कोरोना वायरस (Coronavirus) के कहर से यूरोप में सबसे ज्यादा इटली प्रभावित हुआ है.
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नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) के कहर से यूरोप में सबसे ज्यादा इटली प्रभावित हुआ है. यूरोप में सबसे पहले लॉकडाउन भी इटली में हुआ. हजारों लोगों की मौत के बाद वहां के लोगों में निराशा उपजना स्वाभाविक भी ही है. इस बीच सोशल मीडिया पर इस तरह की तस्वीरें पिछले कुछ दिनों से वायरल हो रही हैं कि इटली के लोगों ने हताशा में अपने पैसे गलियों, सड़कों पर फेंकने शुरू कर दिए हैं. उनका कहना है कि जब सगे-संबंधी नहीं बचे और इस तरह के लॉकडाउन में ही जीना है तो पैसों को रखने का क्या लाभ है? पैसों की कोई जरूरत नहीं रही?
अब सवाल उठता है कि क्या इनमें रत्ती भर भी सच्चाई है. दरअसल सोशल मीडिया पर सड़कों पर पैसे फेंकने की जो तस्वीरें तैर रहीं हैं, वे तो सही हैं लेकिन उनका इटली से कोई वास्ता नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस तरह की तस्वीरें मार्च, 2019 से ही इंटरनेट पर वायरल हो रही हैं और उस दौरान दुनिया ने कोरोना वायरस नाम का शब्द भी नहीं सुना था.
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तो फिर पैसे फेंकने की मामले की सच्चाई क्या है? दरअसल बदहाली से जूझ रहे लैटिन अमेरिकी देश वेनेजुएला ने अगस्त 2018 में अपनी करेंसी को बदलने का फैसला किया. लिहाजा उन्होंने अपनी पुरानी करेंसी Bolívar Fuerte की जगह पर Bolivar Soberano चलाने का फैसला किया. नतीजतन जब पुरानी करेंसी की कोई वैल्यू नहीं रह गई तो वेनेजुएला के लोगों ने उन नोटों को रद्दी के रूप में सड़कों पर फेंकना शुरू कर दिया. हालांकि उस दौरान ऐसी रिपोर्ट भी आई थी कि वेनेजुएला में कुछ लोगों ने एक बैंक को लूटा और उसके नोटों को ये साबित करने के लिए जला दिया कि अब उनका कोई मूल्य नहीं रह गया है. सो, इस लिहाज से पिछले एक साल से सड़कों पर पैसे फेंकने की तस्वीरें इंटरनेट पर दिखाई दे रही हैं.