Work From Home के दौरान टाइम पास कर रही थी महिला, कंपनी ने ऐसे चुपके से पता किया और लिया ऐसा एक्शन
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Work From Home के दौरान टाइम पास कर रही थी महिला, कंपनी ने ऐसे चुपके से पता किया और लिया ऐसा एक्शन

ब्रिटिश कोलंबिया में स्थित एक कंपनी शिफ्ट के दौरान कर्मचारी काम कर रहा है या नहीं... यह पता लगाने के लिए उसने एक सॉफ्टवेयर तैयार किया. देखा कि महिला कंपनी ने धोखा दे रही है. उसने ऐसा हैरान कर देने वाला एक्शन लिया...

 

Work From Home के दौरान टाइम पास कर रही थी महिला, कंपनी ने ऐसे चुपके से पता किया और लिया ऐसा एक्शन

कोरोनावायरस के दौरान कंपनियों ने वर्क फ्रॉम होम कल्चर को अपनाया है. इसके कुछ फायदे तो कुछ नुकसान भी हैं. फायदों की बात करें तो कर्मचारियों का ट्रेवल टाइम बचा. पर्सनल लाइफ को कर्मचारी ज्यादा समय दे पाए. अब नुकसान पर आएं तो कर्मचारी काम पर ज्यादा समय देने लगे. ज्यादा समय मतलब 9 घंटे से ज्यादा. वहीं कुछ कर्मचारी सुस्त भी रहे. इसी वजह से ट्विटर जैसी कंपनियों ने वर्क फ्रॉम होम को खत्म किया और कर्मचारियों को वापिस ऑफिस आने को कहा. कुछ कंपनियां ऐसी भी हैं, जो अभी भी वर्क फ्रॉम होम दे रही हैं. इस लिस्ट में ब्रिटिश कोलंबिया में स्थित एक कंपनी भी है. शिफ्ट के दौरान कर्मचारी काम कर रहा है या नहीं... यह पता लगाने के लिए उसने एक सॉफ्टवेयर तैयार किया.

Work From Home के दौरान टाइम पास कर रही थी महिला

टाइम्स नाउ की खबर के मुताबिक, कंपनी ने हाल ही में एक महिला को वर्क फ्रॉम होम के दौरान समय बर्बाद करते पाया और उसको तुरंत नौकरी से निकाल दिया. कंपनी ने महिला को समय बर्बाद करने के लिए 3 लाख रुपये भी भुगतान करने को कहा. 

कंपनी को कैसे चला पता

कंपनी ने TimeCamp नामक सॉफ्टवेयर की मदद से पाया कि महिला कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम के दौरान समय बर्बाद कर रही है और उसका ध्यान काम पर नहीं है. आइए बताते हैं यह सॉफ्टवेयर क्या काम करता है. TimeCamp सॉफ्टवेयर मूल रूप से वर्क फ्रॉम होम करते समय कर्मचारियों की गतिविधियों को ट्रैक करता है. जिस महिला को फायर किया गया, वो कंपनी में एकाउंटेंट के रूप में काम करती थी. लेकिन वर्क फ्रॉम होम के दौरान उसको टाइम वेस्ट करते पाया और उसको फायर कर दिया.

3.03 लाख रुपये भुगतान करने को कहा

फायर किए जाने के बाद महिला ने दावा किया कि उसको बिना बताए निकाल दिया गया. यानी कोई नोटिस नहीं दिया. इसके अलावा 3.03 लाख रुपये की मांग की. लेकिन कंपनी ने थियोरी को यह कहते हुए पलट दिया कि उसने काम के दौरान काफी हेरफेर किया. महिला ने 50 घंटे से ज्यादा काम करने का समय दर्ज किया, लेकिन इतना समय उसने काम पर नहीं बिताया. 

जज ने सुनाया आदेश

कंपनी का ऐसा कहते ही महिला ने कहा कि सॉफ्टवेयर सही पहचान नहीं कर पाता. उसके बाद कंपनी ने दावों को खारिज करने के लिए सॉफ्टवेयर को ठीक बताया और प्रूफ भी दिया. इसको देखते हुए जज ने महिला को कंपनी को 3 लाख रुपये भुगतान करने का आदेश दे डाला.

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