Russian Moon Mission: लूना-25 का क्रैश होना रूस के लिए बड़ा झटका था. मॉस्को को उम्मीद थी को वह लूना-25 को चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कर इतिहास रच सकता है. 19 अगस्त को लूना-25 चांद की सतह पर क्रैश हो गया. रूस का इतिहास रचने का सपना टूट गया.
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Luna-25 News: लूना-25 क़रीब 50 सालों में ये चांद के लिए रूस का पहला मिशन था. रूस की योजना चांद के दक्षिणी ध्रुव पर इस मानवरहित यान की सॉफ्ट लैंडिग कराने की थी लेकिन ऐसा हो नहीं सका. अब रूसी स्टेट कॉरपोरेशन रोस्कोस्मोस लूना-25 के क्रैश होने पर बड़ा खुलासा किया है.
रोस्कोस्मोस ने दुर्घटना की प्रारंभिक जांच में कहा कि कि ऑन-बोर्ड कंट्रोल यूनिट में खराबी के कारण लूना-25 क्रैश हो गया. एजेंसी के मुताबिक एक अंतरएजेंसी आयोग लूना-25 के क्रैश होने के कारण का पता लगा रहा है. यह आयोग अब भविष्य के चंद्र मिशनों में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए अपनी सिफारिशें प्रदान करेगा.
रोस्कोस्मोस ने बताया कि कंट्रोल यूनिट प्रोपोल्सन सिस्टम यानी प्रणोदन प्रणाली को निष्क्रिय करने में विफल रही, जिससे चंद्रमा की ओर अंतरिक्ष यान की गति से आवश्यकता से डेढ़ गुना अधिक समय तक विस्फोट हुआ.
रोस्कोस्मोस ने अपने प्रारंभिक विश्लेषण में बताया, ‘अंतरिक्ष यान को सर्कुलर लूनर ऑर्बिट से अण्डाकार पूर्व-लैंडिंग कक्षा में स्थानांतरित करने के लिए एक सुधारात्मक पल्स जारी करते समय लूना -25 प्रणोदन प्रणाली ने पूर्व में निर्धारित 84 सेकंड के बजाय 127 सेकंड तक काम किया.’
एजेंसी ने आगे कहा कि दुर्घटना का सबसे संभावित कारण गलत डेटा कमांड के कारण ऑन-बोर्ड नियंत्रण प्रणाली की बीआईयूएस-एल कोणीय वेग मापने वाली इकाई में खराबी के रूप में पहचाना गया. इसका नतीजा यह हुआ कि जरूरत पड़ने पर प्रणोदन प्रणाली को बंद नहीं किया गया और इस तरह लूना क्रैश हो गया.
रूस के लिए बड़ा झटका
लूना-25 का क्रैश होना रूस के लिए बड़ा झटका था. मॉस्को को उम्मीद थी को वह लूना-25 को चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कर इतिहास रच सकता है. 19 अगस्त को लूना-25 चांद की सतह पर क्रैश हो गया. रूस का इतिहास रचने का सपना टूट गया.
लूना के क्रैश होने के चार दिन बाद भारत ने रचा इतिहास
इस घटना के चार दिन बाद भारत के चंद्रयान-3 ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कर इतिहास रच दिया. बता दें चंद्रमा के इस हिस्से पर अंतरिक्ष यान सफलतापूर्वक उतारने वाला भारत पहला देश बन गया.
वैसे दोनों देश अंतरिक्ष सहयोग का एक अंतरंग इतिहास साझा करते हैं. स्पेस में कदम रखने वाले भारत के पहले व्यक्ति, स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा, 1980 के दशक में एक सोवियत अंतरिक्ष यान पर सवार होकर अंतरिक्ष में गए थे.