Heat Wave in Europe: झुलसता यूरोप, एक साल में गर्मी की वजह से 47,000 से अधिक लोगों की मौत
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Heat Wave in Europe: झुलसता यूरोप, एक साल में गर्मी की वजह से 47,000 से अधिक लोगों की मौत

Europe Weather: यह जानकारी एक रिपोर्ट में सामने आई. शोधकर्ताओं ने 35 यूरोपीय देशों के मृत्यु और तापमान रिकॉर्ड का इस्तेमाल किया. ग्रीस, बुल्गारिया, इटली और स्पेन गर्मी से संबंधित सबसे अधिक मृत्यु दर वाले देश थे.

Heat Wave in Europe: झुलसता यूरोप, एक साल में गर्मी की वजह से 47,000 से अधिक लोगों की मौत

Europe News: बढ़ता तापमान वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों के लिए पिछले कुछ वर्षों में चिंता का विषय रहा है. 2023 दुनिया का सबसे गर्म साल रहा. जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में वृद्धि जारी है. यूरोपीय लोग दुनिया के सबसे तेजी से गर्म हो रहे महाद्वीप में रहते हैं, जहां तीव्र गर्मी से स्वास्थ्य संबंधी जोखिम बढ़ रहे हैं. हालात कितने गंभीर हैं इसका अंदाज सोमवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट से लगाया जा सकता है.

रॉयटर्स के मुताबिक बार्सिलोना इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ (आईएसग्लोबल) की यह रिपोर्ट सोमवार को प्रकाशित हुई है. इसमें 2023 में यूरोप में भीषण गर्मी के कारण 47,000 से अधिक लोगों की जान जाने का अनुमान लगाया गया. इसीक के साथ गर्मी के सबसे ज्यादा यूरोप के दक्षिणी देशों में प्रभाव डालने  की बात कही गई.

कहीं ज्यादा होती मरने वालों की संख्या
स्पेनिश अनुसंधान केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार, यदि पिछले 20 वर्षों में लोगों को बढ़ते तापमान के अनुकूल बनाने के लिए पूर्व चेतावनी प्रणाली और स्वास्थ्य सेवा में सुधार जैसे उपाय नहीं किए गए होते, तो 2023 में मरने वालों की संख्या 80% अधिक होती.

35 देशों के आकंड़ों का किया गया इस्तेमाल
शोधकर्ताओं ने 35 यूरोपीय देशों के मृत्यु और तापमान रिकॉर्ड का इस्तेमाल किया. उनका अनुमान है कि 47,690 लोगों की मृत्यु उच्च तापमान से संबंधित कारणों से हुई. ग्रीस, बुल्गारिया, इटली और स्पेन गर्मी से संबंधित सबसे अधिक मृत्यु दर वाले देश थे.

क्या कहते हैं शोधकर्ता?
आईएसग्लोबल की शोधकर्ता और अध्ययन की प्रमुख लेखिका एलिसा गैलो ने कहा, 'हमारे परिणाम दर्शाते हैं कि वर्तमान शताब्दी में उच्च तापमान के प्रति सामाजिक अनुकूलन प्रक्रियाएं किस प्रकार रही हैं, जिसके कारण हाल की गर्मियों में गर्मी से संबंधित संवेदनशीलता और मृत्यु दर में नाटकीय रूप से कमी आई है, विशेष रूप से बुजुर्गों के बीच.'

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