कोरोना वायरस संक्रमण की दोहरी मार, बिगाड़ सकता है मानसिक स्वास्थ्य, रिसर्च में किया गया दावा
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कोरोना वायरस संक्रमण की दोहरी मार, बिगाड़ सकता है मानसिक स्वास्थ्य, रिसर्च में किया गया दावा

वायरस से बीमार होने वाले लोगों पर एक रिसर्च की गई है जिसमें ये दावा किया गया है कि कोरोना वायरस संक्रमण से बीमार हुए लोगों को अस्तपताल में भर्ती होने के दौरान या फिर ठीक होने के बाद भी मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.

कोरोना से ठीक होने के बाद भी मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है

नई दिल्ली: दुनिया भर में कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण बढ़ता जा रहा है. बहुत से लोग इस वायरस से जान गंवा रहे हैं तो बहुत से ऐसे भी हैं जो ठीक होकर घर वापस आ रहे हैं. वायरस से बीमार होने वाले लोगों पर एक रिसर्च की गई है जिसके नतीजे हैरान करते हैं.

रिसर्च में ये दावा किया गया है कि कोरोना वायरस संक्रमण से बीमार हुए लोगों को अस्तपताल में भर्ती होने के दौरान या फिर ठीक होने के बाद भी delirium (बेहोशी में बोलना) और पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) जैसी मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.

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द लैंसेट साइकियाट्री पत्रिका में प्रकाशित रिसर्च में covid​​-19, गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम (SARS), और मिडल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (MERS) की वजह से अस्पतालों में भर्ती मरीज़ों पर किए गए अध्ययन के नतीजों को सामने रखा गया.

इस शोध 65 सहकर्मी समीक्षा अध्ययन और सहकर्मी समीक्षा की प्रतीक्षा कर रहे 7 नए अध्ययनों का विश्लेषण किया गया है. इसमें 3,500 से अधिक लोगों के डेटा शामिल थे, जिन्हें इन तीनों में से कोई भी एक बीमारी थी. इस समीक्षा में वही मामले शामिल हैं जो अस्पताल में भर्ती थे. 

यूके में यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (UCL) के शोधकर्ताओं ने पाया कि COVID-19 के कारण अस्पताल में भर्ती चार मरीजों में से एक को अपनी बीमारी के दौरान प्रलाप (delirium) का अनुभव हो सकता है.

COVID-19 से ठीक होने के बाद के प्रभाव अभी तक ज्ञात नहीं हैं, इसलिए दीर्घकालिक जोखिम जैसे पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD), पुरानी थकान, डिप्रेशन और चिंता SARS और MERS के अध्ययनों पर आधारित है, जो हो भी सकता है कि कोविड-19 के मरीजों पर भी लागू हो, या नहीं भी हो सकती है.

अध्ययन में यह भी कहा गया है कि कोविड​​-19 वाले ज्यादातर लोगों को किसी भी तरह की मानसिक स्वास्थ्य समस्या नहीं होगी, यहां तक ​​कि अस्पताल में भर्ती होने वाले गंभीर मामलों में भी. लेकिन इतनी बड़ी संख्या में लोगों के बीमार होने के कारण, मानसिक स्वास्थ्य पर वैश्विक प्रभाव स्वाभाविक रूप से पड़ सकता है.

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SARS या MERS के तीन मरीजों में से एक को औसतन तीन साल के अंदर PTSD हो गया था, खासकर तब जब उन्हें और भी शारीरिक स्वास्थ्य समस्याएं थीं.

डिप्रेशन और चिंता की दरें भी ज्यादा थीं. अध्ययन में पाया गया कि करीब 15 प्रतिशत लोगों में डिप्रेशन के लक्षण पाए गए थे. 15 प्रतिशत से ज्यादा संक्रमित लोगों पुरानी थकान, मूड स्विंग्स, स्लीप डिसॉर्डर, या ध्यान नहीं लगा पाना और चीजों को भूलने का अनुभव किया था.

अस्पताल में, कोरोना वायरस संक्रमण वाले लोगों में से कुछ ने भ्रम, घबराहट और होश में न होने जैसे लक्षणों का अनुभव किया.

SARS और MERS की वजह से भर्ती मरीजों में से करीब 28 प्रतिशत ने भ्रम (confusion) का अनुबव किया. और शुरुआती नतीजों से पता चलता है कि COVID-19 के रोगियों में प्रलाप एक आम समस्या हो सकती है.

शोधकर्ताओं ने पाया कि बीमारी के बारे में बहुत चिंता करना खराब मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा था. बाकी किसी की भी तुलना में सबसे ज्यादा मानसिक परेशानियां स्वास्थ्यकर्मियों ने झेली थीं. 

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