहरा ने 1 नवंबर 2017 को अपना आख़िरी इंटरनेशनल मैच खेला था. ये ट्वेंटी-ट्वेंटी मैच न्यूजीलैंड के ख़िलाफ़ दिल्ली में हुआ था, या ये माना जाए कि टीम इंडिया में उनकी वापसी संन्यास लेने के लिए ही हुई थी. उस आखिरी मैच में नेहरा की वापसी और फिर संन्यास का ‘इत्तेफ़ाक’ काफ़ी स्क्रिप्टेड लग रहा था. चाहे मामला जो भी रहा हो संन्यास के बाद नेहरा आज भी एक यादगार खिलाड़ी के रूप में हमेशा जाने जाते हैं.
(लेखक-शारिक़ुल होदा)