युद्धकाल में भारत की बढ़ती कूटनीतिक ताकत, 1 महीने में 20 ग्लोबल लीडर्स ने किया दौरा
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युद्धकाल में भारत की बढ़ती कूटनीतिक ताकत, 1 महीने में 20 ग्लोबल लीडर्स ने किया दौरा

युद्धकाल में तमाम पश्चिमी देशों को भारत के प्रभाव का अहसास हो रहा है. गौरतलब है कि 24 फरवरी से युद्ध शुरू होने के बाद से अब तक करीब 20 ग्लोबल लीडर्स भारत का दौरा कर चुके हैं.

युद्धकाल में भारत की बढ़ती कूटनीतिक ताकत, 1 महीने में 20 ग्लोबल लीडर्स ने किया दौरा

नई दिल्ली: इमरान खान ने अपने संबोधन के दौरान यह भी कहा कि पाकिस्तान की विदेश नीति निष्पक्ष है. लेकिन उनकी रशिया यात्रा से कुछ देश नाराज हो गए. लेकिन अब आप भारत की विदेश नीति की ताकत देखिए. फिलहाल भारत की राजधानी दिल्ली में रशिया के विदेश मंत्री Sergey Lavrov (सर्गी लावरोव), ब्रिटेन की विदेश मंत्री Elizabeth Truss (एलिजाबेथ ट्रस) और अमेरिका के डिप्टी NSA दिलीप सिंह तीनों मौजूद हैं. दिलीप सिंह ने ही अमेरिका में रशिया पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने का पूरा खाका तैयार किया था. इससे भारत की कूटनीतिक ताकत के बारे में पता चलता है. भारत दुनिया का अकेला ऐसा देश है, जो रशिया से भी बात कर रहा है और अमेरिका से भी बात कर रहा है.

  1. पश्चिमी देशों ने की भारत की आलोचना
  2. अब भारत की ही नीति से प्रभावित हैं वे देश
  3. युद्ध से अब तक 17 देशों के 20 नेताओं ने किया भारत का दौरा

पश्चिम ने की भारत की आलोचना

शुरुआत में इन्हीं पश्चिमी देशों ने भारत की काफी आलोचना की थी और ये कहा था कि भारत को इस युद्ध में रशिया का साथ नहीं देना चाहिए और इन देशों ने इसके लिए भारत पर दबाव बनाने की भी कोशिश की. इसके अलावा इन देशों ने यूक्रेन का भरोसा जीतने के लिए रशिया के साथ बातचीत के सारे रास्ते बन्द कर दिए और उस पर सैकड़ों आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए.

भारत की तरकीब से आस लगाए पश्चिमी देश

जबकि भारत ने ऐसा नहीं किया. भारत ने आलोचना के बावजूद, रशिया के साथ सम्पर्क बना कर रखा और आज इन पश्चिमी देशों के मंत्री, इसीलिए भारत दौरे पर आ रहे हैं, क्योंकि वो भारत के जरिए रशिया तक अपनी बात पहुंचाना चाहते हैं. यानी वो रशिया के साथ भारत का जो Communication Channel है, उसका इस्तेमाल करना चाहते हैं, और इसके लिए भारत दौरे पर आ रहे हैं.

इतने नेताओं ने किया भारत का दौरा

ये युद्ध 24 फरवरी को शुरू हुआ था और उसके बाद से अब तक 17 देशों के 20 प्रधानमंत्री, मंत्री और सचिव स्तर के अधिकारी भारत दौरे पर आ चुके हैं और इन 17 देशों में 8 देश ऐसे हैं, जिनके विदेश मंत्री और उप-विदेश मंत्री ने भारत का दौरा किया है. इनमें सबसे पहले कनाडा के उप-विदेश मंत्री Marta Morgan (मार्टा मॉर्गन) 15 मार्च को भारत दौरे पर आए थे और इस दौरान उनकी मुलाकात भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला से हुई थी. कनाडा उसी NATO का हिस्सा है, जिसकी वजह से ये युद्ध शुरू हुआ. 

कनाडा के अलावा 19 मार्च से 21 मार्च के बीच ऑस्ट्रिया के विदेश मंत्री भी भारत दौरे पर आए थे. Austria यूरोपीय यूनियन का हिस्सा है, जो इस युद्ध में यूक्रेन को सैद्धांतिक समर्थन के साथ हथियारों की मदद भी दे रहा है. फिर 22 और 23 मार्च को Greece के विदेश मंत्री ने भी भारत का दौरा किया था और Greece भी NATO देशों का हिस्सा है.

चीनी मंत्री ने भी किया भारत का दौरा

इसके अलावा 25 मार्च को चीन के विदेश मंत्री Wang Yi (वांग यी) भी भारत में ही थे और उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर और National Security Advisor यानी NSA अजीत डोभाल से मुलाकात की थी. चीन इस युद्ध में रशिया के साथ खड़ा है, लेकिन वो पश्चिमी देशों के साथ भी सम्पर्क बना कर रखना चाहता है और इसीलिए चीन के विदेश मंत्री भी भारत दौरे पर आए थे.

जापान के पीएम का भारत दौरा

इसके अलावा कुछ और देशों के मंत्री और प्रधानमंत्री भी पिछले एक महीने में भारत दौरे पर आ चुके हैं. इनमें जापान के प्रधानमंत्री का भी नाम है, जो 19 और 20 मार्च को भारत दौरे पर आए थे और उनकी मुलाकात प्रधानमंत्री से हुई थी. जापान QUAD देशों का हिस्सा है और वो इस युद्ध में यूक्रेन के समर्थन में रशिया पर कई आर्थिक प्रतिबंध भी लगा चुका है. जबकि भारत इस युद्ध में निष्पक्ष होते हुए जापान के साथ भी बात कर रहा है और रशिया के विदेश मंत्री के साथ भी सम्पर्क में है.

दो धड़ों में बंट रहे देश

जापान के अलावा अमेरिका, ऑस्ट्रिया, ब्राजील, Ireland, Nigeria, श्रीलंका, फ्रांस और जर्मनी के भी मंत्री और Policy Advisor भारत दौरे पर आए हैं. यानी भारत इस समय एक हब बन गया है, जहां दुनियाभर के नेता इकट्ठा हो रहे हैं और वैश्विक राजनीति और युद्ध पर चर्चा कर रहे हैं. यानी इस समय दुनिया में दो ब्लॉक बनते दिख रहे हैं, जिसमें एक तरफ रशिया और चीन जैसे देश हैं और दूसरी तरफ अमेरिका और बाकी पश्चिमी देश हैं. उन देशों के बीच भारत संवाद का सेतु बना हुआ है और दुनिया की बड़ी शक्ति के रूप में उभर कर सामने आया है. 

सबसे समझदारी का काम भारत ने ही किया

हालांकि भारत इन देशों के लिए कुछ और वजहों से भी महत्वपूर्ण है. भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. इस समय दुनिया की सबसे तेजी से उभरती पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था है और भारत में दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है. यानी यहां व्यापार भी है. इस पूरी खबर से ये पता चलता है कि भारत ने युद्ध की शुरूआत में रशिया और यूक्रेन से जो समान दूरी बनाने की रणनीति अपनाई थी, वो कामयाब हो गई और इस युद्ध में सबसे समझदारी का काम भारत ने ही किया है.

 

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