अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घातक कोरोना वायरस को मारने के लिए कोविड-19 के मरीजों के शरीर के भीतर जीवाणुनाशक डालने या उनमें पराबैंगनी किरणों का ‘‘प्रवेश’’ कराए जाने के अध्ययन की संभावना की सलाह दी है.
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वाशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घातक कोरोना वायरस को मारने के लिए कोविड-19 के मरीजों के शरीर के भीतर जीवाणुनाशक डालने या उनमें पराबैंगनी किरणों का ‘‘प्रवेश’’ कराए जाने के अध्ययन की संभावना की सलाह दी है जिसकी अमेरिकी स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने तत्काल आलोचना की और लोगों से इस ‘‘खतरनाक’’ सलाह पर ध्यान नहीं देने को कहा.
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विषय पर गृह सुरक्षा मंत्रालय के उपमंत्री बिल ब्रायन ने अपने विभाग के हालिया वैज्ञानिक अध्ययन की जानकारी देते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि कोरोना वायरस धूप एवं नमी के संपर्क में आने से बहुत तेजी से खत्म होता है. ब्रायन ने ट्रंप की मौजूदगी में संवाददाताओं को बताया, “कोरोना वायरस धूप एवं नमी के संपर्क में आने से बहुत तेजी से खत्म होता है. सीधी धूप पड़ने से यह वायरस सबसे जल्दी मरता है. आइसोप्रोपाइल अल्कोहल वायरस का 30 सेकेंड में खात्मा कर सकता है.”
ब्रायन की इस टिप्पणी के बाद ट्रंप ने सवाल किया कि क्या कोविड-9 से संक्रमित व्यक्ति के शरीर में इंजेक्शन से रसायन डाले जाने की संभावना है जिससे यह वायरस मर जाए. उन्होंने कहा कि इस संबंधी अध्ययन करना दिलचस्प होगा. ट्रंप ने घातक संकमण को समाप्त करने के लिए पराबैंगनी किरणों और प्रकाश के इस्तेमाल की संभावना के मामले को भी उठाया.
ट्रंप के इस बयान की स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने आलोचना की ओर लोगों को ऐसा नहीं करने को लेकर सचेत किया. न्यूयॉर्क-प्रेस्बिटेरियन / कोलंबिया यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर’ में आपात चिकित्सा के लिए वैश्विक स्वास्थ्य निदेशक क्रेग स्पेंसर ने कहा, ‘‘मेरी
चिंता यह है कि लोग मर जाएंगे. लोग सोचेंगे कि यह अच्छा विचार है...यह खतरनाक है.’’
व्हाइट हाउस में कोरोना वायरस कार्य बल के सदस्य डॉ. स्टीफन हान ने कहा, ‘‘मैं जीवाणुनाशकों को शरीर के भीतर डालने की सलाह निश्चित ही नहीं दूंगा.’’ कोलंबिया यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर में आपात चिकित्सा के सहायक प्रोफेसर दारा कास ने कहा, ‘‘अपनी लार से कोविड-19 को हटाने के लिए कृपया ब्लीच या आइसोप्रोपाइल अल्कोहल नहीं पिएं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह भयानक है.’’
अमेरिका में 8,69,170 लोग इस वायरस से संक्रमित हैं और करीब 50,000 लोगों की मौत हो चुकी है.
(इनपुट: एजेंसी भाषा)