नागनाथन पंडी ( Naganathan Pandi) के संघर्ष की कहानी बेहद दिलचस्प है. एक गरीब परिवार में जन्म लेने के बावजूद उन्होंने जिंदगी में कभी हार नहीं मानी. अब वो 400x4 मीटर दौड़ में हिस्सा लेने भारत की तरफ से टोक्यो ओलंपिक जाएंगे.
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नई दिल्ली: मन में लगन और दिल में जज्बा हो तो इंसान के लिए बड़े से बड़ा मुकाम हासिल करना मुश्किल नहीं है. इसके जीते-जागते सबूत हैं नागनाथन पंडी ( Naganathan Pandi) जिन्होंने बुरे हालात से गुजरकर टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) का टिकट हासिल किया.
ज़ी न्यूज इंग्लिश (Zee News English) से एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में एथलीट नागनाथन पंडी ( Naganathan Pandi) ने बताया कि वो एक बेहद सामान्य परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनके पिता कंस्ट्रक्शन साइट पर मजदूरी करते हैं और उनकी मां हाउसवाइफ हैं.
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दोस्तों को नागनाथन पर गर्व
तमिलनाडु पुलिस (Tamil Nadu Police) में काम करने वाले नागनाथन पंडी ( Naganathan Pandi) के माता-पिता के लिए ये अंदाजा लगाना मुश्किल है कि उनके बेटे ने कितना बड़ा मुकाम हासिल किया है. हालांकि उनके दोस्त इस बात पर काफी गर्व कर रहे हैं.
नागनाथन का बचपन काफी जद्दोजहद में गुजरा. उनके पिता को मजदूरी के जरिए इतनी कम कमाई होती थी, कि वो मुश्किल से अपनी पत्नी और 5 बच्चों का पेट भर पाते थे. पिता ने अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए काफी दिक्कतों का सामना किया. जब नागनाथ 15 साल के हुए तब उन्होंने परिवार की मदद के लिए हफ्ते के आखिर में कंस्ट्रक्शन साइट पर मजदूरी करना शुरू कर दिया.
जब नागनाथन पंडी ( Naganathan Pandi) 10वीं क्लास में पहुंचे तो उन्हें दौड़ने का शौक हुआ. उनके पास जूते नहीं थे, ऐसे में उन्होंने इसकी परवाह न करते हुए अपनी रनिंग जारी रखी. जिसके बाद उनके पीटी टीचर ने सपोर्ट किया, फिर नागनाथन ने 1500 मीटर रेस के लिए प्रैक्टिस की. 12वीं क्लास में उनके शानदार जज्बे को देखते हुए स्कूल की तरफ से उन्हें एक जोड़ी जूते दिए गए.
अपने होमटाउन के PTMTM कॉलेज से नागनाथन ने बीए इतिहास की पढ़ाई की, लेकिन दौड़ना जारी रखा. यूनिवर्सिटी लेवल की 400 मीटर दौड़ को उन्होंने महज 49 सेकेंड में पूरा किया. चूंकि नागनाथन ने बेंगलुरु में ऑल इंडिया मीट में हिस्सा लिया था इसलिए उस सर्टिफिकेट की बदौलत उन्होंने स्पोर्ट्स कोटा के जरिए स्टेट पुलिस में नौकरी के लिए आवेदन कर दिया.
प्रवेश परीक्षा पास करने के बाद नागनाथन ने साल 2017 में तमिलनाडु पुलिस में नौकरी हालिस कर ली. उन्हें चेन्नई में कॉन्सटेबल की पोस्ट मिली. वक्त की कमी होने की वजह से वो ड्यूटी से पहले और बाद में ट्रेनिंग करने लगे. उनके बैचमेट प्रभाकरन ने इस टैलेंट तो पहचान लिया और कोच की कमी को देखते हुए खुद नागनाथन को ट्रेनिंग देने लगे.
नागनाथन ने इसके बाद 5 लाख रुपये को लोन लोन लिया और रामनाथपुरम (Ramanathapuram) रह रहे अपने परिवार पर 3 लाख रुपये खर्च किए. उनके दोस्त मानिकंदन (Manikandan) ने काफी मदद की और तकनीक बेहतर करने में मदद की.
साल 2019 के बाद नागनाथन ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. चंडीगढ़ में आयोजित ऑल इंडिया पुलिस मीट में उन्होंने 400 मीटर व्यक्तिगत और रिले इवेंट में गोल्ड मेडल जीता. इसके बाद इंडियन ग्रां प्री में भी उन्होंने गोल्ड पर कब्जा जमाया. इसके बाद वो ओलंपिक की ट्रेनिंग के लिए पटियाला पहुंचे.
दोस्तों ने की मदद
आज भी नागनाथन के दोस्त उनकी आर्थिक मदद करते हैं, ताकि वो अपनी ट्रेनिंग की जरूरतों को पूरा कर सकें. नागनाथन बताते हैं कि जैसे ही सैलरी आती है वो अपने दोस्तों का उधार चुका देते हैं, लेकिन उनका खर्च नहीं निकल पाता है. हाल में ही ग्रेटर चेन्नई पुलिस ने उन्हें रनिंग किट गिफ्ट में दिया था.
जब तक नागनाथन ने नेशनल लेवल पर जीतना नहीं शुरू किया तब तक उन्होंने अपने माता-पिता को इस बारे में नहीं बताया था, क्योंकि पैरेंट्स की नजर में खेल की खास अहमियत नहीं थी, वो चाहते थे कि उनका बेटा पढ़ाई करे और परिवार का खर्च उठाए.
नागनाथन बताते हैं कि उनके माता-पिता को ओलंपिक के बारे में थोड़ी सी जानकारी हो गई है और वो अपने बेटे की उपलब्धियों को लेकर बेहद खुश हैं. नागनाथन के भाइयों और बहनों ने माता-पिता को इस बात के लिए राजी कर लिया है और बता दिया है कि उनका बेटा इंडिया की जर्सी पहनकर टोक्यो ओलंपिक में धमाल मचाएगा.