कौन कहता है कि रोबोट इंसान की जगह नहीं ले सकता? अरे भाई! चीनी वैज्ञानिकों ने ऐसा कर दिखाया
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कौन कहता है कि रोबोट इंसान की जगह नहीं ले सकता? अरे भाई! चीनी वैज्ञानिकों ने ऐसा कर दिखाया

अभी तक कहा जा रहा था कि रोबोट इंसान की जगह नहीं ले सकता है. सुनने में भी सही लगता है. चीनी वैज्ञानिकों ने ऐसा कर दिखाया है. उन्होंने AI को मानव ब्रेन सेल्स से जोड़ने की कोशिश की है. यह सुनने में किसी साइंस फिक्शन फिल्म जैसा लगता है.

 

कौन कहता है कि रोबोट इंसान की जगह नहीं ले सकता? अरे भाई! चीनी वैज्ञानिकों ने ऐसा कर दिखाया

AI अभी इंसानों जैसी समझदारी नहीं रख सकता. इसको बदलने के लिए वैज्ञानिकों ने एक नया तरीका निकाला है - उन्होंने AI को मानव ब्रेन सेल्स से जोड़ने की कोशिश की है. बेशक, यह सुनने में किसी साइंस फिक्शन फिल्म जैसा लगता है, पर चीन की टियांजिन यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स का दावा है कि ये ह्यूमन ब्रेन सेल्स वाला रोबोट भविष्य में इंसानों और रोबोटों की मिली हुई बुद्धि का रास्ता खोल सकता है.

New Atlas के अनुसार, इस नए अत्याधुनिक रोबोट को "ब्रेन ऑन ए चिप" के रूप में वर्णित किया गया है, जो स्टेम सेल्स का उपयोग करता है जिन्हें मूल रूप से ह्यूमन ब्रेन सेल्स में विकसित होने के लिए बनाया गया था. इन सेल्स को एक इलेक्ट्रोड के माध्यम से कंप्यूटर चिप के साथ जोड़ा गया था. इससे रोबोट चीजों को समझने और कई काम करने में सक्षम हो गया है. यह नई तकनीक रोबोट को जानकारी को इकट्ठा और इस्तेमाल करने में मदद करती है, जिससे वो रास्ते में आने वाली चीजों को पकड़ने जैसे काम कर सकता है.

बताया दुनिया का पहला ओपन सोर्स ब्रेन ऑन चिप सिस्टम

ये नया humanoid रोबोट वैज्ञानिकों के "दुनिया का पहला ओपन-सोर्स ब्रेन-ऑन-चिप सिस्टम" का हिस्सा बताया जा रहा है. इसका मतलब है कि ये सब बनाने की जानकारी दुनियाभर के लिए उपलब्ध है. आम रोबोटों की तरह इसे पहले से बताए गए निर्देशों पर काम नहीं करना पड़ता. ये दिमाग की तरह सीख सकता है और अपने आसपास के माहौल को समझ सकता है. हालांकि ये देख नहीं सकता, लेकिन स्पर्श और बिजली के संकेतों को महसूस कर सकता है. इसी से ये अपना रास्ता बनाता है, चीजों को पकड़ता है और काम करता है.

तेजी से समझ सकेगा

वैज्ञानिकों के अनुसार ये नई खोज सिर्फ जीव विज्ञान और टेक्नोलॉजी का मिलाप नहीं है, बल्कि ये कंप्यूटर की समझदारी में भी एक बड़ी तरक्की है. आम तौर पर इस्तेमाल होने वाली AI चीजों को सीखने में दिमाग की कोशिकाओं जितनी तेज नहीं होती. ये सिर्फ पहले से डाले गए डाटा और निर्देशों पर ही काम करती है. मगर ये नया 'ब्रेन-ऑन-चिप' कंप्यूटर बहुत कम बिजली इस्तेमाल करके तेजी से सीख सकता है. ये इस बात का सबूत है कि प्रकृति के तरीके कितने ज्यादा कारगर और बदलने लायक होते हैं.

वैज्ञानिकों ने पाया है कि असली दिमाग की कोशिकाओं का इस्तेमाल करने से चीजें सीखना बहुत तेज हो सकता है. ऑस्ट्रेलिया की मोनाश यूनिवर्सिटी में 'डिश ब्रेन' नाम के प्रोजेक्ट में रिसर्चर्स ने देखा कि इंसानों की ब्रेन सेल्स AI से कहीं ज्यादा तेजी से सीख सकती हैं. उन्होंने लगभग 8 लाख ब्रेन सेल्स को एक चिप पर उगाया, फिर उन्हें नकली माहौल में रखा और देखा कि कैसे ये कोशिकाएं कुछ ही मिनटों में एक आसान सा वीडियो गेम सीख गईं. इस प्रोजेक्ट को देखते हुए ऑस्ट्रेलियाई सेना ने इसे बहुत जल्द फंडिंग दे दी और फिर इसे 'कॉर्टिकल लैब्स' नाम की कंपनी में बदल दिया गया.

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