Iran Drone Attack: कासिम सुलेमानी अमेरिका के लिए खौफ का दूसरा नाम था. अमेरिका सुलेमानी के पीछे हाथ धोकर पड़ा था. फिर चार साल पहले सुलेमानी को इराक में मार गिराया. और अब कौन है जिसने सुलेमानी की कब्र के पास उसकी बरसी के दिन भीषण बम धमाके कर दिए
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Qasem Soleimani Grave: ईरान के दक्षिणी-पश्चिमी प्रांत करमान में बुधवार को एक कब्रगाह में कमांडर कासिम सुलेमानी की कब्र पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए जुटी भीड़ के बीच दो विस्फोटों में सौ से अधिक लोग मारे गए हैं और करीब दो सौ लोग घायल भी हुए हैं. जनरल सुलेमानी की बरसी पर आयोजित कार्यक्रम के मौके पर यह घटना हुई है. सुलेमानी की हत्या को चार साल हो गए लेकिन वह अब भी इतना खटक रहा है कि उसकी कब्र पर पहुंचे लोगों को बम से उड़ा दिया गया है. इस घटना की जिम्मेदारी किसी ने नहीं ली है लेकिन ईरान इस हमले के बाद चुप नहीं बैठने वाला है. फिलहाल ईरान ने इन धमाकों को ‘आतंकवादी’ हमला करार दिया है. हालांकि ईरान ने भी यह नहीं बताया कि इन धमाकों के पीछे कौन है.
क्या अभी भी खटक रहा है सुलेमानी?
असल में पश्चिम एशिया की गाजा पट्टी में हमास के खिलाफ इजराइल की सैन्य कार्रवाई के बीच हुए इस हमले ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा है. सुलेमानी की कब्र पर इस तरह हमला करना क्या संदेश हो सकता है. क्या ईरान के जख्मों पर यह नमक छिड़कने वाला काम है. क्योंकि सुलेमानी ईरान की क्षेत्रीय सैन्य गतिविधियों के रणनीतिकार थे. ईरानी शासन के समर्थकों के बीच उन्हें एक राष्ट्रीय नायक के रूप में सम्मान दिया जाता है. सुलेमानी ने 2011 में अरब क्रांति के बाद सीरिया के राष्ट्रपति बशर असद के के खिलाफ प्रदर्शनों और बाद से जारी गृह युद्ध में भी सीरियाई राष्ट्रपति की मदद की. सुलेमानी 2003 में इराक पर अमेरिकी हमले से पहले अपने देश में भी अनजान शख्स थे.
अमेरिका ने सुलेमानी को क्यों मारा?
सुलेमानी की लोकप्रियता तब बढ़ी जब अमेरिकी अधिकारियों ने आरोप लगाया कि उन्होंने आतंकवादियों को सड़क के किनारे अमेरिकी सैनिकों को निशाना बनाने में मदद की. अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक सुलेमानी की मदद से किए गए हमलों में उसके कई अमेरिकी सैनिक मारे गए जबकि कई अन्य घायल हुए. करीब डेढ़ दशक के बाद सुलेमानी ईरान के सबसे जाने-माने कमांडर के तौर पर उभरे. हालांकि, उन्होंने राजनीति में आने की बात को नजर अंदाज कर दिया लेकिन असैन्य नेतृत्व से ज्यादा नहीं तो कम से कम बराबर ताकतवर थे. फिर आखिरकार 2020 की शुरुआत में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के निर्देश पर किए गए एक ड्रोन हमले में सुलेमानी की मौत हो गई.
लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से...
यह हमला विश्व शक्तियों और ईरान के बीच हुए परमाणु समझौते से अमेरिका के 2018 में एकतरफा तरीके से हटने के बाद बढ़ते तनाव का नतीजा था. सुलेमानी के मारे जाने के बाद बड़े पैमाने पर जुलूस निकाले गए थे. उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2020 में उनके अंतिम संस्कार में भगदड़ मच गई थी और कम से कम 56 लोग मारे गए और 200 से अधिक घायल हो गए थे. फिलहाल सुलेमानी की हत्या की चौथी बरसी पर करमान में उनकी कब्र के करीब आयोजित एक कार्यक्रम में हुए ड्रोन हमले हुए और यहां भी सौ लोगों की मौत हो गई. करमान के डिप्टी गवर्नर रहमान जलाली ने हमले को ‘आतंकवादी’करार दिया है. हालांकि उन्होंने हमले की विस्तृत जानकारी नहीं दी.
वैसे तो ईरान के कई दुश्मन
सवाल यह है कि कौन है जिसे सुलेमानी या ईरान खटक रहा है. वैसे तो ईरान के कई दुश्मन हैं जो इस हमले को अंजाम दे सकते हैं, जिनमें निर्वासित समूह, उग्रवादी संगठन और दूसरे देश शामिल हैं. यह तथ्य है कि ईरान ने हमास के साथ-साथ लेबनानी शिया मिलिशिया हिजबुल्लाह और यमन के हुती विद्रोहियों का भी समर्थन किया है. तो वहीं दूसरी तरफ इजरायल और अमेरिका की खुलेआम खिलाफत की है. ईरान पहले ही इजरायल को देश का दुश्मन और क्षेत्र में अमेरिका का एजेंट मानता रहा है.