Japan News: पुलिस की पूछताछ और कथित मारपीट के बाद हाकामाडा ने अपराध कबूल कर लिया था. लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि यह कबूलनामा जबरन लिया गया था. बाद में कई जांच करने के बाद पता चला कि वे सच में बेगुनाह थे.
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Iwao Hakamada: क्या आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कोई शख्स करीब आधी सदी तक जेल में रहे और फिर बेगुनाह साबित हो जाए. अपने एक मामले को लेकर लंबे समय तक चर्चा में रहे जापानी शख्स इवाओ हाकामाडा अब जेल से बाहर आ गए. 88 वर्षीय इवाओ हाकामाडा को दुनिया के सबसे लंबे समय तक मृत्युदंड की सजा पाने वाले कैदी के रूप में जाना जाता है. उन्हें गुरुवार को बरी कर दिया गया. 1968 में एक परिवार के चार सदस्यों की हत्या के आरोप में उन्हें गलत तरीके से दोषी ठहराया गया था.
असल में हाकामाडा ने 46 साल जेल में बिताए. हाकामाडा एक जमाने में पेशेवर बॉक्सर थे. वे 1966 में शिज़ुओका के एक सोयाबीन प्रोसेसिंग प्लांट में काम करते थे, जब उनके मालिक और उनके परिवार की हत्या कर दी गई थी. पुलिस की पूछताछ और कथित मारपीट के बाद हाकामाडा ने अपराध कबूल कर लिया, लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि यह कबूलनामा जबरन लिया गया था. बताया गया कि उनके खिलाफ मुख्य सबूत खून से सने पैंट थे, जिन्हें मिसो टैंक में पाया गया था.
लेकिन इस केस में ट्विस्ट तब आया जब वर्षों बाद डीएनए परीक्षणों से पता चला कि वह खून न तो हाकामाडा का था और न ही पीड़ितों का. हाकामाडा की बहन हिदेको, जो अब 91 साल की हैं, उन्होंने उनके लिए न्याय की लंबी लड़ाई लड़ी. उन्होंने उनके मानसिक संघर्ष पर भी प्रकाश डाला, यह बताते हुए कि उनके भाई अब वास्तविकता को ठीक से पहचान नहीं पाते.
कुछ जापानी मीडिया रिपोर्ट्स ने यह भी लिखा कि हाकामाडा का मामला जापान की न्याय प्रणाली की खामियों का प्रतीक बन गया है, जहां कबूलनामों को ठोस सबूतों से ज्यादा महत्व दिया जाता है. फिलहाल इस घटना ने जापान में मृत्युदंड को समाप्त करने की मांग को भी तेज कर दिया है. जापान एकमात्र G7 देश है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के अलावा, अभी भी मृत्युदंड की सजा को जारी रखता है.