Kfir Bibas Story: किसी भी तरह की लड़ाई का सबसे अधिक असर बच्चों और महिलाओं पर होता है. हमास ने करीब 240 इजरायली नागरिकों को बंधक बनाया है जिनमें 9 महीने का अबोध मासूम बच्चा केफिर बिबास भी है.
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उसकी उम्र सिर्फ 9 महीना है. अब उम्र से ही साफ है कि उसके लिए कोई मतलब नहीं कि वो इजरायली है या फिलिस्तानी. लेकिन आतंकी संगठन हमास की नजर में उसकी भी पहचान है, पहचावन इजरायली होने की. अब वो इजरायली है तो हमास की नजर नें उसका कट्टर दुश्मन. हालांकि 9 महीने के उस अबोध मासूम को यह भी नहीं पता होगा कि उसे किस बात की सजा मिल रही है. लेकिन वो उन 240 लोगों का एक छोटा सा हिस्सा है जिसे हमास ने बंधक बनाया है. तारीख सात अक्टूबर की है जब हमास ने 20 मिनट के भीतर इजरायल के खिलाफ पांच हजार से अधिक रॉकेट दाग डाले. और सैकड़ों की संख्या में इजरायली नागरिकों को बंधक बना लिया.
हमास के कब्जे में 240 इजरायली
हमास के कब्जे में करीब 240 इजरायली नागरिक हैं. उनमें से एक केफिर बिबास है जिसकी उम्र महज 9 महीने है.हमास के कब्जे में करीब 240 इजरायली नागरिक हैं. उनमें से एक केफिर बिबास है जिसकी उम्र महज 9 महीने है. दक्षिणी इजरायल के किबुत्ज में वो अपने माता-पिता और चार साल के भाई के साथ रहता था. लेकिन सात अक्टूबर को सबकुछ बदल गया. हमास के आतंकियों ने केफिर के साथ उसकी मां शिरी, पिता यार्डेन और चार साल के भाई का अपहरण कर लिया. हमास के कब्जे में कुल 32 बच्चे हैं जिनमें केफिर सबसे छोटा है.
This beautiful baby boy Kfir Bibas was just nine months old when he was ripped from his home and kidnapped by Hamas terrorists.
He is now 10 months old and still being held hostage in Gaza.
Pray for the return of Kfir, his big brother Ariel, his mother Shiri and father… pic.twitter.com/lyqehDslOG
— Israel (@Israel) November 12, 2023
'अब सिर्फ उम्मीद ही बची'
केफिर और उसका परिवार कहां हैं. कुछ भी पता नहीं है. उसके दादा को उम्मीद है कि एक ना एक दिन वो अपने परिवार से मिल सकेंगे. इस तरह की उम्मीद जताई जा रही है कि शायद हमास के आतंकी सभी बंधकों को रिहा कर दें. केफिर के दादा एली बिबास ने ताजपिट प्रेस सर्विस को एक इंटरव्यू में कहा कि अब यही उनकी जिंदगी है. हम हर रोज भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं उनका बेटा, बहू और दोनों पोते घर जल्द से जल्द आ जाएं. एली बिबास सात अक्टूबर का जिक्र करते हुये कहते हैं कि उस दिन वो खुद अपने बेटे के घर जाने वाले थे कि एकाएक सायरन बजा.इस तरह की जानकारी सामने आने लगी कि गाजा कि तरफ से कुछ हो सकता है. लोगों को सुरक्षित जगहों पर जाने की अपील की जा रही थी. गाजा सीमा पर बसे और लोगों की तरह वो भी सुरक्षित जगह पर चले गए. लेकिन अफसोस की उनके बेटे और बहू सुरक्षित जगह पर नहीं जा सके.