Research on Chickens: पहले सिर्फ पेड़ों पर पाए जाते थे मुर्गे, इस तरह जमीन पर उतरे
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Research on Chickens: पहले सिर्फ पेड़ों पर पाए जाते थे मुर्गे, इस तरह जमीन पर उतरे

Humans Domesticate Chickens: चिकन आज दुनिया के सबसे लोकप्रिय खाद्य पदार्थों में से एक है. अकेले ब्रिटेन (Britain) में सालाना एक अरब से अधिक मुर्गियों को खाने के लिए मार दिया जाता है.  वहीं, नए शोध से पता चला कि पहले मुर्गियां पेड़ों पर रहा करती थीं. इनको काफी समय बाद पालतू बनाया गया. 

फाइल फोटो

Chickens Domesticated using Rice: यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर (University of Exeter), यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड (University of Oxford) और कार्डिफ यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक नए शोध में कहा है कि मुर्गियां इंसानों के लिए अधिक पुरानी नहीं हैं, जैसा की पहले के रिसर्च में कहा गया था.पहले यह माना जाता था कि 10,000 साल पहले मुर्गियों को खाने के लिए पाला जाता था, लेकिन एंटीक्विटी पत्रिका में प्रकाशित नई रिपोर्ट से पता चलता है कि इंसान लगभग 1500 ईसा पूर्व तक मुर्गियों के संपर्क में नहीं आए थे.

रिसर्च के लिए कार्बन डेटिंग का इस्तेमाल

'द गार्जियन' की रिपोर्ट के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने रिसर्च में पश्चिमी यूरेशिया (western eurasia) और उत्तर-पश्चिम अफ्रीका (North West Africa) में पाए जाने वाले मुर्गियों की हड्डियों के लिए कार्बन डेटिंग का इस्तेमाल किया.अधिकांश हड्डियां पहले की तुलना में कहीं अधिक नई थीं. कार्डिफ यूनिवर्सिटी के डॉ. जूलिया बेस्ट ने कहा कि यह पहली बार है कि शुरुआती समाज में मुर्गियों के महत्व को निर्धारित करने के लिए इस पैमाने पर रेडियोकार्बन डेटिंग (radiocarbon dating) का उपयोग किया गया है. इससे पता चला कि मुर्गियां कब इंसानों के संपर्क में आई थीं.

800BC तक यूरोप नहीं आई मुर्गियां

शोध के मुताबकि, दक्षिण-पूर्व एशिया के उष्णकटिबंधीय जंगलों के मूल निवासी मुर्गियां लगभग 800BC तक यूरोप में नहीं आईं. फिर भूमध्यसागरीय क्षेत्र में पहुंचने के बाद मुर्गियों को स्कॉटलैंड (Scotland), आयरलैंड (Ireland), स्कैंडिनेविया और आइसलैंड की ठंडी जलवायु में स्थापित होने में लगभग 1,000 साल का समय लग गया.

89 देशों में रिसर्च

रिसर्च के लिए एक्सपर्ट ने 89 देशों में 600 से अधिक साइटों में पाए गए चिकन अवशेषों का पुनर्मूल्यांकन किया. उन्होंने पाया कि पालूत मुर्गे की सबसे पुरानी हड्डियां मध्य थाईलैंड (Thailand) में नियोलिथिक बैन नॉन वाट में थीं, जो 1650BC और 1250BC के बीच की थीं. शोधकर्ताओं का कहना है कि सूखे चावल की खेती के दौरान इंसान जंगली पक्षियों के संपर्क में आया, जो पेड़ों में रहते थे. इन मुर्गियों को पालतू बनाने के लिए इंसानों ने चावल का चारे के तौर पर इस्तेमाल किया.

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समुद्री व्यापारियों ने किया सबसे पहले सेवन

जब मुर्गियां पालतू हो गईं तो उन्हें पहले पूरे एशिया और फिर पूरे भूमध्यसागरीय मार्गों पर ले जाया गया, जिनका सेवन शुरुआत में ग्रीक, एट्रस्केन और फोनीशियन समुद्री व्यापारी करते थे. ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ग्रेगर लार्सन ने कहा कि मुर्गों के इस व्यापक पुनर्मूल्यांकन से पता चलता है कि पालतू चिकन के समय और स्थान के बारे में हमारी समझ कितनी गलत थी.

मुर्गियों का किया जाता है सम्मान

वहीं, पिछले शोध से पता चला था कि मुर्गियों को शुरू में भोजन के लिए नहीं, बल्कि एक्सोटिका के रूप में पालतू बनाया गया था. उदाहरण के लिए, लौह युग के समाज में मुर्गियों का सम्मान किया जाता था और अक्सर उन्हें मालिकों के साथ भी दफनाया जाता था. हालांकि, रोमन साम्राज्य के दौरान मुर्गियां और उनके अंडे भोजन के रूप में लोकप्रिय होने लगे थे. मुर्गियों के साथ हमारा पिछला संबंध कहीं अधिक जटिल था और पहले उनकी पूजा की जाती थी.
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